अनुच्छेद 370 हटाने के आज दो साल पूरे: सत्यपाल मलिक बोलें 200 छात्रों का इंटेलिजेंस नेटवर्क बनाकर भ्रष्टाचारियों, पत्थरबाजों को एक्सपोज किया, जिन हाथों में पत्थर थे, उनमें गेंद थमाकर लौटाई कश्मीरियत

अनुच्छेद 370 हटाने के आज दो साल पूरे: सत्यपाल मलिक बोलें 200 छात्रों का इंटेलिजेंस नेटवर्क बनाकर भ्रष्टाचारियों, पत्थरबाजों को एक्सपोज किया, जिन हाथों में पत्थर थे, उनमें गेंद थमाकर लौटाई कश्मीरियत

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एक घंटा पहले

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अनुच्छेद 370 हटाने के आज दो साल पूरे: सत्यपाल मलिक बोलें 200 छात्रों का इंटेलिजेंस नेटवर्क बनाकर भ्रष्टाचारियों, पत्थरबाजों को एक्सपोज किया, जिन हाथों में पत्थर थे, उनमें गेंद थमाकर लौटाई कश्मीरियत

370 हटाने के समय कश्मीर के राज्यपाल रहे मलिक बोले- मैं जानता था कि लोगों को कैसे भरोसे में लेना है।

कश्मीर में मेरी इंटेलिजेंस थे वहां के 200 स्टूडेंट नेता। मुझसे कभी भी बात कर सकते थे, मिल सकते थे। वो मुझे गांव-गांव की खबर देते थे। पुराने सीएम से लेकर आईएएस-आईपीएस के भ्रष्टाचार की जानकारी साझा करते थे। यह कहना है जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल और 370 हटाने के वक्त महत्वपूर्ण भूमिका में रहे सत्यपाल मलिक का। फिलहाल मेघालय के राज्यपाल मलिक ने अनुच्छेद 370 खत्म होने की दूसरी वर्षगांठ पर कश्मीर, किसान आंदोलन, कोरोना जैसे मुद्दों पर दैनिक भास्कर के प्रमोद कुमार से खुलकर बात की। पढ़िए संपादित अंश…

कश्मीर के नेता संवैधानिक गलती नहीं करते तो हम वहां से 370 हटाने की सिफारिश नहीं कर पाते : मलिक

  • 370 खत्म करने के लिए आप ही क्यों?

मैं तो बिहार में खुश था। पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने कहा कि आप समाजवादी नेता रहे हैं। आपसे सभी के बेहतर संबंध हैं। आपके खिलाफ काेई विद्रोह नहीं होगा। उस वक्त ये तय नहीं था कि अनुच्छेद 370 कब हटेगा। कश्मीर पहुंचा तो फारुख अब्दुल्ला रिसीव करने आए। मुझे पता था कि लोगों को कैसे विश्वास में लेना है, पत्थरबाजों से कैसे निपटना है।

  • वहां के नेताओं से चूक कहां हुई?

अगर वहां के नेता संवैधानिक गड़बड़ी नहीं करते तो हमारे पास अनुच्छेद 370 हटाने के अधिकार नहीं आते और हम सिफारिश नहीं कर पाते। सरकार बनाने के लिए महबूबा बाहर बयान देती रहीं, लेकिन सपोर्टिंग लेटर नहीं दिया। ईद का दिन था तो मेरे पास स्टाफ भी नहीं था। ये लोग कहते रहे कि हमने फैक्स किया है, पर रात 8 बजे तक मुझे फैक्स नहीं मिला, क्योंकि मुझे तो फैक्स मशीन चलानी आती नहीं है।

ये लोग मेरे पास लेटर लेकर आ सकते थे, रात 8 बजे मैंने विधानसभा भंग कर दी। तो ये सोशल मीडिया पर सरकार बनाने की बात करते रहे। भाजपा को भी नहीं बुलाया, क्योंकि मैं जानता था कि ये संवैधानिक स्तर पर नहीं टिकेगा। अगले दिन प्रेस को सारी बात बता दी। नेता सुप्रीम कोर्ट गए तो वहां भी हम सही पाए गए। अगर उनकी सरकार बनती तो वो लिखते ही नहीं कि अनुच्छेद 370 हटना चाहिए।

  • उम्मीद थी बिना हिंसा के सफल होंगे?

पीएम-गृहमंत्री ने योजनाबद्ध तरीके से काम किया और मुझे जिम्मेदारी सौंपी। मुझे उनके विजन पर काम करना था। वहां मेरा ईश्वर और जनता दोनों ने मेरा साथ दिया। मैंने वहां के पूर्व सीएम के भ्रष्टाचार के सबूत जुटाए। उन्हें एक्सपोज किया तो जनता का उनसे भरोसा उठ गया। कश्मीर के चप्पे-चप्पे से वाकिफ 200 छात्रों को लेकर खुद का इंटेलिजेंस नेटवर्क बनाया। इनसे मुझे भ्रष्ट नेताओं, अफसरों से लेकर पत्थरबाज और फंडिंग करने वालों की सूचना मिलती रही।

इस आधार पर सेना और पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए। एक साल में 40 डिग्री कॉलेज खोले। 280 स्कूल अपग्रेड किए। एम्स और आईआईएम लाए। अफसरों को गांवों में कैम्प करवाकर समस्याएं दूर करवाईं। इससे भरोसा जगा तो पत्थरबाजों की नई भर्ती बंद हो गई। वहां के अधिकारी तो पीएमओ से आए 75% फंड को दबाए बैठे थे, उसे निकलवाया। दो बड़े स्टेडियम बनवाए और जिन हाथों में पत्थर थे उन हाथों में गेंद थमा दी।

  • क्या पंचायत चुनाव टर्निंग पाइंट था?

बिलकुल। आतंकियों ने गोली मारने का ऐलान कर दिया। नेताओं का कहना था कि तिरंगा पकड़ने वाले नहीं बचेंगे। ऐसे समय में वहां 4 हजार सरपंच चुने गए और एक भी गोली नहीं चली। मैंने साफ निर्देश दिए थे कि पुलिस या सेना पर कोई पत्थर फेंके तो उसे गोली मार दो। ऐसे आतंकियों को गोली मारने पर न तो पुलिस केस बनेगा, न कोई पूछेगा। जब कुछ ने पत्थरबाजी की, तीनों सेनाओं के साथ पुलिस ने मिलकर इन्हें गोली से उड़ाया तो इनके हौसले पस्त पड़ गए।

  • इंटेलिजेंस, नेताओं के पास क्या इनपुट थे? पुलिस ने विरोध नहीं किया?

इंटेलिजेंस को लगता था कि हजारों लोग मारे जाएंगे। पर मुझे अपने नेटवर्क पर भरोसा था। मुझे सलाह दी गई कि थानों को सीआरपीएफ के हवाले कर दिया जाए। मैंने इसके बजाय पुलिस को दी जाने वाली सुविधाएं बढ़ा दीं।

  • नेताओं की गिरफ्तारी में पुलिस पीछे हट गई थी?

मुझे बताया गया कि पुलिस नेताओं के घर के बाहर खड़ी है और उन्हें लगता है कि ये पावर में रहेंगे। इसलिए गिरफ्तार नहीं कर रही है। मैंने तत्काल नेताओं के सुरक्षा में लगे अधिकारियों से बात की और उन्हें बताया कि अब हम ही पावर में रहेंगे। इन्हें गिरफ्तार करो तो हम साथ हैं। बस फिर क्या था, अधिकारियों ने ताबड़तोड़ गिरफ्तारी कर ली, जिससे ये लोग उपद्रव नहीं फैला सके। महबूबा की बहन जब धरना देने गई तो उसके साथ दो लोग भी नहीं थे। इससे इनका मनोबल टूटता गया और लोग साथ छोड़ते गए।

  • मतलब लोगों ने भरोसा जताया?

30 साल में ऐसा पहली बार हुआ कि गृहमंत्री गए और लोगों ने बायकाॅट नहीं किया। हुर्रियत 30 साल से बॉयकाट करता रहा था। 5 अगस्त को 370 हटी और 30 अक्टूबर को बापू की शहादत के दिन एक कार्यक्रम में हजारों लोग इकट्‌ठे हुए और गवर्नर जिंदाबाद के नारे लगाए। मैंने 2 करोड़ देकर दो फुटबॉल स्टेडियम बनवाए तो सालभर में कश्मीर की टीम देश में नंबर 3 पर आ गई। यासीन मलिक ने हुर्रियत की मीटिंग बुलाई तो उसमें लोग नहीं गए। जिन लोगों ने पिछले 10 साल से टीवी- फिल्में नहीं देखी थी, वो 20 हजार लोग मैच देखने के लिए स्टेडियम में मौजूद थे। मैं एक-एक अस्पताल गया। साफ कहा कि न दवाई की कमी है, न इलाज की। एयर एम्बुलेंस तैयार है। जिसे भी जरूरत होगी, उसका इलाज दिल्ली में करवाया जाएगा। 24 घंटे में कभी भी कॉल करिए, मैं हाजिर हूं।

  • आपके मन में कश्मीर को लेकर विकास का विजन पूरा हो सका?

कहां कर पाया मैं? रोजगार देना था। वहां विकास करना था। जिन अफसरों को मैंने गांव में भेजा था, उन्हें एक साल बाद लोगों को उनकी समस्या से जुड़ी प्रोग्रेस बतानी थी। वो भी नहीं गए। ब्यूरोक्रेसी रद्दी और करप्ट है।

  • क्या प्रस्ताव था कि आप अपवाद स्वरूप कश्मीर में रुकते?

देखिए, मैं किसी सरकारी एजेंसी को सुनकर काम नहीं करता था। इसलिए कोई भी एजेंसी नहीं चाहती कि मैं वहां रहूं। जिन नेताओं को जेल भेजा था वो भी नहीं चाहते। वहां की शांति व्यवस्था में सहयोग नहीं करते, क्योंकि वो मुझसे व्यक्तिगत तौर पर चिढ़ने लगे थे। यूटी दिल्ली के अधिकारियों के इशारे पर चलती है, जो मेरे रहते संभव नहीं था। गृहमंत्री तो चाहते थे कि मैं कश्मीर-लद्दाख का एलजी बनकर काम करूं, पर इंटेलीजेंस की रिपोर्ट थी कि पाकिस्तान मुझे मारने के लिए आईडी एक्सपर्ट कश्मीर भेज चुका है। पाकिस्तान सेना की फ्रीक्वेंसी कैच होने पर एक ही बात होती थी कि सत्यपाल मलिक को मारना है।

  • एक साल में तीन तबादले, चौथा राज्य?

हंसते हुए, अभी तो एक और तबादला हो सकता है। मैं अंगूठा छाप राज्यपाल नहीं हूं, पढ़ने-लिखने वाला हूं। मैं तो बोलता हूं। ये तो पीएम और गृहमंत्री की मेहरबानी है कि उन्होंने नहीं हटाया। गोवा से तो मैंने खुद तबादला मांगा था। वहां कोविड की हैंडलिंग सही नहीं थी। मेरा मानना है कि नर्स की नियुक्ति में सीएम को दखल नहीं देना चाहिए। मैंने तो कहीं के ब्यूरोक्रेट्स को नहीं बख्शा।

  • आगे किस राज्य में जाना चाहते हैं?

यूपी में। क्षेत्र में काम किया है, वहां के लोगों और उनकी समस्या को समझता हूं। किसान आंदोलन का हल निकालना चाहता हूं।

  • किसान आंदोलन को सही तरह से लिया जा रहा है? आपने टिकैत की गिरफ्तारी रुकवाई?

नहीं लिया जा रहा। किसानों को समझने की जरूरत है। मैंने टिकैत की गिरफ्तारी रुकवाने का प्रयास किया। इससे उस समय महापंचायत के बाद होने वाले उपद्रव को रोका जा सका। टिकैत के रोने के बाद अगर उनकी गिरफ्तारी हो जाती तो महापंचायत के किसान भड़ककर कुछ भी कर सकते थे।

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