पर्यावरणविद सही साबित हुए: बनारस में पानी बढ़ा तो गंगा में डूबा 12 करोड़ रुपए में बनाया गया बाईपास चैनल
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वाराणसी24 मिनट पहलेलेखक: चंदन पांडेय
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बाईपास चैनल बनाकर गंगा को दो भाग में बांटा गया था।
बनारस में गंगा पार में बने बाईपास चैनल को लेकर पर्यावरणविदों ने जो आशंका जताई थी, वह छह माह में ही सच होती दिख रही है। गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु के करीब है। इस वजह से बाईपास चैनल पूरी तरह डूब गया है। वहीं, ड्रेन कर निकाली गई बालू भी गंगा में समा गई है। चैनल को बनाने में लगभग 12 करोड़ रुपए का खर्च आया था, जिसे गंगा के जानकारों ने धन का दुरुपयोग बताया था।
अब गंगा में बाढ़ आने से प्रशासन की पोल खुल गई है। बनारस में साढ़े पांच किमी लंबे, 45 मीटर चौड़े व छह मीटर गहरे बाईपास चैनल से गंगा को दो भाग में बांट कर ड्रेजिंग के सहारे रामनगर से राजघाट तक ले जाया गया है। बता दें, वाराणसी में गंगा नदी के पार रेत में खनन का काम मार्च से शुरू हुआ जो जून में पूरा हुआ था।
इसे लेकर साझा संस्कृति मंच के नदी विज्ञानी प्रोफेसर यूके चौधरी व संकट मोचन मंदिर के महंत, प्रोफेसर विशम्भर नाथ मिश्रा ने नदी धारा, जल घाट संरचना आदि पर चिंता जताई थी। उनका कहना है कि चैनल से वाराणसी में गंगा के अर्धचंद्राकार स्वरूप और धारा प्रभावित होंगे। वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि ड्रेजिंग से निकली बालू को टेंडर कराकर हटाया जा रहा था। पानी बढ़ने से थोड़ी बालू बची रह गई, अधिकतर रेत हटा ली गई है। घाटों को संरक्षित करने के लिए ही चैनल बनाया है।
गंगा में बाढ़ खत्म होने पर दुष्परिणाम भुगतने होंगे
महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र के चेयरमैन और पर्यावरण वैज्ञानिक प्रो. बीडी त्रिपाठी ने बताया कि गंगा में ड्रेजिंग कर नहर बनाना सही निर्णय नहीं था, क्योंकि गंगा में जब बाढ़ आती है तो वह अपने साथ बालू और मिट्टी बहा लाती है। घाटों की ओर मिट्टी छोड़ने वाली गंगा दाहिनी ओर रेत छोड़ती हैं। नदी विज्ञानी से सलाह ली गई होती तो काम शुरू नहीं होता। बाढ़ खत्म होने पर दुष्परिणाम भुगतने होंगे। चैनल से गंगा की धारा कमजोर होगी।
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