वैक्सीनेशन प्रोग्राम में आएगी तेजी: अमेरिकी मीडिया का दावा- फाइजर से 5 करोड़ कोरोना वैक्सीन के डोज खरीदेगी भारत सरकार

वैक्सीनेशन प्रोग्राम में आएगी तेजी: अमेरिकी मीडिया का दावा- फाइजर से 5 करोड़ कोरोना वैक्सीन के डोज खरीदेगी भारत सरकार

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एक घंटा पहले

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वैक्सीनेशन प्रोग्राम में आएगी तेजी: अमेरिकी मीडिया का दावा- फाइजर से 5 करोड़ कोरोना वैक्सीन के डोज खरीदेगी भारत सरकार

अमेरिका की फाइजर कंपनी की कोरोना वैक्सीन एमआरएनए सिद्धांत पर काम करती है। -फाइल फोटो

भारत सरकार अमेरिकी कंपनी फाइजर से 5 करोड़ (50 मिलियन) वैक्सीन डोज खरीद सकती है। वॉल स्ट्रीट जनरल ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है। हालांकि भारत सरकार ने इस बारे में कोई बयान जारी नहीं किया है। फाइजर वैक्सीन को अभी तक भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल का अप्रूवल नहीं मिला है। कंपनी ने इसके लिए दिया अपना आवेदन 5 फरवरी को वापस ले लिया था। अमेरिका में इसे इमरजेंसी अप्रूवल तो मिल चुका है, लेकिन फुल अप्रूवल मिलना अभी बाकी है।

भारत में इस समय ज्यादातर वैक्सीन डोज पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और हैदराबाद की भारत बायोटैक सप्लाई कर रही हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का उत्पादन भारत में कोवीशील्ड के नाम से कर रही है। हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक कोवैक्सिन के नाम से अपनी वैक्सीन बना रही है।

जॉनसन एंड जॉनसन के संपर्क में भारतीय अधिकारी
भारत सरकार के अधिकारी अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन के भी संपर्क में हैं। भारत में कंपनी का करार बायोलॉजिकल ई के साथ हुआ है। दोनों कंपनियां मिलकर भारत में 60 करोड़ वैक्सीन का प्रोडक्शन करेंगी। एक सप्ताह पहले भारत सरकार जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल शॉट वैक्सीन को भी इमरजेंसी अप्रूवल दे चुकी है।

कोवैक्स प्रोग्राम से 70 लाख वैक्सीन मिलने की उम्मीद
भारत को WHO के कोवैक्स प्रोग्राम के तहत अमेरिका से मॉडर्ना के 7 मिलियन (70 लाख) वैक्सीन डोज मिलने की उम्मीद है। जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन को बेल्जियम स्थित जैनसन फार्मा इकाई ने बेथ इजरायल डीकोनेस मेडिकल सेंटर के साथ विकसित किया है।

एमआरएनए वैक्सीन है फाइजर
फाइजर-बायोनटेक एमआरएनए वैक्सीन है। एमआरएनए टेक्नोलॉजी कई साल से विकसित की जा रही थी। जिन बीमारियों के लिए इसका परीक्षण किया जा रहा था, उनमें से एक कैंसर भी थी। अमेरिका के ह्यूस्टन मेथोडिस्ट हॉस्पिटल के विशेषज्ञ डॉ. जॉन कुक कहते हैं कि एमआरएनए (मैसेंजर रीबोन्यूक्लिक एसिड) कैंसर को पहचानने के लिए इम्यून सिस्टम विकसित करने का तरीका है।

ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी की विशेषज्ञ अन्ना ब्लैकनी कहती हैं कि एमआरएनए वैक्सीन कैंसर की कोशिकाओं पर मौजूद प्रोटीन की पहचान करती है। साथ ही इम्यून सिस्टम को उससे मुकाबला करने के योग्य बनाती है।

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