कोरोना की वजह से पढ़ाई से वंचित मूक-बधिर छात्र: 7 राज्यों के 90 हजार से ज्यादा मूक-बधिर बच्चों की पढ़ाई ठप, मोबाइल सुविधा भी नहीं

कोरोना की वजह से पढ़ाई से वंचित मूक-बधिर छात्र: 7 राज्यों के 90 हजार से ज्यादा मूक-बधिर बच्चों की पढ़ाई ठप, मोबाइल सुविधा भी नहीं

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24 मिनट पहले

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कोरोना की वजह से पढ़ाई से वंचित मूक-बधिर छात्र: 7 राज्यों के 90 हजार से ज्यादा मूक-बधिर बच्चों की पढ़ाई ठप, मोबाइल सुविधा भी नहीं

कोरोनाकाल के 16 महीनों में शिक्षा से दूर हो गए मासूम।

  • विशेषज्ञ बोले- सरकार ने कदम नहीं उठाया तो निरक्षरता दर 75% होगी
  • मप्र समेत कई राज्यों में इन बच्चों के लिए मंत्रालय द्वारा दिए जाने वाले फंड से संचालित हॉस्टल भी बंद हो गए

देश के 7 राज्यों के 90,609 से अधिक मूक-बधिर बच्चे कोरोना महामारी की वजह से पिछले सोलह महीनों से पढ़ाई से पूरी तरह वंचित हो गए हैं। कारण- इनके स्कूल और छात्रावास बंद हैं। देशभर में सामान्य बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास ताे चल रही है, लेकिन मूक-बधिर बच्चों के लिए ऐसा कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है।

न तो इन बच्चों के पास मोबाइल है, न ही ऑनलाइन पढ़ाई के लिए ट्रेंड शिक्षक। यहां तक कि केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया ई-विद्या पोर्टल भी इनकी जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहा है। कई राज्यों में इन छात्रों के लिए हॉस्टल भी मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा दिए जाने वाले फंड के अभाव में बंद हो गए हैं।

देशभर में 2.68 करोड़ दिव्यांग हैं, जिनमें से 45% यानी 1.21 कराेड़ निरक्षर हैं। भास्कर ने 7 राज्यों में पड़ताल की। राजस्थान में मूक बधिरों के लिए संचालित स्कूलों में 1100, छत्तीसगढ़ में 4625, बिहार में 2500, झारखंड में 2200, यूपी में 70000, हिमाचल में 284 और मप्र में करीब 5500 बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह ठप है और इनके लिए संचालित हॉस्टल भी बंद कर दिए गए हैं। विशेषज्ञाें का कहना है कि समय रहते अगर सरकार ने अगर इनकी शिक्षा को लेकर कदम नहीं उठाए ताे इनमें निरक्षरता की दर 75% तक बढ़ सकती है।

मप्र: 3400 बच्चों के हॉस्टल बंद, शिक्षक भी बेरोजगार हुए

मध्यप्रदेश में विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के लिए 2008 में स्थापित किए गए 68 हॉस्टल पूरी तरह बंद हो गए हैं। 3400 बच्चों की पढ़ाई पिछले डेढ़ साल से बंद है। यहां तक कि पढ़ाने वाले शिक्षक, वॉर्डन और चौकीदार तक बेरोजगार हो गए हैं। दिव्यांग पुनर्वास कार्यकर्ता शिवांसु शुक्ला बताते हैं कि यदि फंड जारी नहीं किया गया तो ये बच्चे आगे अपनी पढ़ाई कैसे जारी रखेंगे, इस पर सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिए।

राजस्थान: मिशन समर्थ से बना सिलेबस, वीडियो लाइब्रेरी भी

राजस्थान में मूक बधिर बच्चों के लिए तीन स्कूल जयपुर, बीकानेर और बांसवाड़ा में हैं। इसके अलावा सामान्य बच्चों के साथ करीब 5500 बच्चे पढ़ रहे हैं। हालांकि, राज्य सरकार ने इन बच्चों के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए मिशन समर्थ प्रोजेक्ट के तहत 12वीं तक के छात्रों के लिए वीडियो लाइब्रेरी के रूप मेंे सिलेबस तैयार किया है और उसे इन छात्रों के बीच पहुंचाया भी जा रहा है ताकि उनकी पढ़ाई किसी भी रूप में बाधित न हो।

छत्तीसगढ़: विजुअल कोर्स का मोबाइल बिना उपयोग नहीं

छत्तीसगढ़ में इन बच्चों के लिए विजुअल कोर्स तो बनाया गया है, लेकिन ज्यादातर बच्चों के पास मोबाइल न होने व ठीक से दिखाई न देने की वजह से इसका समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसमें ट्रेंड शिक्षकों की कमी भी महसूस की जा रही है। रायपुर जिले में सभी बच्चों को सरकार की तरफ से मोबाइल बांटे गए हैं। बड़े बच्चों को लैपटाप देने की केंद्र की योजना भी है, लेकिन कंपनी द्वारा तय मापदंड पूरा न करने की वजह से टेंडर निरस्त हो गया।

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