संसद में फोन टेपिंग पर बवाल: विपक्ष ने फोन टेपिंग की स्वतंत्र जांच की मांग की; सरकार बोली- लीक डेटा का जासूसी से लेना-देना नहीं, यह लोकतंत्र को बदनाम करने की साजिश
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6 मिनट पहले
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संसद में फोन टेपिंग पर सरकार का पक्ष रखते संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव।
इजराइली कंपनी के पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए फोन टेपिंग की रिपोर्ट पर सोमवार को संसद में जमकर बवाल हुआ। कांग्रेस ने पत्रकारों समेत दूसरी हस्तियों के फोन टेपिंग की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की। सरकार ने इसे खारिज करते हुए कहा कि रिपोर्ट में लीक हुए डेटा का जासूसी से कोई लेना-देना नहीं है। 16 मीडिया समूहों की साझा पड़ताल के बाद जारी इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए सरकार पत्रकारों समेत जानी-मानी हस्तियों की जासूसी करा रही है।
संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘रविवार की रात को एक वेब पोर्टल ने बेहद सनसनीखेज स्टोरी पब्लिश की। इसमें कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के एक दिन पहले इस स्टोरी को लाया गया। यह सब संयोग नहीं हो सकता। पहले भी वॉट्सऐप पर पेगासस के इस्तेमाल को लेकर इसी तरह के दावे किए गए थे। उन रिपोर्ट्स में भी कोई फैक्ट नहीं थे और उन्हें सभी ने नकार दिया था। 18 जुलाई को छपी रिपोर्ट भारत के लोकतंत्र और उसके संस्थानों की छवि खराब करने की कोशिश दिखाई देती है।’
रविवार रात को जारी मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में इजराइली सॉफ्टवेयर से पत्रकारों समेत जानी-मानी हस्तियों के फोन टेप किए गए हैं।
जासूसी और अवैध निगरानी के खिलाफ सख्त प्रावधान
वैष्णव ने कहा, ‘किसी प्रकार की जासूसी और अवैध निगरानी के खिलाफ हमारे देश में सख्त कानून हैं। देश के अंदर प्रक्रिया के तहत ऐसा करने की व्यवस्था है। राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर किसी इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन को सर्विलांस करते समय नियम-कानून का पूरी तरह से पालन किया जाता है।’
अश्विनी ने कहा कि उन लोगों को दोष नहीं दिया जा सकता, जिन्होंने वह मीडिया रिपोर्ट विस्तार से नहीं पढ़ी। सदन के सभी सदस्यों से अनुरोध है कि वे तथ्य और तर्क के आधार पर इस मुद्दे पर चर्चा करें। रिपोर्ट एक कंसोर्टियम (समूह) को आधार बनाकर पब्लिश की गई है। इस ग्रुप की पहुंच लीक हुए 50,000 फोन नंबरों के डेटाबेस तक है।
16 मीडिया समूहों की रिपोर्ट में था फोन टेपिंग का दावा
रविवार रात को 16 मीडिया समूहों की साझा पड़ताल के बाद जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि इजराइल की एक हैकिंग फर्म ने दुनियाभर में सरकारों को जासूसी में मदद की है। इस रिपोर्ट में दुनियाभर में 180 से ज्यादा रिपोर्टरों और संपादकों की पहचान की गई है, जिन्हें सरकारों ने निगरानी सूची में रखा है। इन देशों में भारत भी शामिल है, जहां सरकार और प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करने वाले पत्रकार निगरानी के दायरे में थे।
पेगासस ने भी आंकड़ों को गलत बताया था
पेगासस की पेरेंट कंपनी NSO ग्रुप ने फोन हैकिंग पर रविवार को जारी की गई रिपोर्ट को गलत बताया है। NSO के बयान में कहा गया, ‘रिपोर्ट गलत अनुमानों और अपुष्ट थ्योरी से भरी हुई है। यह रिपोर्ट ठोस तथ्यों पर आधारित नहीं है। रिपोर्ट में दिया गया ब्योरा हकीकत से परे है।’ वहीं, दुनियाभर के पत्रकारों की जासूसी कराने की लिस्ट को लेकर भी कंपनी ने कहा, ‘पेगासस इस्तेमाल करने वाले देशों की लिस्ट पूरी तरह गलत है। इनमें से कई तो पेगासस के क्लाइंट्स भी नहीं हैं।’
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