कश्मीर में पत्थरबाजों पर सख्ती: पत्थरबाजी करते पकड़े गए तो न पासपोर्ट मिलेगा, न सरकारी नौकरी के लिए अप्लाई कर सकेंगे
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श्रीनगर27 मिनट पहले
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कश्मीर में पत्थरबाजी का पैटर्न पुराना है। यहां जब सेना आतंकियों का एनकाउंटर करने पहुंचती है, तो भीड़ पत्थरबाजी कर उन्हें भागने या छिपने में सपोर्ट करती है। -फाइल फोटो
जम्मू-कश्मीर में सेना के जवानों पर पत्थर फेंकने वालों पर अब सरकार सख्त एक्शन लेने के मूड में है। रविवार को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी किया। इसके मुताबिक पत्थरबाजी करते हुए पकड़े जाने पर पासपोर्ट के लिए क्लीयरेंस नहीं मिलेगा। इसके अलावा ऐसे लोग सरकारी नौकरी के लिए अप्लाई भी नहीं कर सकेंगे।
राज्य सरकार के अधिकारियों के मुताबिक कश्मीर CID की स्पेशल ब्रांच ने सभी सिक्योरिटी यूनिट को आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि राज्य के जिस व्यक्ति को भी पत्थरबाजी करते पकड़ा जाए, उसे किसी तरह का सिक्योरिटी क्लीयरेंस न दिया जाए। पत्थरबाजी के आरोप लगने पर डिजिटल सबूत (वीडियो या फोटो) और पुलिस रिकॉर्ड्स की भी जांच की जाएगी।
परिवार की डिटेल भी देनी होगी
केंद्र सरकार पहले ही एक कानून में संशोधन कर सरकारी नौकरी के लिए CID की क्लीयरेंस रिपोर्ट को जरूरी कर चुकी है। आदेश के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति के परिवार का सदस्य और खास रिश्तेदार राजनीतिक पार्टी से जुड़ा है तो उसकी जानकारी भी देनी होगी। इसके अलावा किसी राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल होने के बारे में भी बताना होगा। जमात-ए-इस्लामी जैसे किसी विदेशी प्रतिबंधित संगठन से जुड़े होने की जानकारी भी मांगी जाएगी।
दोबारा सत्यापन करवाने वालों पर भी लागू होगा नियम
नियमों के मुताबिक कहीं काम कर रहे लोगों को यदि CID से दोबारा सत्यापन करवाना हो तो उसे नियुक्ति की तारीख, पोस्टिंग और पदोन्नति का विवरण भी देना होगा। इसके अलावा नौकरी कर रहे माता-पिता, पति-पत्नी या बच्चों की डिटेल भी देनी होगी।
इससे पहले जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने यह आदेश भी दिया था कि राज्य में जन्म लेने वाली महिला के पति को भी मूल निवासी सर्टिफिकेट दिया जाएगा। जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार ने निवासी प्रमाणपत्र देने का नियम भी बदल दिया था। नए नियम के मुताबिक राज्य में 15 साल या इससे ज्यादा समय तक रहने वाले व्यक्ति को वहां का मूल निवासी माना जाएगा।
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