जालंधर की 124 साल की महिला का निधन: मीठा खाने की शौकीन बसंत कौर को न शुगर थी और न ब्लड प्रैशर, लंबी उम्र पर हमेशा कहती थी- ‘शायद ऊपरवाला मुझे भूल गया’

जालंधर की 124 साल की महिला का निधन: मीठा खाने की शौकीन बसंत कौर को न शुगर थी और न ब्लड प्रैशर, लंबी उम्र पर हमेशा कहती थी- ‘शायद ऊपरवाला मुझे भूल गया’

[ad_1]

  • Hindi News
  • Local
  • Punjab
  • Jalandhar
  • Basant Kaur, Fond Of Eating Sweets, Had Neither Sugar Nor Blood Pressure, Always Used To Say On Long Life ‘Maybe The Upper Person Forgot Me’

जालंधर2 मिनट पहलेलेखक: मनीष शर्मा

  • कॉपी लिंक
जालंधर की 124 साल की महिला का निधन: मीठा खाने की शौकीन बसंत कौर को न शुगर थी और न ब्लड प्रैशर, लंबी उम्र पर हमेशा कहती थी- ‘शायद ऊपरवाला मुझे भूल गया’

बसंत कौर के कान में कुछ कहती बहू कुलवंत कौर। – फाइल फोटो

जालंधर में लोहियां खास के साबूवाल में रहने वाली 124 साल की महिला बसंत कौर का बुधवार को निधन हो गया। इतनी लंबी उम्र जीने वाली बसंत कौर मीठा खाने की शौकीन थी। उन्हें शुगर व ब्लड प्रेशर (BP) जैसी कोई बीमारी भी नहीं थी। परिवार के लोग कहते हैं कि बसंत कौर को कभी डॉक्टर के पास नहीं ले जाना पड़ा। लंबी उम्र होने पर बसंत कौर कहती थी कि मेरे भाई-बहनों व पति का निधन हो गया है। शायद ऊपरवाला मुझे भूल गया है, जो अभी तक जीवित हूं। मेरी उम्र तो अब कबकी पूरी हो चुकी है।

हालांकि परिवार के लोग उनकी उम्र 132 साल बताते हैं लेकिन एक जनवरी 1995 में बने वोटर कार्ड के हिसाब से उनकी आयु रिकॉर्ड में कम दर्ज है। बेटा सरदारा सिंह व बहू कुलवंत कौर कहती हैं कि उनकी खुशकिस्मती थी कि उन्हें सेवा का मौका मिला। उम्र के इस पड़ाव में भी उनसे कभी कोई परेशानी नहीं हुई। उनकी घर में मौजूदगी अक्सर हमें हिम्मत का अहसास कराती थी। बुधवार को उन्होंने खाना खाया। फिर 15 मिनट बाद पानी पिया और प्राण त्याग दिए। परिवार में उनके 12 पौत्र व 13 पौत्रियां हैं। जिनसे आगे 5 पड़पौत्र व 3 पड़पौत्रियां हैं। इनके भी आगे बच्चे हैं।

72 वर्षीय बेटा सरदारा सिंह मां बसंत कौर के बारे में बताते हुए।

72 वर्षीय बेटा सरदारा सिंह मां बसंत कौर के बारे में बताते हुए।

3 सदियों की गवाह थीं बसंत कौर, भारत-पाक बंटवारा भी अपनी आंखों से देखा

सरकारी रिकॉर्ड में एक जनवरी 1995 को बसंत कौर की उम्र 98 साल दर्ज है। इस लिहाज से उन्होंने 3 सदियां देखीं। 19वीं सदी में जन्म हुआ और 20वीं सदी में शादी हुई। 21वीं सदी में अब वो दुनिया से रुखसत हो गईं। परिवार के लोग कहते हैं कि असल उम्र से वह पंजाब ही नहीं बल्कि देश की सबसे उम्रदराज महिला थीं। ब्रिटिश राज में जन्मीं बसंत कौर 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे की भी गवाह थी। वह बताती थीं कि किस तरह उनके पड़ोसी मुस्लिम परिवार अपना घर छोड़ पाकिस्तान गए थे। वह कहती थी कि चार बच्चों को लेकर मैं मायके चली गई थी। पीछे पति ज्वाला सिंह ने मुस्लिम भाईयों को पाकिस्तान जाने में पूरी मदद की थी।

पति 105 साल जिए, 5 बच्चों की भी हो चुकी थी मौत, 5वीं पीढ़ी के साथ रह रही थी

बसंत कौर के पति ज्वाला सिंह का भी 1995 में 105 साल की उम्र में निधन हुआ था। उनके 6 बेटे व 3 बेटियां थीं। जिनमें 5 बच्चों का निधन हो चुका है। 7 साल पहले उनके बड़े बेटे का 95 साल की उम्र में निधन हुआ था। उनके पोते के पोता भी 28 साल का है और अमेरिका में रहता है। वह परिवार में 5वीं पीढ़ी के साथ रह रहीं थी। उनके 5 भाई व 4 बहनों में भी अब कोई जीवित नहीं है।

सब्जी से हो गई थी नफरत, दही के साथ खाती थी रोटी

बसंत कौर मीठा खूब खाती थी। महीने में 4 दिन बिस्कुट खाना उनकी आदत में शुमार था। बेसन (मिठाई), बादाना और चाय के साथ वह गुड़ भी खूब खाती थीं। मीठा उनके बिस्तर के पास ही पड़ा रहता था। खास बात यह थी कि उम्र के इस पड़ाव में उन्हें सब्जी से तो नफरत हो गई थी। वो सिर्फ दही में रोटी खाती थी। दिन में कभी 4 बार भी उन्हें भूख लग जाती।

परिवार के बाकी सदस्यों के पहले निधन से रहती थीं मायूस

बसंत कौर की देखभाल करने वाली बहू कुलवंत कौर बताती हैं कि बसंत कौर अक्सर कहती थी कि हर कोई लंबी व स्वस्थ जिंदगी जीना चाहता है, मैं भी चाहती थी। मैंने 5 बच्चे खो दिए और 8 भाई-बहन भी अब नहीं रहे। पति भी छोड़ गए। यह कहकर वो अक्सर रो पड़ती थी। फिर कहती कि ऐसा लगता है कि ऊपरवाला मुझे भूल गया या फिर उसके पास मेरे लिए कोई जगह नहीं है।

नहीं थी कोई बीमारी, कोरोना काल में भी इम्यूनिटी ने चौंकाया

72वर्षीय बेटा सरदारा सिंह बताते हैं कि मां बसंत कौर को कोई बीमारी नहीं थी। वह इजंेक्शन से बहुत डरती थी। कभी हलका बुखार हुआ तो गोली खा लेती। कभी उन्हें डॉक्टर के पास ले जाने की जरूरत नहीं पड़ी। कोरोना काल में हमें डर था कि मां को कहीं यह बीमारी न पकड़ ले लेकिन वो पूरी तरह स्वस्थ रहीं। इतना जरूर था कि अब वो देख नहीं पाती थी और एक कान से सुनना बंद हो गया था। दूसरे कान से वह ऊंची आवाज में सुनती थी। वह अक्सर लोगों को आजादी से पहले के भारत की बातें सुनाती रहती थीं।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Published By:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *