नीरज की जीत का मंत्र: गोल्ड जीतने के बाद बोले नीरज- दूसरा थ्रो फेंकते ही समझ गया था ये बेस्ट होगा; अगला टारगेट 90 मीटर

नीरज की जीत का मंत्र: गोल्ड जीतने के बाद बोले नीरज- दूसरा थ्रो फेंकते ही समझ गया था ये बेस्ट होगा; अगला टारगेट 90 मीटर

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टोक्योएक घंटा पहले

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नीरज की जीत का मंत्र: गोल्ड जीतने के बाद बोले नीरज- दूसरा थ्रो फेंकते ही समझ गया था ये बेस्ट होगा; अगला टारगेट 90 मीटर

नीरज ने बताया कि उन पर कोई दबाव नहीं था, लेकिन वे देश को एथलेटिक्स में पहला गोल्ड दिलाना चाहते थे।

जेवलीन थ्रो में भारत को गोल्ड जिताने वाले एथलीट नीरज चोपड़ा ने शनिवार रात प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी जीत का मंत्र बताया। उन्होंने कहा कि मैंने पहले ही सोच लिया था कि मेरा पहला ही थ्रो बेस्ट होना चाहिए। पहला थ्रो अच्छा करने पर दूसरे खिलाड़ियों पर प्रेशर आ जाता है।

उन्होंने कहा कि जैसे जर्मनी के एथलीट योहानेस वेटेर का वर्ल्ड परफॉर्मेंश अच्छा रहा है, लेकिन वे आज के खेल में उतना अच्छा वे परफॉर्म नहीं कर पाए। मुझे इस बात का दुख है कि वर्ल्ड लेवल का खिलाड़ी इस तरह हार गया। उन्होंने मेरे बारे में कहा था कि मुझे उनके पास पहुंचने में काफी समय लगेगा, लेकिन मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहता। मैंने सिर्फ अपना बेस्ट देने के बारे में सोचा था। अब मैं और ज्यादा मेहनत करूंगा और 90 मीटर का रिकॉड बनाने की कोशिश करूंगा।

घर पर नहीं हो सकी बात
उन्होंने बताया कि जीत के बाद आने वाली बधाइयों के बीच वे इतने व्यस्त हो गए कि रात 9 बजे तक अपने परिवार से बात नहीं कर पाए। लेकिन, उन्होंने अफने गांव में खुशी के माहौल के कुछ वीडियो देखे। उसमें सब नाचते हुए दिखाई दे रहे हैं।

टेक्निक का खेल है जेवलिन थ्रो
नीरज ने बताया कि जेवलीन टेक्निकल इवेंट है। इसमें जरा सी टेक्निक गलत होने पर खेल बिगड़ जाता है। काफी मेहनत करनी पड़ी। इसके लिए फोकस्ड होना बहुत जरूरी था। उन्होंने बता कि कोच की बात मानकर उन्होंने काफी वर्कआउट किया। ऐसा करना उन्हें अच्छा लगता है। उन्होंने अपना पूरा फोकस अपनी ट्रेनिंग पर रखा। आज जो गोल्ड मिला है, वह सालों की मेहनत का नतीजा है।

हर बार हम चूक जाते थे
एथलेटिक्स में पहली बार गोल्ड आने पर उन्होंने कहा कि सभी खेलों में हमारे देश में गोल्ड आते रहे हैं। हॉकी में भी गोल्ड आते रहे हैं, लेकिन एथलेटिक्स में वर्ल्ड लेवल पर हमारे खिलाड़ी थोड़े अंतर से चूक जाते थे। अब गोल्ड जीतना जरूरी हो गया था। मेडल आने से एथलेटिक्स और जेवलिन को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

खेल के पहले कोई दबाव नहीं था
नीरज ने कहा कि मेरे मन में तो था कि अभी तक देश में एक भी गोल्ड नहीं आया और आखिरी खेल मेरा ही था, लेकिन इस बात का कोई दबाव नहीं था। खासतौर पर जब में जेवलिन लेकर रनवे पर होता हूं तो मेरे मन में यह सब बातें नहीं होती। मेरा फोकस सिर्फ अपने खेल पर होता है।

अंजू बॉबी जॉर्ज से बात की
जीत के बाद उन्होंने लॉन्ग जंप खिलाड़ी अंजू बॉबी जॉर्ज से भी बात की। अंजू ने उन्हें बधाई दी और कहा कि वे नीरज के भारत आने का इंतजार कर रही हैं और उन्हें लेने एयरपोर्ट आएंगी। इस पर नीरज ने उनका शुक्रिया अदा किया और बोले कि वे उनके नक्शेकदम पर ही चल रहे हैं।

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