शिअद(संयुक्त) में बगावत के आसार: भाजपा से गठबंधन पर राजी नहीं नेता; वरिष्ठ नेता ब्रह्मपुरा नाराज; 21 की मीटिंग में होगा अंतिम फैसला
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चंडीगढ़11 घंटे पहले
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पंजाब चुनाव के लिए भाजपा से गठबंधन करने पर शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) में भी बगावत के आसार बन गए हैं। संगठन अध्यक्ष सुखदेव ढींढसा के इस कदम से कार्यकर्ताओं और नेताओं में नाराजगी है। खासकर वरिष्ठ नेता रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा इससे नाखुश बताए जा रहे हैं। करीब एक हफ्ते पहले भी इसको लेकर नाराजगी बताई गई थी।
इसके बावजूद ढींढसा दिल्ली जाकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले। अब 21 दिसंबर को फिर पार्टी की मीटिंग बुलाई गई है, जिसमें आगे का फैसला लिया जा सकता है। अकाली दल में प्रकाश सिंह बादल के बाद रणजीत ब्रह्मपुरा और सुखदेव ढींढसा वरिष्ठ नेता थे, जिन्होंने बाद में अकाली दल छोड़ शिअद संयुक्त बना लिया था।
पंजाब में कैप्टन और भाजपा इस बार शिअद संयुक्त के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले हैं।
वर्करों का तर्क- भाजपा के प्रति पंजाब में नाराजगी
शिअद संयुक्त के वर्करों का तर्क है कि भले ही केंद्र ने कृषि सुधार कानून वापस ले लिए हों, लेकिन किसान आंदोलन के चलते लोगों में नाराजगी बरकरार है। इसके अलावा कैप्टन अमरिंदर सिंह की कारगुजारी को लेकर भी लोग नाखुश हैं। ऐसे में भाजपा और कैप्टन अमरिंदर सिंह से गठजोड़ करने पर पार्टी को चुनाव में नुकसान हो सकता है।
ब्रह्मपुरा बोले- गठबंधन हुआ तो पार्टी में नहीं रहेंगे
रणजीत ब्रह्मपुरा ने कहा कि पार्टी के वर्करों ने इस बात पर पहले ही नाराजगी जताई है कि वह भाजपा से गठबंधन के लिए राजी नहीं हैं। उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाए कि जब पार्टी सहमत नहीं तो फिर ढींढसा अमित शाह से क्यों मिले? अगर शिअद संयुक्त भाजपा से गठबंधन करता है तो वह पार्टी में नहीं रहेंगे।
अकाली दल ने ब्रह्मपुरा की सीट खाली छोड़ी
खास बात यह है कि अकाली दल अभी तक 90 से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुका है, लेकिन खडूर साहिब सीट खाली है। यह वही सीट है, जहां से शिअद संयुक्त के वरिष्ठ नेता रणजीत ब्रह्मपुरा विधायक रह चुके हैं। इस बात को लेकर भी चर्चा है कि ब्रह्मपुरा वापस अकाली दल (बादल) में लौट सकते हैं। हालांकि ब्रह्मपुरा का कहना है कि उन्होंने इसके बारे में अभी कुछ नहीं सोचा।
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