दोस्त को बचाने में शहीद हुआ मेजर: अरुणाचल में तैनात हरदोई के मेजर ने दिखाई जांबाजी, 15 हजार फीट की ऊंचाई से गिर रहे दोस्त को बचाया, खुद हो गए शहीद

दोस्त को बचाने में शहीद हुआ मेजर: अरुणाचल में तैनात हरदोई के मेजर ने दिखाई जांबाजी, 15 हजार फीट की ऊंचाई से गिर रहे दोस्त को बचाया, खुद हो गए शहीद

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हरदोई16 घंटे पहले

पिता अवधेश ने बताया कि 19 जुलाई की दोपहर उनके पास फोन आया कि एक हादसा हुआ है जिसमें पंकज को गंभीर चोटें आईं हैं।

उत्तर प्रदेश के हरदोई के रहने वाले मेजर साथी को बचाने में शहीद हो गए। अरुणाचल प्रदेश के तंबौला में उनकी तैनाती थी। 15 हजार फीट की ऊंचाई से गिरने पर वह बुरी तरह घायल हो गए। गुरुवार देर रात गुवाहाटी के हॉस्पिटल में उन्होंने दम तोड़ दिया। मेजर की मौत की खबर मिलते ही उनके घर व जिले में शोक की लहर दौड़ गई।

हरदोई शहर से सटे महोलिया शिवपार निवासी व्यवसायी अवधेश पांडे के दो बेटे हैं। बड़ा बेटा पंकज पांडेय व छोटा बेटा आशीष पांडेय। पंकज पांडेय सेना में मेजर थे। पिता अवधेश ने बताया कि 19 जुलाई की दोपहर उनके पास फोन आया कि एक हादसा हुआ है जिसमें पंकज को गंभीर चोटें आईं हैं। इसके बाद वे फौरन बेटे आशीष के साथ गुवाहाटी हॉस्पिटल पहुंचे। पंकज को गंभीर चोटें आईं थी, उन्हें बचाया नहीं जा सका।

पिता अवधेश ने फोन पर बताया कि पंकज ने प्रारंभिक शिक्षा सीतापुर महोली निवासी मामा सुधाकर शुक्ला के यहां से की। उसके बाद इनका चयन सीडीएस में वर्ष 2008 में हो गया था।

पिता अवधेश ने फोन पर बताया कि पंकज ने प्रारंभिक शिक्षा सीतापुर महोली निवासी मामा सुधाकर शुक्ला के यहां से की। उसके बाद इनका चयन सीडीएस में वर्ष 2008 में हो गया था।

देहरादून में ट्रेनिंग हुई, फिर हिमाचल व असम में ही तैनाती मिली। बताया कि बचपन से ही पंकज सेना में जाने को लेकर काफी उत्साहित रहता था। उसने अपने सपने को सच किया था।

देहरादून में ट्रेनिंग हुई, फिर हिमाचल व असम में ही तैनाती मिली। बताया कि बचपन से ही पंकज सेना में जाने को लेकर काफी उत्साहित रहता था। उसने अपने सपने को सच किया था।

खाई में गिर रहा था साथी
पंकज की रेजीमेंट बी सिख के अधिकारियों ने बताया कि 19 जुलाई की सुबह करीब 15 हजार फीट पर ड्यूटी के दौरान एक साथी खाई में गिर रहा था, जिसको पंकज ने बचाने का प्रयास किया। इस दौरान पंकज संभल नहीं पाए और उसके साथ ही नीचे खाई में गिरे। काफी देर के प्रयास के बाद दोनों को निकाला गया। पंकज के सिर से लेकर गर्दन तक गंभीर चोटें आईं थीं।

छुट्टी पर आए मेजर पंकज पांडेय अपनी बेटी व पिता के साथ।

छुट्टी पर आए मेजर पंकज पांडेय अपनी बेटी व पिता के साथ।

साथी खतरे से बाहर
दोनों को गुवाहाटी के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। यहां साथी तो खतरे से बाहर है, लेकिन पंकज ने दम तोड़ दिया। भाई आशीष ने बताया कि पंकज के शव को सैन्य सम्मान के साथ मुख्य यूनिट असम लेखापानी में शनिवार को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। उसके बाद उनका वहीं अंतिम संस्कार किया जाएगा।

पांच वर्ष पूर्व हुआ था विवाह
पंकज की शादी पांच साल पहले कंचन के साथ हुई थी। उसकी एक डेढ़ साल की बेटी अरू है। सूचना के बाद से पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। उनके शहीद होने की सूचना के बाद वह भी बाकी परिजनों के साथ गुवाहाटी के लिए रवाना हो गईं।

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