पिता का भरोसा कायम: बजरंग पूनिया के पिता बोले- कहा था न वह कभी खाली हाथ नहीं आता; मुख्यमंत्री का ढाई करोड़ देने का ऐलान
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पानीपत7 घंटे पहले
टोक्यो ओलिंपिक में भारत के स्टार रेसलर बजरंग पूनिया ने ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है। फ्री स्टाइल कुश्ती के 65 किलोग्राम वर्ग में बजरंग ने कजाकिस्तान के दौलत नियाजबेकोव को 8-0 से हराया। इसके साथ ही बजरंग के घर में जश्न शुरू हो गया है।
पूनिया के लिए मुख्यमंत्री का बड़ा ऐलान
पहलवान बजरंग पूनिया को टोक्यो ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने पर 2.5 करोड़ की राशि नकद इनाम में दी जाएगी। साथ ही सरकारी नौकरी और एक प्लॉट भी 50 प्रतिशत के कंसेशन पर मिलेगा। उनके खुड्डन गांव में एक इंडोर स्टेडियम बनाया जाएगा। यह घोषणा प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने की।
बजरंग के पिता बलवान सिंह (बाएं) व अन्य परिजन।
बजरंग के पिता का सीना चौड़ा हुआ
बेटे की जीत से पिता बलवान पूनिया बेहद खुश हैं। उनके पांव जमीन पर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मैंने बोला था कि मेरा बेटा कभी खाली हाथ नहीं आता। उसने मेरी लाज रख ली। मुझे मेरे बेटे पर बहुत गर्व है। उसने मेरा सीना चौड़ा कर दिया।
एक महीने पहले उसके घुटने में चोट लग गई थी, फिर भी वह सेमीफाइनल तक पहुंचा, लेकिन चोट की वजह से उस मैच में अटैकिंग नहीं खेल पाया। लेकिन ब्रॉन्ज मेडल के लिए हुए आज के मुकाबले में उसने पूरा जोर लगा दिया और विरोधी पहलवान को स्कोर करने का एक भी मौका नहीं दिया।
विजयी चिह्न बनाते हुए बजरंग पूनिया के माता-पिता।
मां ओम प्यारी भावुक हुईं
बजरंग पूनिया की जीत का ऐलान होते ही उनकी मां ओम प्यारी भावुक हो गईं। उनकी आंखें भर आईं और उन्होंने कहा कि मेरा बेटा है, जो कहता है, करके दिखाता है। आज उसने मेरी और अपने पिता की लाज रख ली। भगवान मेरे बेटे को लंबी उम्र दे और खुश रखे।
नीरज चोपड़ा के घर लाइव देखा गया पूनिया का मुकाबला
विशेष बात यह है कि एथलीट नीरज चोपड़ा का मुकाबला देखने के लिए उनके घर पर लगी एलईडी स्क्रीन पर बजरंग पूनिया का मुकाबला भी दिखाया गया। जैसे ही पहलवान जीते, मौके पर मौजूद लोग खुशी के मारे झूम उठे।
अजरबैजान के पहलवान से हारे थे सेमीफाइनल
सेमीफाइनल मुकाबले में तीन बार के वर्ल्ड चैंपियन अजरबैजान के पहलवान हाजी एलियेव ने उन्हें 12-5 के अंतर से हराया था। इससे पहले हुए क्वार्टर फाइनल मुकाबले में बजरंग पूनिया ने ईरान के पहलवान को 2-1 से मात देकर 65 किलोग्राम भार वर्ग में हराया था।
अजरबैजान के पहलवान से भिड़ते बजरंग पूनिया।
नंबर वन रह चुके हैं बजरंग पूनिया
बजरंग पूनिया किसी भी श्रेणी में दुनिया के नंबर 1 पहलवान बनने वाले पहले भारतीय हैं। इसके अलावा दो विश्व चैंपियनशिप पदक और प्रसिद्ध जर्मन लीग में कुश्ती करने वाले भी पहले भारतीय हैं। हरियाणा के झज्जर जिले के साधारण परिवार से आने वाले बजरंग पूनिया के पास शुरुआत में क्रिकेट और बैडमिंटन के सामान खरीदने के पैसे नहीं होते थे।
उस समय बच्चे कबड्डी और रेसलिंग में बहुत रुचि रखते थे और पूनिया के गांव में इसका प्रचलन था। हालांकि उनके पिता बलवान सिंह भी रेसलर थे और युवा बजरंग उनकी कुश्ती देखने के लिए स्कूल तक छोड़ देते थे। बजरंग ने कहा भी था कि मुझे नहीं पता कि कब कुश्ती मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गई।
बजरंग पूनिया का जन्म 26 फरवरी 1994 को हरियाणा के झज्जर गांव में हुआ। इनके पिता का नाम बलवान सिंह पूनिया है। इनके पिता एक पेशेवर पहलवान हैं। इनकी माता का नाम ओम प्यारी है। इनके भाई का नाम हरिंदर पूनिया है। बजरंग को कुश्ती विरासत में मिली। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। बजरंग की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही पूरी हुई।
बजरंग ने 7 साल की उम्र में कुश्ती शुरू की और उन्हें उनके पिता का बहुत सहयोग मिला। बजरंग ने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक से ग्रेजुएशन किया। पूनिया ने भारतीय रेलवे में टिकट चेकर (TTE) का भी काम किया।
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