विश्व असमानता रिपोर्ट: दुनिया के 100 जाने-माने अर्थशास्त्रियों की रिपोर्ट; भारत में 50% आबादी की कमाई इस साल 13% घटी, सालाना औसत आय सिर्फ 53,610 रुपए
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नई दिल्ली26 मिनट पहले
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भारत ऐसा गरीब और बहुत असमानता वाला देश है, जहां एक तरफ गरीब बढ़ रहे हैं, वहीं अभिजात्य वर्ग अधिक समृद्ध हो रहा है।
दुनिया के देशों में अमीर-गरीब के बीच बढ़ती असमानता को लेकर मंगलवार को ‘विश्व असमानता रिपोर्ट 2022’ जारी हुई। दुनिया के 100 जाने-माने अर्थशास्त्रियों ने देशों की आर्थिक असमानता का अध्ययन कर यह रिपोर्ट तैयारी की है। रिपोर्ट बताती है कि भारत ऐसा गरीब और बहुत असमानता वाला देश है, जहां अधिक संख्या में धनवान लोग हैं। रिपोर्ट संकेत देती है कि देश में एक तरफ गरीब बढ़ रहे हैं, वहीं अभिजात्य वर्ग अधिक समृद्ध हो रहा है।
देश में वयस्कों की सालाना औसत राष्ट्रीय आय 2,04,200 रुपए है। देश के 50% लोग महज 53,610 रुपए सालाना कमा पाते हैं। शीर्ष 10% इनसे 20 गुना से अधिक यानी 11,66,520 रुपए कमाते हैं। शीर्ष 10% अमीरों की आय देश की कुल आय की 57% है, जबकि शीर्ष 1% अमीरों की देश की कुल कमाई में 22% हिस्सेदारी है। इस साल निचले तबके के 50% लोगों की कमाई 13% घटी है। रिपोर्ट की प्रस्तावना नोबेल अवॉर्ड विजेता अभिजित बनर्जी ने लिखी है।
आधी आबादी की संपत्ति शून्य, अमीरों के पास 65%
रिपोर्ट बताती है कि अंग्रेजों के राज में 1858 से 1947 के बीच भारत में असमानता ज्यादा थी। तब 10% लोगों का 50% आमदनी पर कब्जा था। आजादी के बाद पंचवर्षीय योजनाएं शुरू हुईं तो आंकड़ा घटकर 35%-40% पर आ गया। विनियमन में ढील और उदारीकरण नीतियों से भी अमीरों की आय बढ़ी। वहीं, आर्थिक उदारीकरण से शीर्ष 1% को सबसे अधिक फायदा हुआ, जबकि निम्न और मध्यम वर्ग की दशा में सुधार की गति बेहद धीमी रही। इसके चलते गरीबी बनी रही। भारत में औसत घरेलू संपत्ति 9,83,010 रुपए के बराबर है।
देश में नीचे की 50% आबादी के पास संपत्ति के नाम पर कुछ भी नहीं है। उनकी औसत संपत्ति 66,280 रुपए है, जो कुल संपत्ति का महज 6% है। मध्यम वर्ग भी इसी तरह गरीब है। उसके पास औसत संपत्ति 7,23,930 रुपए है। यह कुल संपत्ति का 29.5% है। शीर्ष 10% लोगों के पास 63,54,070 रुपए संपत्ति है, जो कुल संपत्ति की 65% है। वहीं 1% के पास 3,24,49,360 रुपए संपत्ति है। यह कुल संपत्ति का 33% है।
महिला श्रम आय का हिस्सा एिशया में कम
इस रिपोर्ट में पहली बार लैंगिक आय असमानता के आंकड़े दिए गए हैं। भारत में लिंग असमानताएं बहुत अधिक हैं। महिला श्रम आय का हिस्सा 18% के बराबर है। यह एशिया में औसत (21%) से कम है। भारत का आंकड़ा दुनिया की न्यूनतम आय में से एक है।
यूरोप में असमानता घटी, मध्य-पूर्व, दक्षिण अमेरिका में बढ़ी
- 2021 में दुनिया में औसत वयस्क व्यक्ति ने सालाना 17.53 लाख रु. कमाए, लेकिन वह 76.95 लाख का मालिक रहा। इससे देशों में बड़े स्तर पर असमानता हुई।
- 1980 से दुनिया में आमदनी और संपत्ति की असमानता बढ़ी है। इसकी वजह है- उदारीकरण और विनियमन कार्यक्रम। अमेरिका, रूस और अमेरिका में तेजी से तो चीन, यूरोपीय देशों में धीमी रफ्तार से बढ़े।
- दो दशक में देशों में असमानता घटी है। 10% सबसे अमीर और 50% सबसे गरीब देशों की औसत आमदनी का अंतर 10 गुना घटा है।
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