संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं पर चढ़ूनी की चुटकी: काफिला लेकर दिल्ली रवाना होने से पहले बोले-एक बार पत्नी ने भी सस्पेंड किया था-आठवें दिन वही मनाने आई

संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं पर चढ़ूनी की चुटकी: काफिला लेकर दिल्ली रवाना होने से पहले बोले-एक बार पत्नी ने भी सस्पेंड किया था-आठवें दिन वही मनाने आई

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करनालएक घंटा पहले

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संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं पर चढ़ूनी की चुटकी: काफिला लेकर दिल्ली रवाना होने से पहले बोले-एक बार पत्नी ने भी सस्पेंड किया था-आठवें दिन वही मनाने आई

करनाल में दिल्ली रवाना होने से पहले मीडिया से बात करते भाकियू हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी।

नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में शामिल होने के लिए यमुनानगर से चला किसानों का काफिला मंगलवार को करनाल पहुंचा। काफिले की अगुवाई भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा एक हफ्ते के लिए सस्पेंड किए गए चढ़ूनी ने इशारों-इशारों में मोर्चे की अगुवाई कर रहे किसान नेताओं पर चुटकी लेते हुए कहा, ‘एक बार मुझे मेरी पत्नी ने भी सस्पेंड कर दिया था। फिर आठवें दिन वो खुद ही मनाने आ गई थी।’

चर्चा है कि इस काफिले के जरिये चढ़ूनी संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई कर रहे नेताओं को अपनी ताकत दिखाने निकले हैं। इससे पहले करनाल पहुंचने पर चढ़ूनी का भव्य स्वागत किया गया। संयुक्त किसान मोर्चे का संचालन करने वाली कमेटी में शामिल किसान जत्थेबंदियों के नेताओं से मतभेद संबंधी सवाल पर चढ़ूनी ने कहा, ‘ये विचारधारा का फर्क है। मेरी विचारधारा है कि मिशन पंजाब होना चाहिए जबकि अन्य जत्थेबंदियों के आगुओ की विचारधारा है मिशन यूपी। वह यूपी में भाजपा को हराने के लिए अभियान चला रहे हैं।’

चढ़ूनी ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चे की मीटिंगों में होने वाली अंदरूनी बातें मीडिया के सामने नहीं आनी चाहिए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के उस बयान, जिसमें तोमर ने दावा किया था कि 11 दौर की बातचीत में किसान नेता कृषि कानूनों में एक भी खामी नहीं बता पाए थे, पर निशाना साधते हुए चढ़ूनी ने कहा कि सरकार भी इन बैठकों में नए कानूनों का एक फायदा नहीं बता पाई। अगर इनका कोई फायदा है तो मीडिया के जरिये बताएं।

चढ़ूनी ने कहा कि नए कानून अगर वापस हो जाएं तो यह एक तरह से किसानों के डेथ वारंट वापस होने जैसा होगा। किसान उसके बाद भी वेंटिलेटर पर ही रहेगा। अगर किसान को वेंटिलेटर से उतारना है तो फिर उन सभी कानूनों को वापस करना होगा जिससे खेती कमजोर हो रही है और कॉरपोरेट ऊपर जा रहा है।

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