धरती की ओर बढ़ रहा एस्टेरॉयड: पृथ्वी के करीब से कुछ ही घंटों में गुजरेगा 4 फुटबॉल के मैदान जितना बड़ा उल्का पिंड, रात 11: 21 बजे पृथ्वी के सबसे करीब होगा

धरती की ओर बढ़ रहा एस्टेरॉयड: पृथ्वी के करीब से कुछ ही घंटों में गुजरेगा 4 फुटबॉल के मैदान जितना बड़ा उल्का पिंड, रात 11: 21 बजे पृथ्वी के सबसे करीब होगा

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भुवनेश्वर16 मिनट पहले

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धरती की ओर बढ़ रहा एस्टेरॉयड: पृथ्वी के करीब से कुछ ही घंटों में गुजरेगा 4 फुटबॉल के मैदान जितना बड़ा उल्का पिंड, रात 11: 21 बजे पृथ्वी के सबसे करीब होगा

ये एस्टेरॉयड 29 हजार किलोमीटर प्रति घंटे यानी औसतन 8 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रहा है।

आज देर रात करीब 3 बजे चार फुटबॉल के मैदान जितना बड़ा एस्टेरॉयड (क्षुद्रग्रह) पृथ्वी के पास से गुजरेगा। ये 29 हजार किलोमीटर प्रति घंटे यानी औसतन 8 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रहा है। नासा ने इस उल्का पिंड का नाम ‘2008 GO20’ है। ये एक अपोलो क्लास एस्टेरॉयड है।

पहले आशंका जताई गई थी कि इससे धरती को बड़ा नुकसान हो सकता है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब इस ऐसा कोई खतरा नहीं है। ओडिशा स्थित पठानी सामंत प्लेनेटेरियम के डिप्टी डायरेक्टर डॉ सुवेंदु पटनायक ने कहा कि ‘2008 G20’ भारतीय समयानुसार 25 जुलाई 2021 को रात 11.21 बजे पृथ्वी के सबसे करीब होगा। उन्होंने कहा कि विशाल क्षुद्रग्रह की चौड़ाई 97 मीटर और लंबाई 230 मीटर होने का अनुमान है जो कि चार फुटबॉल मैदानों के आकार के बराबर है।

2034 में पृथ्वी की ओर फिर आएगा उल्का पिंड
‘2008 GO20’ एस्टेरॉयड के धरती से टकराने की कोई आशंका नहीं है। डॉ. पटनायक ने बताया कि ऐसा एस्टेरॉयड पहले भी पृथ्वी के ऊपर से गुजर चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि यह क्षुद्रग्रह 2034 में फिर से पृथ्वी पर आएगा। पटनायक ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया, ‘हमें घबराना नहीं चाहिए। हम कह सकते हैं कि यह पृथ्वी से नहीं टकराएगा।’

पहले भी पृथ्वी के काफी करीब आ चुका है एस्टेरॉयड
डॉ. पटनायक ने आगे बताया कि यह क्षुद्रग्रह 1935 और 1977 में पृथ्वी से क्रमशः 19 लाख किमी और 29 लाख किमी की दूरी से गुजर चुका है। उस समय, यह उड़ गया और कभी पृथ्वी की ओर नहीं आया। इस बार यह लगभग 45 लाख किमी है, जो पृथ्वी-चंद्रमा की दूरी से लगभग 11 से 12 गुना अधिक है, इसलिए पृथ्वी से टकराने का कोई खतरा नहीं है।

99.9% क्षुद्र ग्रह वायुमंडल में जल कर राख हो जाते हैं
डॉ. पटनायक ने कहा कि मंगल और बृहस्पति के बीच कई क्षुद्रग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इनका आकार एक मीटर से लेकर सैकड़ों किलोमीटर तक होता है। ये लाखों क्षुद्र ग्रह कभी-कभी गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी की ओर आकर्षित होते हैं। उन्होंने कहा कि पृथ्वी की सतह पर गिरने से पहले उनमें से 99.9% वायुमंडल में जल कर राख हो जाते हैं।

23,628 से अधिक बड़े क्षुद्रग्रह, इनमें 1,045 खतरनाक
वैज्ञानिकों ने अब तक 23,628 से अधिक बड़े क्षुद्रग्रहों की एक सूची तैयार की है जो पृथ्वी के करीब जाते हैं। वैज्ञानिक इनकी गतिविधियों की निगरानी कर रहे हैं। इनमें से केवल 1,045 को खतरनाक माना गया है, जिन्हें नियर अर्थ ऑब्जेक्ट्स (NEO) नाम दिया गया है। कई संगठन, वैज्ञानिक ऐसी वस्तुओं पर नजर रख रहे हैं जो धरती के करीब पहुंच रही हैं। इस तरह की तबाही से पृथ्वी को कैसे बचाना है, इस पर खगोलविद और वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं।

धरती के कितने करीब से गुजरेगा एस्टेरॉयड?
नासा के मुताबिक, जब ये एस्टेरॉयड गुजरेगा तो पृथ्वी से इसकी दूरी 0.04 AU रहेगी यानी 37 लाख 18 हजार 232 मील। पृथ्वी से इसकी दूरी को ऐसे समझा जा सकता है कि चंद्रमा हमारी सतह से 2 लाख 38 हजार 606 मील दूर है। यानी ये चांद से भी बहुत ज्यादा दूरी से गुजरेगा।

नासा ने नियर अर्थ ऑब्जेक्ट्स कैटेगरी में रखा
नासा ने भी कहा है कि इस एस्टेरॉयड से धरती को कोई नुकसान नहीं है। किसी भी स्थिति में इस उल्का पिंड के 26 लाख 5 हजार 509 मील से ज्यादा करीब आने की आशंका नहीं है। हालांकि, इस स्थिति में भी नासा ने इसे NEO ऑब्जेक्ट यानी पृथ्वी के करीब का ऑब्जेक्ट कहा है। इससे पहले चीन ने प्रपोजल रखा था कि अगर इस उल्का पिंड के पृथ्वी से टकराने का खतरा बढ़ता है तो अंतरिक्ष में बड़े रॉकेट भेज दिए जाएं, ताकि इसका रास्ता बदल जाए।

क्या केवल यही एस्टेरॉयड है, या और भी हैं?
नासा के मुताबिक 24 जुलाई तक पृथ्वी के आसपास से 2021 NE, 2019 AT6, 2019 NB7 और 2014 BP43 जैसे एस्टोरॉयड भी गुजरेंगे, लेकिन किसी से भी कोई खतरा नहीं है।

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