आगरा में ब्लैक फंगस का हैरान करने वाला मामला आया: ठीक हो चुके मरीजों को दोबारा हो रहा फंगस, इस बार लक्षण भी नहीं दिख रहे; एकसाथ 9 मरीजों के मिलने के बाद डॉक्टर ने बताया कारण

आगरा में ब्लैक फंगस का हैरान करने वाला मामला आया: ठीक हो चुके मरीजों को दोबारा हो रहा फंगस, इस बार लक्षण भी नहीं दिख रहे; एकसाथ 9 मरीजों के मिलने के बाद डॉक्टर ने बताया कारण

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आगरा18 मिनट पहले

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आगरा में ब्लैक फंगस का हैरान करने वाला मामला आया: ठीक हो चुके मरीजों को दोबारा हो रहा फंगस, इस बार लक्षण भी नहीं दिख रहे; एकसाथ 9 मरीजों के मिलने के बाद डॉक्टर ने बताया कारण
  • संक्रमित मरीजों की फालोअप जांच में फिर सामने आया ब्लैक फंगस

कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच आगरा में ब्लैक फंगस के हैरान करने वाले मामले सामने आए हैं। यहां एकसाथ 9 लोग फंगस से संक्रमित मिले हैं। चिंता की बात ये है कि एक बार ठीक होने के बाद इन लोगों को दोबारा ब्लैक फंगस हुआ है। इस बार इन लोगों में फंगस का लक्षण भी नहीं दिखा है। इस तरह के नए मामले आने से डॉक्टर्स भी परेशान हैं। हालांकि राहत की बात ये है कि इन मरीजों को भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ी है। एंटी फंगल दवाओं से इनका इलाज किया जा रहा है।

एक महीने बाद फिर से मिले मरीज
एसएन मेडिकल कालेज में ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है। यहां पर आगरा और आसपास के कई जिलों के 98 मरीजों का इलाज हुआ है। ब्लैक फंगस वार्ड के नोडल अधिकारी डा. अखिल प्रताप सिंह ने बताया कि ब्लैक फंगस के ठीक हुए मरीजों का लगातार फॉलोअप लिया जा रहा है। इस प्रक्रिया में उनको नौ मरीज ऐसे मिल हैं, जो पहले ब्लैक फंगस से ठीक हो चुके थे। मगर, अब वो दोबारा ब्लैक फंगस से संक्रमित हैं। इन मरीजों में इस बार कोई भी लक्षण देखने को नहीं मिला। लेकिन दूरबीन विधि से जांच और MRI कराई गई तो ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है।

क्यों हुए दोबारा संक्रमित ?
डा. अखिल प्रताप सिंह का मानना है कि दोबारा ब्लैक फंगस से संक्रमित होने के पीछे कहीं न कहीं लापरवाही भी एक कारण है। सभी मरीजों का जब ब्लड शुगर टेस्ट कराया तो उनका ब्लड शुगर अनियंत्रित मिला। माना जा रहा है कि परहेज में लापरवाही और दवाओं का सही समय पर सेवन न करना भी एक कारण हो सकता है। ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों को परहेज का ध्यान रखना होगा। ब्लड शुगर नियंत्रण में रहना चाहिए।

एक महीने बाद मिले 9 मरीज
एसएन मेडिकल कालेज के ब्लैक फंगस वार्ड में अभी तक 98 मरीज का इलाज हुआ है। इसमें 14 मरीजों की मौत हुई है, जबकि कई मरीजों को बचाने के लिए उनका जबड़ा, आंख तक निकाली गई है। पिछले एक महीने में कोई नया मामला नहीं आया था।
डॉ. अखिलेश ने बताया कि एसएन के ब्लैक फंगस वार्ड में आगरा के अलावा फिरोजाबाद, मथुरा, मैनपुरी, एटा, कासगंज, हाथरस, पीलभीत, जयपुर, जबलपुर, अलीगढ़, जेवर, धौलपुर और गाजियाबाद के मरीजों ने इलाज कराया है।

ऐसे करें बचाव
डॉक्टर बताते हैं कि इस बीमारी को जितनी जल्दी पहचानेंगे, इसका इलाज उतना ही सफल होगा। साथ ही शुगर पर कंट्रोल होना चाहिए। स्टेरायड को लेकर भी सावधानी बरतनी चाहिए। अगर किसी को स्टेरायड देना भी है तो उनकी मध्यम या हल्की डोज देनी चाहिए। स्टेरायड के बिना वजह इस्तेमाल से बचना चाहिए।

क्या होता है म्यूकरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस
डॉक्टरों के अनुसार, म्यूकरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस घातक इंफेक्शन होता है, जो शरीर में ब्लड सप्लाई को प्रभावित करता है। जहां पर यह ब्लैक फंगस हो जाता है, वहां से आगे की ब्लड सप्लाई रुक जाती है। नर्व सिस्टम में ब्लड की सप्लाई को डैमेज कर देता है। सर्जरी के बाद ही उतने हिस्से से ब्लैक फंगस हटाकर मरीज को बचाया जा सकता है। इस समय कोरोना वाले मरीजों में नाक में मरीजों को ब्लैक फंगस हो रहा है।

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