कोरोना और लॉकडाउन का दर्दनाक इफेक्ट: लॉकडाउन में मजदूरी गई, खाने को पैसे नहीं बचे तो दिल्ली से भोपाल पैदल निकल पड़ा दंपती, 8 दिन में आगरा पहुंचे तो भूख की तड़प ने बीमार कर दिया

कोरोना और लॉकडाउन का दर्दनाक इफेक्ट: लॉकडाउन में मजदूरी गई, खाने को पैसे नहीं बचे तो दिल्ली से भोपाल पैदल निकल पड़ा दंपती, 8 दिन में आगरा पहुंचे तो भूख की तड़प ने बीमार कर दिया

[ad_1]

  • Hindi News
  • Local
  • Uttar pradesh
  • Agra
  • No Work Due To Corona, Husband And Wife Came To Agra From Delhi On Foot Hungry And Asked For 300 In Government Hospital For Treatment

आगरा11 घंटे पहले

एसएन मेडिकल कालेज के बाहर इलाज के लिए तड़पती महिला।

कोरोना की दूसरी लहर के कम होने पर भले ही लॉकडाउन हट गया, लेकिन इसका साइड इफेक्ट अभी भी बरकरार है। आगरा से लॉकडाउन की ऐसी ही दर्दनाक तस्वीर और कहानी सामने आई है। यहां दिल्ली से पैदल भोपाल के लिए निकले दंपती बदहाल अवस्था में मिले।

भूखे-प्यासे 8 दिन में 200 किलोमीटर तक चलने से दोनों की हालत काफी खराब हो गई है। पत्नी का भूख से पेट दर्द होने लगा। सड़क पर महिला को तड़पता देख आस-पास के लोगों ने सरकारी अस्पताल पहुंचाया, लेकिन वहां उससे 300 रुपए मांग लिए गए। न मिलने पर महिला इमरजेंसी विभाग के बाहर ही तड़पती रही। मीडिया कर्मियों ने किसी तरह अस्पताल प्रशासन से बात करके उसे भर्ती कराया।

पहली लहर में सुपरवाइज़र ने मदद की, दूसरी में मौत हो गई
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के रहने वाले रमेश आदिवासी दिल्ली में मजदूरी करते हैं। नई तैयार होने वाली बिल्डिंग में पत्नी किरण के साथ पत्थर ढोने का काम करते हैं। रमेश बताते हैं कि कोरोना की पहली लहर में उसके सुपरवाइज़र ने उसकी काफी मदद की और छोटा मोटा काम भी दिलवाया। दूसरी लहर में हालात बेहद खराब हो गई। सुपरवाइजर मोहन भी कोरोना की चपेट में आ गया और उसकी मौत हो गई। फिर कंपनी ने उसकी बकाया मजदूरी का हिसाब न होने की बात कहकर उसे बिना मजदूरी दिए भगा दिया।

अस्पताल के बाहर तड़पती महिला।

अस्पताल के बाहर तड़पती महिला।

भूखे मरने की नौबत आई तो पैदल ही निकल पड़े
रमेश ने बताया कि उनके पास दिल्ली में न तो कोई काम था और न ही जेब में पैसे। जब भूखे मरने की नौबत आ गई तो वह पैदल ही भोपाल के लिए निकल पड़े। आठ दिन तक वह पैदल चलते रहे। रास्ते में लोगों से मांगकर कुछ न कुछ खाकर गुजारा कर लेते थे और सड़क किनारे सो लेते थे। 200 किलोमीटर पैदल चलकर आगरा पहुंचे तो दोनों को खाना नहीं मिला। सोमवार से ही दोनों भूखे थे। आगरा पहुंचते ही महिला की हालत खराब हो गई। भूख के मारे उसका पेट दर्द करने लगा। वह बीच सड़क ही तड़पने लगी। आस-पास के लोगों ने देखा तो उसे सरकारी अस्पताल पहुंचा दिया।

तड़पती महिला से अस्पताल ने मांग लिए 300 रुपए
रमेश बताते हैं कि सड़क किनारे पत्नी को तड़पता देख कुछ लोगों ने एसएन मेडिकल कॉलेज पहुंचा दिया। यहां अस्पताल के स्टाफ ने भर्ती करने के लिए उनसे 300 रुपए मांग लिए। पैसे के चलते दो दिन से भूखे रमेश परेशान हो गए। इमरजेंसी के बाहर ही दंपति रोने लगा। ये देख मीडिया कर्मियों ने उसकी मदद की और अस्पताल में भर्ती कराया।
रमेश कहते हैं कि मध्य प्रदेश में मजदूरों की बात टोल फ्री नंबर पर एक बार में सुन ली जाती है। यहां तो कोई सुनने वाला ही नहीं है। रमेश कहते हैं कि उनके लिए मीडिया कर्मी भगवान बनकर सामने आए। अगर वो नहीं होते तो उनकी पत्नी तड़पकर मर जाती। उधर, मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल संजय काला ने मामले की जानकारी न होने की बात कही। उन्होंने कहा कि घटना की जानकारी लेकर उसकी जांच कराई जाएगी।

ये तस्वीर 27 मार्च की दिल्ली-यूपी बॉर्डर की है। लॉकडाउन लगने के दो दिन बाद ही प्रवासी मजदूर बच्चों को कंधे पर बैठाकर पैदल ही घर के लिए निकल पड़े थे।

ये तस्वीर 27 मार्च की दिल्ली-यूपी बॉर्डर की है। लॉकडाउन लगने के दो दिन बाद ही प्रवासी मजदूर बच्चों को कंधे पर बैठाकर पैदल ही घर के लिए निकल पड़े थे।

कोरोना की पहली लहर में बड़ी संख्या में मजदूरों ने पलायन किया था
कोरोना की पहली लहर के दौरान बड़ी संख्या में मजदूरों ने दिल्ली और मुंबई से पलायन किया था। ज्यादातर मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के थे। उस दौरान कई दर्दनाक कहानियां और तस्वीरें सामने आई थी। इसके बाद राज्य और केंद्र सरकारों ने प्रवासी मजदूरों के लिए कई तरह की योजनाएं भी चलाई थीं।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Published By:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *