संघ प्रमुख पर मायावती का हमला: बोलीं, मोहन भागवत का बयान मुंह में राम बगल में छुरी जैसा है, इनपे कोई भी विश्वास नहीं करेगा
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लखनऊकुछ ही क्षण पहले
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मायावती ने धर्मांतरण के मुद्दे पर भी खुलकर अपना पक्ष रखा। कहा कि जबरन और लालच देकर धर्मांतरण कराना गलत है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
BSP प्रमुख मायावती ने संघ प्रमुख मोहन भागवत पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का धर्म को लेकर दिया गया बयान मुंह में राम और बगल में छुरी जैसा है। इनके बयान पर कोई भी विश्वास नहीं करेगा। मायावती ने धर्मांतरण के मुद्दे पर भी खुलकर अपना पक्ष रखा। कहा कि जबरन और लालच देकर धर्मांतरण कराना गलत है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
मायावती ने कहा, RSS प्रमुख का कल दिया गया बयान लोगों को अविश्वसनीय लगता है। बोलीं, जब तक RSS और BJP एंड कंपनी और इनकी सरकारों की संर्किण सोच और कार्यशैली में सर्व समाज हितैषी सामाजिक परिवर्तन नहीं आएगा तब तक इनकी बातों पर मुस्लिम समाज द्वारा विश्वास करना मुश्किल लगता है।
धर्मांतरण पर क्या बोलीं
- देश में लाचल और डरा-धमकाकर जबरन धर्म परिवर्तन कराना ठीक नहीं है।
- ऐसे मामलों की सही जांच कराकर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
- अगर इसके पीछे कोई भी देश विरोधी साजिश है तो ऐसे लोगों के खिलाफ तो सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
धर्मांतरण के मुद्दे को हिंदू-मुस्लिम करना ठीक नहीं
मायावती ने कहा, धर्मांतरण मामले की आड़ लेकर हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा बनाना और पूरी मुस्लिम समाज को निशाने पर लेना ठीक नहीं है। BSP इसका पुरजोर विरोध करेगी। मायावती ने केंद्र और राज्य सरकार पर भी निशाना साधा। कहा कि अगर धर्म परिवर्तन की आड़ में ये साजिश चल रही है, तो इतने लंबे समय से अपने देश की खुफिया जांच एजेंसियां क्या कर रही थी?
राफेल मामले का संज्ञान ले केंद्र सरकार
BSP प्रमुख मायावती ने फाइटर जेट राफेल की खरीद में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सही जांच कराने की मांग भी की। सोमवार को सोशल मीडिया पर मायावती ने कहा, ‘भारत सरकार की राफेल लड़ाकू विमान खरीद में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों पर फ्रांस की सरकार द्वारा बैठाई गई न्यायिक जांच की खबर देश-दुनिया में सुर्खियों में आने से यह मामला फिर से जनचर्चाओं में आ गया है। केन्द्र की सरकार भी इसका उचित संज्ञान ले तो बेहतर होगा।’
उन्होंने कहा, “वैसे तो रक्षा सौदों में कमीशन का आरोप-प्रत्यारोप व इसकी जांच आदि होना कोई नया नहीं है, बल्कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के समय से ही इसका पुराना ज्वलन्त अध्याय रहा है। अगर केन्द्र की वर्तमान सरकार राफेल विवाद का जनसंतोष के मुताबिक निपटारा करके इस मुद्दे को विराम दे तो उचित होगा।”
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