असम-मिजोरम सीमा विवाद: PM मोदी से मिले नॉर्थ-ईस्ट के BJP सांसद, कहा- पूर्वोत्तर को हिंसा के आग में झोंकना चाहती है कांग्रेस, विदेशी ताकतें भी उकसा रहीं
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नई दिल्ली6 मिनट पहले
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असम और मिजोरम में चल रहे सीमा विवाद के बीच नॉर्थ-ईस्ट के 16 बीजेपी सांसदाें के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इन सांसदों ने आरोप लगाया कि असम और मिजोरम में हुए हालिया संघर्ष को लेकर कांग्रेस पार्टी राजनीति कर रही है। वह पूर्वोत्तर को हिंसा के आग में झोंकना चाहती है।
विदेशी ताकतें भी इस घटना को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही हैं और लोगों को उकसाने का काम कर रही हैं। इस पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है। पूर्वोत्तर सीमा विवाद कांग्रेस पार्टी की ही देन है। अगर देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी ने नगा-मिजो समस्या को गंभीरता से लेकर समाधान किया होता तो आज ये स्थिति नहीं होती।
सांसदों ने कहा कि कांग्रेस ने इन राज्यों को हमेशा से अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया है। कांग्रेस के शासन में अगर शुरुआती दौर में ही चीन पर कड़े कदम उठाए गए होते तो आज अरुणाचल प्रदेश के लोग और शंति के साथ चैन की नींद सो रहे होते।
पीएम ने पूवोत्तर को कभी राजनीति के चश्मे से नहीं देखा: रिजिजू
मीटिंग के बाद केंद्रीय कानून मंत्री और अरुणाचल प्रदेश के वेस्ट केमांग से सांसद किरेन रिजिजू ने आरोप लगाया कि विदेशी ताकतें उकसाने वाले बयानों और सामग्रियों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही हैं। ये ताकतें ऐसा करके क्षेत्र में आग को हवा देने का काम रही हैं। रिजिजू ने बताया कि प्रधानमंत्री ने सांसदों से कहा कि पूर्वोत्तर उनके दिल के बेहद करीब है, इसलिए क्षेत्र के प्रति उनका प्यार भी स्वाभाविक है। उन्होंने कभी भी पूर्वोत्तर को राजनीति के चश्मे से नहीं देखा।
पीएम के नेतृत्व में पूर्वोत्तर का हो रहा बेहतर विकास
मुलाकात के दौरान सांसदों के ने PM मोदी को एक ज्ञापन भी सौंपा और कहा कि जो भी तत्व असम-मिजोरम मामले को भारत में अव्यवस्था फैलाने के एक माध्यम के रूप में देख रहे हैं, उन्हें वह कहना चाहते हैं कि उनकी शरारत काम नहीं करने वाली है।
सांसदों ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार ने पूर्वोत्तर में विकास के ऐतिहासिक और बेमिसाल काम किए हैं। पिछले 7 सालों में पूर्वोत्तर में इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर 2 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। जो लोग पूर्वोत्तर में सुख और शांति बिगाड़ने का काम कर रहे हैं। हम उसकी निंदा करते हैं।
इस प्रतिनिधमंडल में पूर्वोत्तर के 16 सांसद मौजूद थे। इनमें 12 असम से, दो अरुणाचल प्रदेश और एक-एक मणिपुर और त्रिपुरा से थे।
26 जुलाई को हुई थी गोलीबारी, 6 पुलिसकर्मी की मौत
असम-मिजोरम के बीच 26 जुलाई को तब तनाव बढ़ गया था, जब मिजोरम के कोलासिब जिले के वायरेंग्टे कस्बे में दोनों राज्यों के नागरिक और पुलिसकर्मी आमने-सामने आ गई। इस हिंसक झड़प में असम के 6 पुलिसकर्मियों सहित कम से कम सात लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। जिसके बाद से दोनों राज्यों के बीच भारी तनाव है। केंद्र सरकार ने केंद्रीय अर्धसैनिक बल (CRPF) की पांच कंपनियां इस इलाके में तैनात की हुई हैं।
3 जिलों की 164 किलोमीटर की सीमा पर विवाद
बता दें कि असम के जिले- कछार, करीमगंज और हैलाकांडी, मिजोरम के तीन जिलों- आइजोल, कोलासिब और मामित के साथ 164 तकरीबन किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद पुराना है लेकिन हाल के सालों में इस स्तर हिंसा पहली बार देखने को मिली है। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी इसके बाद काफी सख्त भाषा का इस्तेमाल किया था।
26 जुलाई को हुई हिंसक घटन में असम पुलिस के 6 जवान शहीद हो गए थे।
गृहमंत्री अमित शाह ने की थी शांति की पहल
प्रधानमंत्री की सांसदों से इस मुलाकात को दोनों राज्यों के बीच शांति स्थापित करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। एक दिन पहले रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ टेलीफोन पर बात की थी।
शाह ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा से फोन पर बात की और दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद को शांत करने लिए कदम उठाने को कहा। उससे पहले केंद्रीय गृह सचिव ने असम और मिजोरम के मुख्य सचिवों और दोनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की थी।
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