अफगानिस्तान के 11 छात्रों का परिजनों से संपर्क टूटा: PAU लुधियाना से कर रहे Phd; बोले- तालिबान लड़ाके बना रहे लड़कियों को सौंपने का दबाव, मिल रही मारने की धमकियां
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लुधियाना21 मिनट पहलेलेखक: दिलबाग दानिश
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तालिबानी की कब्जा करने की कोशिश के चलते अफगानिस्तान के हालात काफी खराब हो चुके हैं।
तालिबान ने अफगानिस्तान पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। हालात यह हैं कि वह अपने आदेश अफगानियों पर थोप रहे हैं। लड़ाके परिवारों पर लड़कियों को उन्हें सौंपने का दबाव बना रहे हैं। अफगानिस्तान में लोगों की हालत इतनी बदतर हो गई है कि भारत में रह रहे अफगानी विद्यार्थियों का अपने परिजनों से संपर्क टूट गया है। वह इस बात को लेकर डर रहे हैं कि उनके परिजनों का भविष्य क्या होगा।
अपने गृह देश में मची राजनीतिक उथल-पुथल से पंजाब के लुधियाना जिले में रह रहे 11 अफगान छात्रों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। इन छात्रों ने 2019 में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) में PhD या MSc में दाखिला लिया था। छात्र कहते हैं कि अफगानिस्तान में खनिज पदार्थों का भंडार है और पाकिस्तान व चीन तालिबान के जरिए इसे हथियाना चाहते हैं।
अफगानी छात्रों ने यूं बयां किया दर्द
परवान प्रांत के 32 वर्षीय नूर अली नूरी कृषि विज्ञान में PhD कर रहे हैं। उनका कहना है कि अफगानिस्तान में उनके परिवार को छिपना पड़ रहा है, क्योंकि तालिबानी लड़ाके उन पर दबाव बना रहे हैं कि परिवार में जो तीन युवतियां हैं, उन्हें वे उनके हवाले कर दें। ऐसा नहीं करने पर परिवार को जान से मारने की धमकी मिल रही हैं। उसे इस बात की तसल्ली है कि वह अपने दो बच्चों और पत्नी के साथ यहां सुरक्षित हैं।
अहमद मुबाशेर एक्सटेंशन एजुकेशन में PhD कर रहे हैं और बागलान के मूल निवासी हैं। वह इस बात को लेकर परेशान हैं कि जिस तरह से मीडिया रिपोर्ट आ रही हैं, उनके परिवार की महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। तालिबान अफगानिस्तान की शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करना चाहता है, ताकि उनका विरोध न हो सके। पाकिस्तान तालिबान का समर्थन कर रहा है, मगर उसे सोचना होगा कि तालिबानी उन्हें भी बर्बाद कर देंगे।
प्लांट ब्रीडिंग में पढ़ाई कर रहे हबीबुल्लाह हबीबी कहते हैं कि तालिबानी जिस तरह से इस्लाम का प्रचार कर रहे हैं, वे उसकी निंदा करते हैं। इस्लाम महिलाओं का दमन, उन्हें सार्वजनिक रूप से पीटना और मारना, नाबालिग लड़कियों को घरों से उठाना और कपड़े थोपना नहीं सिखाता है। शुक्र है कि मेरे चार बच्चे और पत्नी मेरे साथ हैं, लेकिन मुझे अपने परिवार के बाकी सदस्यों की चिंता है। उनके साथ क्या होगा? मुझे अपने परिवार की लड़कियों की चिंता है, क्योंकि वे तालिबान के निशाने पर हैं।
अहमद कहते हैं कि 3 दिन पहले ही परिजनों से बात हुई थी और वह बता रहे थे कि वहां पर कट्टरवाद फैलाया जा रहा है। वहां के पुरुषों को दाढ़ी रखने और पगड़ी बांधने के लिए कहा जा रहा है। महिलाओं को बुर्के पहनने के लिए कहा जा रहा है। विरोध करने वालों को मारा जा रहा है। वहां की फौज ने नेटवर्क बंद कर दिया है, इसलिए उनका परिवार से संपर्क टूट गया है। इसलिए वह परेशान हैं कि आखिर क्या हो रहा होगा वहां? TV पर चल रही मीडिया रिपोर्ट ही उनका सहारा हैं।
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