आज का इतिहास: 76 साल पहले दुनिया ने पहली बार एटॉमिक हथियारों का विनाशक रूप देखा, अमेरिकी हमले से तबाह हो गए थे जापान के 2 शहर
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3 मिनट पहले
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साल 1945। दूसरे विश्वयुद्ध में मित्र देशों की जीत लगभग तय हो चुकी थी। जर्मनी ने आत्मसमर्पण कर दिया था और अब केवल जापान ही ऐसा देश था जो मित्र देशों को टक्कर दे रहा था। जुलाई 1945 में अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और सोवियत संघ के नेता जोसेफ स्टालिन जर्मनी के शहर पोट्सडम में मिले। यहीं पर ट्रूमैन और चर्चिल के बीच इस बात पर सहमति बनी कि अगर जापान तत्काल बिना किसी शर्त के समर्पण नहीं करता है तो उसके खिलाफ ‘कड़ा कदम’ उठाया जाएगा।
6 अगस्त 1945 की सुबह जापान के लिए वो त्रासदी लाने वाली थी जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। सुबह के 8 बज रहे थे। जापानी लोग काम करने पहुंच चुके थे। तभी हिरोशिमा शहर के ऊपर अमेरिकी विमानों की गड़गड़ाहट गूंजने लगी। इनमें से एक विमान में 3.5 मीटर लंबा, 4 टन वजनी और 20 हजार TNT के बराबर ऊर्जा वाला बम तबाही मचाने को तैयार था। इसका नाम था- लिटिल बॉय।
इसे एनोला गे नाम के विमान में लोड किया गया। इस विमान को पायलट पॉल टिबेट्स उड़ा रहे थे। बम का लक्ष्य हिरोशिमा का AOE ब्रिज था। सुबह 8 बजकर 15 मिनट पर विमान से बम गिरा और 43 सेकेंड बाद अपने लक्ष्य से कुछ दूर शीमा क्लीनिक के ऊपर जाकर फटा।
हमले के बाद पूरा हिरोशिमा शहर समतल जमीन में तब्दील हो गया।
इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, सब कुछ मिट्टी में मिल गया। तापमान 10 लाख डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर पहुंच गया। बम की जद में जो कोई भी आया, राख हो गया। सेकेंड्स में ही 80 हजार लोगों की मौत हो गई।
इसी के साथ 3 लाख से भी ज्यादा आबादी वाला ये शहर तबाह हो गया। हिरोशिमा जापान का 7वां सबसे बड़ा शहर था। साथ ही यहां पर सेकेंड आर्मी और चुगोकू रीजनल आर्मी का हेडक्वार्टर भी था। सैन्य ठिकानों की वजह से ये शहर अमेरिका के निशाने पर था।
जापान इस हमले से संभल पाता, इससे पहले ही अमेरिका ने 9 अगस्त को नागासाकी में दूसरा परमाणु बम गिरा दिया। इसका नाम फेटमैन था। 3 दिन के भीतर हुए इन दो हमलों से जापान पूरी तरह बर्बाद हो गया। मरने वालों का सटीक आंकड़ा आज तक पता नहीं चला। माना जाता है कि हिरोशिमा में 1.40 लाख और नागासाकी में करीब 70 हजार लोग मारे गए। इसके अलावा हजारों लोग घायल हुए, एटॉमिक रेडिएशन का शिकार हो गए और उन्हें कैंसर भी हो गया। जापान के लोगों में आज भी इस त्रासदी के जख्म मौजूद हैं।
1986: भारत के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म
6 अगस्त 1986। मुंबई का जसलोक हॉस्पिटल। सुबह के 3 बजकर 30 मिनट। अस्पताल में मणिबेन ने एक बेटी को जन्म दिया। इसी के साथ भारत के नाम एक नई उपलब्धि जुड़ गई। ये भारत में टेस्ट ट्यूब तकनीक के जरिए हुआ पहला जन्म था।
24 साल की मणि चावड़ा एक पार्ट टाइम टीचर थीं और उनके पति बॉम्बे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में कर्मचारी थे। दोनों शादी के बाद कई सालों से पेरेंट्स बनने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन किन्हीं वजहों से प्रेग्नेंसी में परेशानी आ रही थी।
2016 में हर्षा चावड़ा ने भी एक बेटे को जन्म दिया।
तब उन्होंने डॉक्टर इंदिरा हिंदुजा से कंसल्ट किया। डॉक्टर हिंदुजा ने मणिबेन को IVF तकनीक के जरिए मां बनने की सलाह दी। मणिबेन ने डॉक्टर की सलाह मानी और इसके बाद डॉक्टर के नेतृत्व में टीम ने IVF तकनीक के जरिए मणि चावड़ा की प्रेग्नेंसी पर काम शुरू किया।
लैब में ही स्पर्म और एग को मिलाकर भ्रूण बनाया गया। 30 नवंबर 1985 को इस भ्रूण को मणिबेन के गर्भाशय में ट्रांसफर किया गया। 6 जनवरी 1986 को अल्ट्रासाउंड में स्वस्थ प्रेग्नेंसी की पुष्टि हुई। 6 अगस्त 1986 को मणिबेन ने बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम हर्षा रखा गया। 2016 में हर्षा चावड़ा ने भी एक बेटे को जन्म दिया।
1997: श्रीलंका ने बनाया था टेस्ट क्रिकेट में सबसे बड़ी पारी का रिकॉर्ड
अगस्त 1997 में भारतीय टीम ने श्रीलंका का दौरा किया था। दोनों देशों के बीच टेस्ट और वनडे सीरीज खेली जानी थी। टेस्ट सीरीज के पहले मुकाबले में ही श्रीलंका की टीम ने ऐसा रिकॉर्ड बनाया जिसे आज तक कोई तोड़ नहीं पाया है।
2 अगस्त 1997 को मैच शुरू हुआ। भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया। नवजोत सिंह सिद्धू, मोहम्म्द अजहरुद्दीन और कप्तान सचिन तेंदुलकर ने शतक जड़े। भारत ने 537 रन के स्कोर पर पारी घोषित कर दी।
श्रीलंका की ओर से सनथ जयसूर्या और मार्वन अट्टापट्टू ओपनिंग करने उतरे। श्रीलंका को पहला झटका 39 रन के स्कोर पर ही लग गया, जब अट्टापट्टू 26 रन बनाकर आउट हो गए।
श्रीलंका के इस स्कोर का रिकॉर्ड आज तक कोई भी टीम नहीं तोड़ पाई है।
इसके बाद जयसूर्या और रोशन महानामा ने श्रीलंकाई पारी को आगे बढ़ाया। सनथ जयसूर्या ने 340 और रोशन महानामा ने 225 रन बनाकर दूसरे विकेट के लिए 576 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी की। 6 अगस्त 1997 को श्रीलंका ने 6 विकेट खोकर 952 रन बनाए।
इसी के साथ श्रीलंका ने टेस्ट मैच में सबसे बड़ा स्कोर खड़ा कर दिया था। इससे पहले ये रिकॉर्ड इंग्लैंड के नाम था। 1934 में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 903 रन बनाए थे।
6 अगस्त को इतिहास में इन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है…
1990: कुवैत पर हमले की वजह से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इराक पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की।
1990: पाकिस्तानी राष्ट्रपति गुलाम इसाक खान ने बेनजीर भुट्टो को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया।
1962: 300 साल बाद ब्रिटेन के शासन से मुक्त होकर जमैका स्वतंत्र राष्ट्र बना।
1926: अमेरिकी तैराक गेरट्रुड एडर्ल इंग्लिश चैनल को तैरकर पार करने वाली पहली महिला बनीं।
1890: न्यूयॉर्क में विलियम केमलर को इलेक्ट्रिक चेयर में करंट से मौत की सजा दी गई। विलियम ने एक महिला की कुल्हाड़ी से हत्या की थी। ये पहला मामला था जब इलेक्ट्रिक चेयर के जरिए किसी को मौत की सजा दी गई थी।
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