वोडाफोन आइडिया मुश्किल में: कुमार मंगलम बिड़ला ने कंपनी के नॉन एग्जिक्युटिव चेयरमैन पद से दिया इस्तीफा, दो दिन पहले हिस्सेदारी बेचने का दिया था ऑफर

वोडाफोन आइडिया मुश्किल में: कुमार मंगलम बिड़ला ने कंपनी के नॉन एग्जिक्युटिव चेयरमैन पद से दिया इस्तीफा, दो दिन पहले हिस्सेदारी बेचने का दिया था ऑफर

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मुंबई4 घंटे पहलेलेखक: अजीत सिंह

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वोडाफोन आइडिया मुश्किल में: कुमार मंगलम बिड़ला ने कंपनी के नॉन एग्जिक्युटिव चेयरमैन पद से दिया इस्तीफा, दो दिन पहले हिस्सेदारी बेचने का दिया था ऑफर
  • वोडाफोन आइडिया का शेयर आज 20% टूट कर 5.94 रुपए पर चला गया है
  • पिछले 3 सालों में 85% तक टूटा शेयर, अगस्त 2018 में 33 रुपए पर था

कुमार मंगलम बिड़ला ने बुधवार को वोडाफोन आइडिया (VI) के नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया। वोडाफोन आइडिया ने बताया कि कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने बिड़ला का इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया है। वह 4 अगस्त तक अपने पद पर रहेंगे।

बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने हिमांशु कपानिया को कंपनी का नया नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन चुना है। वर्तमान में हिमांशु कंपनी में नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं।

बिड़ला ने की थी अपनी हिस्सेदारी छोड़ने की पेशकश
हाल ही में आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने भारी कर्ज में डूबी टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) में अपनी हिस्सेदारी छोड़ने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि वह अपनी हिस्सेदारी सरकार या किसी अन्‍य कंपनी, जिसे सरकार समझे कि वह चला सकती है, को देने को तैयार हैं।

कुमार मंगलम बिड़ला द्वारा राजीव गाबा को लिखे पत्र के बाद शेयर बाजार में वोडाफोन आइडिया का शेयर शेयर जमकर टूटा। 4 अगस्त को यह 20% टूट कर 5.94 रुपए पर पहुंच गया।

सरकार दे सकती है राहत पैकेज
खबर है कि सरकार टेलीकॉम सेक्टर को एक राहत पैकेज देने की तैयारी कर रही है। इसका प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा गया है। इस महीने के अंत तक इसकी घोषणा हो सकती है। लेकिन आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला की पेशकश पर सरकार ने किसी भी तरह का प्लान नहीं बनाया है। बिड़ला ने सरकार को भेजे पत्र में अपील की है कि वह वोडाफोन आइडिया में अपनी हिस्सेदारी किसी भी सरकारी कंपनी या घरेलू कंपनियों को देने को तैयार हैं।

बिड़ला की कम है हिस्सेदारी
सरकार का मानना है कि वोडाफोन आइडिया में बिड़ला की कम हिस्सेदारी है। ऐसे में अगर सरकार इसमें बिड़ला की हिस्सेदारी लेती भी है तो वह माइनॉरिटी शेयरहोल्डर होगी, जबकि वोडाफोन मेजॉरिटी शेयर होल्डर होगी। कंपनी में बिड़ला की 27.66% और वोडाफोन की 44.39% हिस्सेदारी है। अभी तक इस मामले में वोडाफोन ने सरकार से कोई बातचीत नहीं की है।

BSNL के लिए 70 हजार करोड़ रुपए का पैकेज
सरकार ने पहले ही सरकारी कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के लिए 70 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की है। इसलिए सरकार अब टेलीकॉम सेक्टर में कोई पैसा खर्च नहीं करना चाहती है। वोडाफोन के CEO निक रीड ने पिछले दिनों कहा था कि भारत में टेलीकॉम सेक्टर तनावपूर्ण स्थिति में है। कंपनी इस ज्वाइंट वेंचर में अब कोई भी पैसा नहीं डालना चाहती है।

किसी भी तिमाही में फायदा नहीं
वोडाफोन आइडिया जब से एक में मिली हैं, इन्होंने किसी भी तिमाही में फायदा नहीं कमाया है। साथ ही इनके ग्राहकों में लगातार कमी भी होती रही है। इन पर 1.80 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। कंपनी को वित्त वर्ष 2022-23 में 24 हजार करोड़ रुपए के कैश फ्लो की कमी का सामना करना पड़ सकता है। कंपनी को जनवरी मार्च तिमाही में 6,985 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था।

2018 से पहले 4 कंपनियां थीं
दरअसल टेलीकॉम सेक्टर में साल 2018 से पहले चार कंपनियां प्रमुख थीं। रिलायंस जियो 2016 में आई। उससे पहले वोडाफोन, आइडिया और एयरटेल प्रमुख कंपनियां थीं। 2016 में जियो के आने के बाद बाजार में कब्जा जमाने की होड़ में आइडिया और वोडाफोन दोनों ने 31 अगस्त 2018 को हाथ मिला लिया। वोडाफोन उस समय तीसरे नंबर की टेलीकॉम कंपनी थी जबकि आइडिया दूसरे नंबर की दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी थी।

58,254 करोड़ रुपए की देनदारी
वोडाफोन पर 58,254 करोड़ रुपए के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की देनदारी है। इसमें से इसने 7,800 करोड़ रुपए का पेमेंट किया है। मार्च 2022 तक इसे 9,000 करोड़ रुपए और देना है। अप्रैल 2020 में वोडाफोन ने कंपनी ने 1,530 करोड़ रुपए डाला था। यह पैसा मर्जर के समय जो एग्रीमेंट हुआ था, उसके आधार पर डाला गया था।

एयरटेल फाइल करेगी रिव्यू पिटीशन
उधर दूसरी ओर भारती एयरटेल सुप्रीमकोर्ट में रिव्यू पिटीशन अगले कुछ हफ्तों में फाइल कर सकती है। यह रिव्यू पिटीशन उस ऑर्डर के खिलाफ होगा जिसमें कोर्ट ने AGR के मामले में फिर से कंप्यूटेशन करने से मना कर दिया था। रिव्यू पिटीशन किसी भी ऑर्डर के एक महीने के भीतर फाइल करना होता है। वोडाफोन आइडिया भी इसी मामले में रिव्यू पिटीशन डाल सकती है। एयरटेल पर 43,980 करोड़ रुपए का AGR बकाया है। इसमें से इसने 18,004 करोड़ रुपए का पेमेंट किया है।

एयरटेल ने जनवरी में फाइल किया था पिटीशन
एयरटेल ने इसी साल जनवरी में डिपॉर्टमेंट ऑफ टेलीकॉम की गणना को गलत बताकर सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल किया था। वोडाफोन, एयरटेल और टाटा टेली सर्विसेस की इस तरह की पिटीशन को कोर्ट ने 23 जुलाई को खारिज कर दिया था। टाटा टेली सर्विसेस पर 16,798 करोड़ रुपए का AGR बकाया है। उसने 4,197 करोड़ रुपए का पेमेंट किया है।

सरकारी बैंकों पर होगा डूबने का असर
अगर वोडाफोन आइडिया डूबती है तो इसका सबसे बड़ा असर सरकारी बैंकों पर होगा। इस पर जो 1.80 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है, उसमें सरकारी बैंकों का ज्यादा हिस्सा है। बैंकों को यह डर है कि चूंकि AGR का पैसा सरकार का है और सरकार इसे किसी भी तरह से छोड़ेगी नहीं। इसलिए कंपनी पर इसका बुरा असर हो सकता है। बैंकर्स का मानना है कि वो इस महीने या अगले महीने से इस कर्ज के लिए एडवांस प्रोविजन कर सकते हैं।

SBI ने दिया है 11,200 करोड़ का कर्ज
वोडाफोन आइडिया को सबसे ज्यादा कर्ज देने वाले बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) है। इसने 11,200 करोड़ रुपए का लोन दिया है। पंजाब नेशनल बैंक ने 1 हजार करोड़ दिया है। HDFC बैंक ने 5 हजार करोड़ रुपए, ICICI बैंक ने 1,700 करोड़ रुपए का लोन दिया है।

इसके अलावा यस बैंक, IDBI बैंक और इंडसइंड बैंक का भी लोन है। बैंकिंग सेक्टर का कुल लोन टेलीकॉम सेक्टर में 1.1 लाख करोड़ रुपए है। इसमें HDFC बैंक का लोन 24,515 करोड़ रुपए, एक्सिस बैंक का 17,135 करोड़ रुपए, बैंक ऑफ बड़ौदा का 11,471 करोड़, पंजाब नेशनल बैंक का 7,318 करोड़ रुपए है।

अगस्त 2018 में दोनों कंपनियों के मिलने के बाद इसका शेयर 33 रुपए था जो अब 7.40 रुपए पर है। यानी 78% की इसमें गिरावट आई है।

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