यमुना नदी का पानी जहरीला हुआ…!: इटावा में हजारों मछलियां यमुना में मरी मिलीं, जांच शुरू हुई; एक्सपर्ट ने हैरान कर देने वाला कारण बताया
[ad_1]
इटावा3 मिनट पहले
यमुना नदी में मरी हजारों की संख्या में मछलियां।
उत्तर प्रदेश के इटावा में यमुना का पानी जहरीला हो गया है…! यह सुनकर थोड़ा चौंकाने वाली बात लगती है लेकिन सच है। पिछले दो दिनों में यहां हजारों मछलियों की मौत हो गई है। ये मछलियां यमुना के बहाव के साथ किनारों पर जमा हो गई हैं। बताया जा रहा है कि दिल्ली, आगरा आदि शहरों का गंदा पानी और उद्योगों का केमिकल युक्त पानी आने के कारण इन मछलियों की मौत हो गई है।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि शहरों के गंदे पानी के साथ बारिश के दिनों में नदियों में सिल्ट आ जाती है, जिससे ये सांस नहीं ले पातीं। यमुना के आसपास रहने वालों का कहना है कि हमने इतनी मरीं हुईं मछलियां एक साथ कभी नहीं देखी। SDM नंदकिशोर मौर्य ने जांच कराने की बात कही है। यमुना में रोहू, कतला, शीतल सिंघाड़ा, मल्ली सहित मछलियों की करीब 50 प्रजातियां पाई जाती हैं।
चारों तरफ से प्रदूषित जल यमुना में आता है
हरियाणा के पानीपत, सोनीपत, दिल्ली, गाजियाबाद, आगरा जैसे बड़े शहरों के सीवरेज और फैक्ट्रियों का केमिकल युक्त पानी सीधे यमुना में जाता है। बताया जा रहा है कि जसवंतनगर क्षेत्र के बलरई में हजारों मछलियों के मरने की वजह प्रदूषण है। खारजा झाल (यमुना) में हजारों मरी मछलियां मरी मिली हैं।
मत्स्य विकास अधिकारी बोले- रिफाइनरी का पानी भी हाे सकता है कारण
मत्स्य विकास अधिकारी हिमांशु यादव ने बताया है कि इस मामले की जानकारी एसडीएम से प्राप्त हुई है। यह घटना इटावा, औरैया में हुई है। इसका कारण पहली बरसात में नालों गड्ढो में दूषित पानी या सम्भवतः मथुरा रिफाइनरी से छोड़ा गया पानी भी हो सकता है। मामले की जानकारी डीडी मत्स्य कानपुर को भेजी जा चुकी है।
गांव वालों ने दी सूचना
नदी किनारे मरी मछलियों को देख गांव वाले हैरान हो गए। उन्होंने प्रशासन को इसकी सूचना दी। इसके बाद एसडीएम नंदकिशोर मौर्य ने कहा कि, संबंधित विभागों से मछलियों के मरने की जानकारी ली जा रही है। मामले की जांच कराई जाएगी। काफी लंबे समय से मछली का काम कर कर रहे ठेकेदार ओम रत्न कश्यप कहते हैं कि बरसात में नालों में भरी सिल्ट पानी में आ जाती है। इससे मछली पानी के अंदर सांस नही ले पाती और उसकी मौत हो जाती है।
गंदे पानी में नहीं मिल पाती है ऑक्सीजन
इस मामले में सोसाइटी फॉर नेचर कंजर्वेशन के सचिव पर्यावरणविद् डॉ. राजीव चौहान ने बताया कि बरसात के मौसम में जब नदी में पहला फ्लड आता है तो उसके साथ सिल्ट भी आ जाती है। इससे पानी प्रदूषित हो जाता है। सिल्ट आने से नदी में मछलियों को दिखना बंद हो जाता है। उनके श्वसन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है, जिससे उनकी मौत हो जाती है। मछलियों को गंदे पानी में कम ऑक्सीजन मिलती है।
18 सेमी बढ़ा यमुना का जल स्तर
बारिश होने की वजह से यमुना का जलस्तर 18 सेमी. बढ़ गया है। यमुना नदी के कार्यस्थल प्रभारी अंचल वर्मा ने बताया कि, सोमवार को यमुना का जल स्तर 116.41 मीटर पर था जो, मंगलवार को दोपहर तक 116.59 मीटर हो गया। हालांकि, अब जल स्तर के और बढ़ने की संभावना नहीं है। यमुना का चेतावनी प्वाइंट 120.92 मीटर व खतरे का निशान 121.92 मीटर है।
[ad_2]
Source link