भारत-नेपाल बॉर्डर से नशे के कारोबार पर रिपोर्ट: 84 किमी. की खुली सीमा से नशे की गोलियों की होती है सप्लाई, 7 महीने में पकड़ी गईं 692 करोड़ की अवैध दवाएं; पुलिस के डर से अब खुद तस्कर जला रहे
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महराजगंज12 घंटे पहले
महराजगंज जिले के सिसवा में शनिवार को लावारिस हालत में जली हुई नशीली दवाएं मिली हैं, जिसमें इंजेक्शन, और टेबलेट शामिल है। यह दवाएं नहर किनारे मिली है। जानकारी के मुताबिक इसे किसी ने आग लगाकर जलाने का प्रयास किया है। अब पुलिस यह पता लगा रही हैं कि यह दवाएं किसने फेंकी।
दरअसल, नेपाल बॉर्डर पर चल रहीं नशीली दवाओं की तस्करी पर रोक के लिए एसएसबी और पुलिस संयुक्त कार्रवाई कर रही है। एसआईटी भी जांच कर रही है। इससे जिले में ड्रग तस्करों में हड़कंप है। माना जा रहा है कि किसी दवा कारोबारी ने कार्रवाई से बचने के लिए नशीली दवाओं की खेप को जला दिया। जलाई गई दवाओं में भारी मात्रा में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन, टेबलेट और ट्यूब शामिल हैं।
ये नशीली दवाएं सिसवा में शनिवार को जलाई गई हैं।
दरअसल, कोरोना के कारण इंडो-नेपाल बॉर्डर बंद चल रहा है। इसके बावजूद यहां ड्रग तस्करी चल रही है। फरवरी 2021 से अगस्त 2021 तक ही करीब 692 करोड़ की नशीली दवाएं पकड़ी जा चुकी हैं। ऐसे में जिले की सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई है। सूचना है कि बॉर्डर के दोनों तरफ के युवा बड़ी तेजी से नशे के आदी हो रहे हैं, जिसका फायदा इन ड्रग डीलरों को हो रहा है। नशे के चलते लगभग दर्जन भर नेपाली युवाओं की मौत भी हो चुकी है। ऐसे में अब सुरक्षाबलों ने इस पर शिकंजा कस दिया है।
ये सोनौली से पकड़ा गया तस्कर नफीस है।
84 किमी की खुली सीमा बनी सुरक्षाबलों के लिए चुनौती
महराजगंज सोनौली बॉर्डर से लगी भारत नेपाल की 84 किलोमीटर की खुली सीमा सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती है। रोजमर्रा में इस सीमा से दोनों तरफ के लोग आते-जाते हैं। ऐसे में तस्कर इस खुली सीमा का फायदा उठाते हैं। ड्रग तस्कर भारत के अलग अलग शहरों से दवाओं की खेप बॉर्डर के किनारे बसे गांव में पहुंचाते हैं। इसके बाद जैसे ही मौका मिलता है तस्कर दवाओं की खेप नेपाल पहुंचा देते हैं। इसमें स्थानीय निवासी भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।
ये मीना मल्लाह है, इसे भगवानपुर बॉर्डर पर पकड़ा गया था।
यही नहीं, तस्कर उन रास्तों से भी वाकिफ रहते हैं जहां सुरक्षा नहीं होती है। सीमा सुरक्षा बल के जवान गश्त करते हैं लेकिन उनकी आंख मिचौली तस्करों के साथ चलती रहती है। तस्करों को पता रहता है कि कौन सा नाका कब सूनसान रहता है। उसी दौरान तस्कर दवाओं की खेप आसानी से नेपाल पहुंचा देते हैं।
ये असोगवा गांव से पकड़ा गया तस्कर मुन्ना गौड़ है।
ये नशा सस्ता है इसलिए नेपाल में है पॉपुलर
पड़ोसी देश नेपाल में नशे के रूप में प्रयोग की जाने वाली दवाओं को वहां के युवा ज्यादा पसंद करते हैं। कारण ये है कि ये दवाएं भले ही जानलेवा हैं पर सस्ते में ही नशे की उनकी डोज पूरी हो जाती है। यही वजह है कि तस्कर इसका पूरा फायदा उठाकर मालामाल हो रहे हैं। तस्करी के दौरान ज्यादातर इंजेक्शन के रूप डायजेपाम, सेराजेक और न्यूफिन, जबकि सिरप में कोल्ड्रीन, वोनरिक्स, कोरेक्स, एल्कोस और टेबलेट में ल्प्राजोलम, टॉक्सिविन, नाइट्राजापम तस्करी होती है।
3 साल में 700 करोड़ की दवाएं हुईं बरामद
13 अगस्त 2019 को 22 लाख की दवा बरामद
सोनौली सीमा पर एक गोदाम में 36 बोरों में भरा हुआ 22 लाख रुपए मूल्य का नशीली दवाओं का जखीरा बरामद हुआ था। इस मामले में मुख्य अभियुक्त नफीस सहित तीन लोग गिरफ्तार हुए थे।
6 फरवरी 2021 को 4 लाख की दवा बरामद
सोनौली के सुकरौली टोले पर एक घर मे तस्करी के लिए रखे गए 17 गत्ते में 4 लाख रुपए मूल्य की नशे की दवा और नकली स्टीकर बरामद हुए थे।
7 फरवरी 2021 को 2 लाख की दवा बरामद
सोनौली क्षेत्र के भगवानपुर में मीना मल्लाह के पास से 350 पीस न्यूफिन इंजेक्शन, 350 पीस डायजेपाम टेबलेट और 350 पीस फिनेरगन इंजेक्शन बरामद हुआ था। गिरफ्तार महिला नेपाल की निवासी थी। इन दवाओं की कीमत 2 लाख थी।
28 फरवरी 2021 को 55 हजार की दवा बरामद
बरगदवा थाना क्षेत्र के असोगवा गांव में एसएसबी ने तस्करी के धंधे में लिप्त मुन्ना गौंड के पास से भरी मात्रा में नशे में इस्तेमाल करने वाले इंजेक्शन और टेबलेट बरामद की थी। इसकी कीमत 55 हजार थी।
6 जुलाई 2021
कोल्हुई थाना क्षेत्र के गुलहरिया गांव में अवैध रूप से चल रहे मेडिकल स्टोर से प्रतिबंधित दवाएं बरामद हुई थीं।
3 अगस्त 2021
एसडीएम निचलौल ने जमुई कला गांव में बने गोदाम में छापा मारकर 686 करोड़ रुपए की दवा बरामद की थी। इन दवाओं में ज्यादातर नशे में प्रयोग होने वाली प्रतिबंधित दवाएं थी। इस मामले में एक तस्कर को मौके से गिरफ्तार किया गया था। लेकिन सरगना गोविंद गुप्ता पुलिस की पकड़ से अभी भी दूर है।
11 दिन बाद भी 686 करोड़ की दवाओं का सरगना फरार
निचलौल थाना क्षेत्र में 686 करोड़ रुपए मूल्य की दवाओं की बरामदगी से यह साफ हो गया है कि कोरोनाकाल मे पूरी सीमा सील होने के बाद भी तस्करों के हौसले बुलंद हैं। सवाल ये है कि जब सीमा सील है तो सुरक्षा एजेंसियां क्या कर रही हैं? 11 दिन बीत जाने के बाद भी इनामी तस्कर गोविंद गुप्ता पुलिस की पकड़ से दूर है।
इस मामले में पुलिस अधीक्षक प्रदीप गुप्ता ने कहा कि किसी भी अवैध कारोबारी को बख्शा नही जाएगा। गोविंद की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम लगी हुई है। यही नहीं पूरे बॉर्डर पर दवा तस्करों को चिन्हित किया जा रहा है।
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