चीन की नई साजिश: लद्दाख से लगी सीमा पर नया लड़ाकू विमान बेस बना रहा है चीन, निशाने पर भारत के 2 फाइटर एयरबेस
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नई दिल्ली19 मिनट पहले
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गलवान हिंसा में भारतीय जवानों से मुंह की खाया चीन अब पूर्वी लद्दाख के करीब झिंजियांग प्रांत के शाक्चे शहर में नया लड़ाकू विमान बेस बना रहा है। ये निर्माण भारत के काशगर और होगन के मौजूदा फाइटर एयरबेस को टारगेट कर बनाया जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, शाक्चे में पहले से एयरबेस बना हुआ था, लेकिन चीन इसे अब अपने फाइटर प्लेन के हिसाब से डेवलप कर रहा है। चीन इस बेस के जरिए भारत से लगी सीमा पर अपनी एयरफोर्स को मजबूत करने में लगा हुआ है। लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए LAC के करीब चीन में मौजूदा हवाई अड्डों के बीच की दूरी लगभग 400 किलोमीटर थी, लेकिन इस निर्माण के साथ यह दूरी और कम हो जाएगी।
चीन तेजी से बढ़ा रहा साजो-सामान
चीन ने भारतीय सीमा सी लगे क्षेत्रों में खुद को साजो सामान से लैस करना शुरू कर दिया है। साथ ही सुरक्षा उपकरणों की भी तादाद बढ़ा रहा है। चीन ने हाल ही में रूस निर्मित एयर डिफेंस सिस्टम S-400 इस क्षेत्र में तैनात किया है।
भारत ने भी चीनी लड़ाकू विमानों की निगरानी के लिए अपना एयर डिफेंस सिस्टम लगा रखा है। इसके साथ ही कई लड़ाकू विमानों की भी तैनाती की गई है। ये चीन और पाकिस्तान दोनों देशों का एक साथ मुकाबला करने में सक्षम हैं। भारत ने फ्रांस निर्मित राफेल लड़ाकू विमानों को अंबाला और हाशिमारा एयरबेस पर तैनात कर चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों को कड़ा संदेश दिया है।
चीन ने ने हाल ही में रूस निर्मित एयर डिफेंस सिस्टम S-400 इस क्षेत्र में तैनात किया है।
उत्तराखंड सीमा पर भी ड्रोन एक्टिविटी बढ़ी
चीन ने उत्तराखंड से लगी भारतीय सीमा पर भी ड्रोन एक्टिविटी बढ़ा दी है। भारतीय एजेंसियां लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, उत्तराखंड के बाराहोती से लगी सीमा पर चीनियों ने ड्रोन गतिविधि तेजी से बढ़ी है।
हाल ही में चीनी एयरफोर्स ने भारतीय सीमा से लगे इलाकों में सैन्य एक्सरसाइज की है। चीनी विमानों के द्वारा होगन, काशगर और गार गुनसा हवाई क्षेत्रों से उड़ानें भरीं गईं। सूत्रों के मुताबिक, इन क्षेत्रों में हवा से लेकर जमीन पर चीनी सेना भारत के सामने हमेश से कमजाेर रही है।
जून 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प में भी ड्रैगन को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। इस घटना में भारत के जहां 20 जवान शहीद हुए थे, वहीं चीन की सरकार पहले तो किसी भी नुकसान से इनकार करती रही। बाद में उसने 4 सैनिकों के मारे जाने की बात मानी थी।
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