छारा के ग्रामीणों ने अपने छोरे को बैठाया पलकों पर: पहलवान दीपक पूनिया का पैतृक गांव में स्वागत, टोक्यो ओलिंपिक में हिस्सा लेने के बाद पहली बार पहुंचे गांव

छारा के ग्रामीणों ने अपने छोरे को बैठाया पलकों पर: पहलवान दीपक पूनिया का पैतृक गांव में स्वागत, टोक्यो ओलिंपिक में हिस्सा लेने के बाद पहली बार पहुंचे गांव

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झज्जरएक घंटा पहले

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छारा के ग्रामीणों ने अपने छोरे को बैठाया पलकों पर: पहलवान दीपक पूनिया का पैतृक गांव में स्वागत, टोक्यो ओलिंपिक में हिस्सा लेने के बाद पहली बार पहुंचे गांव

झज्जर के गांव छारा में दीपक पूनिया का स्वागत करते हुए ग्रामीण।

टोक्यो ओलिंपिक में हिस्सा लेकर पैतृक गांव छारा पहुंचे खिलाड़ी दीपक पूनिया का शनिवार को जोरदार स्वागत किया गया। गांव छारा के ग्रामीणों ने अपने छोरे दीपक पूनिया के स्वागत में यात्रा भी निकाली। ग्रामीणों का कहना है कि दीपक ने ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेकर गांव का नाम रोशन किया है। वहीं खिलाड़ी दीपक पूनिया का कहना है कि वे ओलंपिक खेलों में पदक हासिल नहीं कर पाने से दुखी तो हैं। लेकिन यह तो एक शुरुआत है। उन्होंने बताया कि खेल के दौरान उन्हें चोट लग गई थी। 2 महीने आराम करने के बाद वे दोबारा मैदान में उतरेंगे और आगे होने वाले कॉमन वेल्थ गेम्स, वर्ल्ड गेम्स और एशियन गेम्स की तैयारी करेंगे। वहीं दीपक के कोच वीरेंद्र आर्य का कहना है कि दीपक भले ही ओलंपिक से पदक ना लाए हो लेकिन वहां से एक्सपीरियंस जरूर लेकर लौटे हैं। उनका कहना है कि दीपक पूनिया 86 किलोग्राम भार वर्ग कुश्ती में ओलंपिक तक जाने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं। आगे आने वाले समय में दीपक देश का नाम जरूर रोशन करेंगे। बता दें कि दीपक पूनिया टोक्यो ओलिंपिक के अपने सेमीफाइनल मुकाबले में आखरी चंद सेकंड में पॉइंट गवां बैठे थे। जिसके चलते वे कांस्य पदक से चूक गए थे। खिलाड़ी को यह पदक नहीं जीत पाने का मलाल तो है। लेकिन हौंसले अब भी बुलंद है और आगे आने वाले समय में दीपक पूनिया अपनी प्रतिभा का लोहा जरूर मनवाएंगे।

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