नीरज ने पूरा किया मिल्खा सिंह का सपना: फ्लाइंग सिख को मेडल समर्पित कर नीरज बोले- वे स्वर्ग से देख रहे होंगे; भारतीय को एथलेटिक्स में गोल्ड जीतते देखना चाहते थे

नीरज ने पूरा किया मिल्खा सिंह का सपना: फ्लाइंग सिख को मेडल समर्पित कर नीरज बोले- वे स्वर्ग से देख रहे होंगे; भारतीय को एथलेटिक्स में गोल्ड जीतते देखना चाहते थे

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जालंधर3 घंटे पहले

फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह के दुनिया से रुखसत होने के करीब पौने 2 महीने के बाद उनका सपना साकार हो गया। मिल्खा चाहते थे कि कोई भारतीय फील्ड और ट्रैक पर यानी एथलेटिक्स में ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीते। जेवलिन थ्रो में गोल्ड जीतकर हरियाणा के नीरज चोपड़ा ने इसे सच कर दिया। मिल्खा सिंह का कोविड संक्रमण के बाद 18 जून को निधन हो गया था।

मिल्खा सिंह ने 1956 के मेलबर्न ओलिंपिक, 1960 के रोम ओलिंपिक और 1964 के टोक्यो ओलिंपिक में हिस्सा लिया था, लेकिन वे मेडल नहीं जीत सके थे। उन्होंने रोम ओलिंपिक में 400 मीटर रेस में हिस्सा लिया था, लेकिन मेडल जीतने से सेकेंड के दसवें हिस्से से चूक गए थे और चौथे स्थान पर रहे थे। इसके बाद से ही वे अक्सर ख्वाहिश जताते थे कि कोई भारतीय एथलेटिक्स में गोल्ड जीते।

पदक के साथ मिल्खा सिंह से मिलना चाहता था
हरियाणा के पानीपत में रहने वाले नीरज ने पदक जीतने के बाद कहा, ‘मैं अपने गोल्ड मेडल को महान मिल्खा सिंह को समर्पित करता हूं। वे शायद मुझे स्वर्ग से देख रहे होंगे। मैं पदक के साथ मिल्खा सिंह से मिलना चाहता था। मैंने स्वर्ण पदक जीतने के बारे में तो नहीं सोचा था, लेकिन कुछ अलग करना चाहता था। मैं जानता था कि आज अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगा। मैं ओलिंपिक का रिकॉर्ड तोड़ना चाहता था, शायद इसी वजह से अच्छा प्रदर्शन कर पाया।’

जेवलिन थ्रो के फाइनल में नीरज चोपड़ा ने पहले राउंड में 87.58 मीटर थ्रो किया, पूरे फाइनल में उनसे आगे कोई नहीं निकल पाया।

जेवलिन थ्रो के फाइनल में नीरज चोपड़ा ने पहले राउंड में 87.58 मीटर थ्रो किया, पूरे फाइनल में उनसे आगे कोई नहीं निकल पाया।

नीरज बोले- मेरा गोल्ड देश के एथलीट्स को समर्पित
नीरज ने अपना गोल्ड मेडल उड़नपरी पीटी उषा और उन एथलीट्स को समर्पित किया, जो ओलिंपिक पदक जीतने के करीब पहुंचे लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। नीरज ने आगे कहा कि जब राष्ट्रगान बज रहा था और भारतीय तिरंगा ऊपर की ओर जा रहा था, वे रोने वाले थे।

ओलिंपिक को लेकर बेहद उत्साहित रहते थे मिल्खा सिंह
मिल्खा सिंह ओलिंपिक को लेकर बेहद उत्साहित रहते थे। उनका कहना था कि कई एथलीट ओलिंपिक तो गए लेकिन मेडल नहीं जीत पाए। उन्हें एथलीट हिमा दास से भी काफी उम्मीदें थीं और उन्होंने हिमा को टिप्स भी दिए थे। हालांकि चोट की वजह से हिमा टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई थीं।

मिल्खा सिंह ने रोम ओलिंपिक में 400 मीटर की रेस में 45.6 सेकेंड का समय निकाला था, लेकिन वे मेडल से चूक गए थे।

मिल्खा सिंह ने रोम ओलिंपिक में 400 मीटर की रेस में 45.6 सेकेंड का समय निकाला था, लेकिन वे मेडल से चूक गए थे।

अच्छे प्रदर्शन के बाद भी ओलिंपिक मेडल से चूके थे मिल्खा सिंह
मिल्खा सिंह कहते थे कि रोम ओलिंपिक जाने से पहले उन्होंने दुनियाभर में करीब 80 रेसिंग मुकाबलों में हिस्सा लिया, जिनमें 77 में जीत हासिल की थी। उस वक्त पूरी दुनिया को उम्मीद थी कि रोम ओलिंपिक में 400 मीटर की दौड़ भारत के मिल्खा सिंह ही जीतेंगे।

मिल्खा सिंह ने रोम ओलिंपिक में 400 मीटर की रेस में 45.6 सेकेंड का समय निकाला था, लेकिन वे मेडल से चूक गए थे। इसके बाद जब भी ओलिंपिक को लेकर कोई बात होती थी, तो वे एथलेटिक्स की बात शुरू करते हुए किसी इंडियन के मेडल जीतने की ख्वाहिश जरूर जाहिर करते थे।

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