बजरंग के पिता बोले, हार-जीत तो खेल का हिस्सा: ‘घुटने में चोट लगी थी इसलिए ज्यादा अटैक नहीं कर पाया, आज तक कभी खाली हाथ नहीं लौटा वह, ब्रॉन्ज मेडल जरूर आएगा’

बजरंग के पिता बोले, हार-जीत तो खेल का हिस्सा: ‘घुटने में चोट लगी थी इसलिए ज्यादा अटैक नहीं कर पाया, आज तक कभी खाली हाथ नहीं लौटा वह, ब्रॉन्ज मेडल जरूर आएगा’

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पानीपत8 घंटे पहले

अजरबैजान के पहलवान से मुकाबला करते बजरंग पुनिया।

हरियाणा के कुश्ती खिलाड़ी बजरंग पुनिया सेमीफाइनल मुकाबला हार गए हैं। इसके साथ ही भारत के स्टार रेसलर बजरंग पुनिया फाइनल की रेस से बाहर हो गए हैं। लेकिन बजरंग अब भी कांस्य पदक की रेस में हैं। सेमीफाइनल मुकाबलते में तीन बार के वर्ल्ड चैंपियन अजरबैजान के पहलवान हाजी एलियेव ने उन्हें 12-5 के अंतर से हराया। शुक्रवार सुबह हुए क्वार्टर फाइनल मुकाबले में बजरंग पूनिया ने ईरान के पहलवान को 2-1 से मात देकर 65 किलोग्राम भार वर्ग के सेमीफाइनल में प्रवेश किया था।

बजरंग कभी खाली हाथ नहीं लौटा- बलवान पुनिया

वहीं बजरंग पुनिया के पिता बलवान पुनिया ने बेटे के मुकाबला हारने पर कहा कि हार जीत चलती रहती है। एक महीना पहले उसके घुटने में चोट लग गई थी, फिर भी वह सेमीफाइनल तक पहुंचा। चोट की वजह से वह अटैकिंग नहीं खेल पाया। अभी एक और मुकाबला बाकी है तो ब्रॉन्ज मेडल जरूर आएगा। क्योंकि बजरंग कभी खाली हाथ नहीं लौटा।

ऐसे हारे बजरंग पुनिया पहले पीरियड में ही बजरंग 1-4 से पिछड़ गए थे। दूसरे पीरियड में हाजी एलियेव ने बजरंग का मशहूर फीतले दांव उन्हीं पर लगा दिया और अंक बटोर लिए। बजरंग अब 7-1 से पीछे थे। बजरंग ने फिर 2 अंक बटोरे, लेकिन हाजी ने 2 अंक और बटोरकर उनकी वापसी की उम्मीद खत्म कर दी। आखिरी पलों में बजरंग ने 2 अंक लिए, लेकिन हाजी भी 2 अंक बटोर ले गए। बजरंग 5-11 से पीछे हो गए थे। आखिरी पलों में बजरंग के कोच ने हाजी के दांव को चुनौती दी, लेकिन वह खारिज हो गया। इसी के साथ बजरंग की हार निश्चित हो गई।

नंबर वन रह चुके हैं पुनिया
बजरंग पुनिया किसी भी श्रेणी में दुनिया के नंबर 1 पहलवान बनने वाले पहले भारतीय हैं। इसके अलावा दो विश्व चैंपियनशिप पदक और प्रसिद्ध जर्मन लीग में कुश्ती करने वाले भी पहले भारतीय हैं। हरियाणा के झज्जर जिले के साधारण परिवार से आने वाले बजरंग पुनिया के पास शुरुआत में क्रिकेट और बैडमिंटन के सामान खरीदने के पैसे नहीं होते थे। उस समय बच्चे कबड्डी और रेसलिंग में बहुत रूचि रखते थे और पुनिया के गांव में इसका प्रचलन था। हालांकि उनके पिता बलवान सिंह भी रेसलर थे और युवा बजरंग उनकी कुश्ती देखने के लिए स्कूल तक छोड़ देते थे। बजरंग ने कहा भी था कि मुझे नहीं पता कि कब कुश्ती मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गई।्र

बजरंग पूनिया का जन्म 26 फरवरी 1994 को हरियाणा के झाझर गांव में हुआ। इनके पिता का नाम बलवान सिंह पुनिया है। इनके पिता एक पेशेवर पहलवान हैं। इनकी माता का नाम ओम प्यारी हैं। इनके भाई का नाम हरिंदर पुनिया है। बजरंग को कुश्ती विरासत में मिली। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। बजरंग की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही पूरी हुई। बजरंग ने 7 साल की उम्र में कुश्ती शुरू की और उन्हें उनके पिता का बहुत सहयोग मिला। बजरंग ने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक से ग्रेजुएशन की। पूनिया ने भारतीय रेलवे में टिकट चेकर (TTE) का भी काम किया।

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