लिथुआनिया को चीन की धमकी, कहा- अमेरिका से मिलेगा धोखा, दुनिया में अलग-थलग पड़ जाएगा बाल्टिक देश
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लिथुआनिया और ताइवान के बीच बढ़ते संबंध को लेकर चीन भड़का हुआ है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जानकारी दी है कि चीन ने लिथुआनिया में अपने राजनयिक मिशन को ऑफिस ऑफ द चार्ज डी एफेयर में बदल दिया है और लिथुआनिया से चीन में अपने राजनयिक मिशन का नाम बदलने की अपील की है। चीन ने लिथुआनिया में चीनी दूतावास ने कांसुलर ऑपरेशन सेवाओं को भी सस्पेंड कर दिया है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा है कि चीन की संप्रभुता को कम करने के लिए लिथुआनिया के खिलाफ एक वैध जवाबी कदम है और इसके लिए पूरी तरह से लिथुआनिया जिम्मेदार है। उन्होंने कहा है कि चीनी लोगों को धमकाया नहीं जा सकता और चीन की राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि दुनिया में सिर्फ एक चीन है और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र कानूनी सरकार है।
18 नवंबर को चीन द्वारा लगातार विरोध करने के बाद भी लिथुआनिया ने ताइवान द्वीप को ताइपे के बजाय ताइवान के नाम पर एक प्रतिनिधि कार्यालय स्थापित करने की इजाजत दी थी। लिथुआनिया के इसी कदम से चीन भड़का हुआ है। चीनी विदेश मंत्रालय ने 18 नवंबर को एक बयान में कहा कि लिथुआनिया का यह कदम चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करता है और चीन के आंतरिक मामलों में घोर हस्तक्षेप करता है।
दुनिया में अलग-थलग पड़ जाएगा लिथुआनिया?
ग्लोबल टाइम्स में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक चीनी एक्सपर्ट्स ने कहा है कि इस तरह की मूर्खतापूर्ण चीन विरोधी नीति बाल्टिक राज्य को परेशानी पैदा कर सकती है। लिथुआनिया अपने इस कदम से क्षेत्र में अलग-थलग पड़ सकती है। चीनी एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका को खुश करने के लिए लिथुआनिया का यह कदम राष्ट्रीय हितों को जोखिम में डालने की तरह है। लिथुआनिया को आखिर में अमेरिका में से धोखा ही मिलने वाला नहीं है। एक ओर अमेरिका चीन से संबंध सुधार रहा है, ऐसे में लिथुआनिया का यह कदम मूर्खतापूर्ण है।
अगस्त में चीन ने लिथुआनिया के राजदूत को लौटा दिया था
ताइवान और लिथुआनिया के बीच बढ़ते संबंध से चीन परेशान रहा है। चीन ने अगस्त में भी बीजिंग में लिथुआनिया के राजदूत को देश लौटने को कहा था और अपने राजदूत को विनियस से बुलाने की बात कही थी। यह तब हुआ था कब ताइवान ने कहा था कि लिथुआनिया में उसके ऑफिस को ताइवानी प्रतिनिधि कार्यालय कहा जाएगा। चीन ने अन्य देशों को ताइवान के साथ अपनी बातचीत को सीमित करने या उसे पूरी तरह से काटने के लिए कोशिश तेज कर दी है। बता दें कि ताइवान के सिर्फ 15 देशों के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध हैं।
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