राम मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष की तबीयत बिगड़ी: महंत नृत्य गोपालदास के फेफड़ों और यूरिन में इन्फेक्शन, लखनऊ मेदांता के ICU में शिफ्ट
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अयोध्या/लखनऊ3 घंटे पहले
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट क्षेत्र के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास (83) की तबीयत रविवार रात को अचानक बिगड़ गई। अयोध्या में जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने महंत का चेकअप किया। इसके बाद रविवार शाम 5 बजे उन्हें लखनऊ के मेदांता अस्पताल में एडमिट कराया गया है। मेदांता के प्रवक्ता आलोक खन्ना ने बताया कि महंत को सांस लेने में समस्या के अलावा यूरिन संबंधी परेशानियां है।
फिलहाल महंत नृत्य गोपाल दास को मेदांता के ICU में एडमिट करके शुरुआती जांच कराई जा रही है। मेदांता में क्रिटिकल केयर मेडिसिन के डॉक्टरों की निगरानी में उनका उपचार चल रहा है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे कुछ कहा जा सकता है। फिलहाल उनकी हालात स्थिर बनी हुई है।
अयोध्या में मणि रामदास छावनी, नृत्य गोपाल दास इसी छावनी के महंत हैं।
नृत्य गोपाल दास का ऑक्सीजन लेवल 83 पर पहुंच गया था
महंत के उत्तराधिकारी कमल नयन दास ने बताया कि उनका ऑक्सीजन लेवल कम होकर 83 पर आ गया था। वहीं, खांसी, ज्यादा यूरिन डिस्चार्ज की शिकायत थी। उनके शरीर में कंपन भी हो रहा था। डॉक्टरों ने जांच के बाद रात में ही उन्हें कुछ दवाएं दी थी, जिससे उन्हें कुछ आराम मिला। लेकिन ज्यादा सुधार नहीं हुआ। अभी वे ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। यूरिन बाइपास लगाकर डिस्चार्ज कराई जा रही है।
महंत को कोरोना हुआ था, पिछले साल भी अस्पताल में भर्ती रहे
इससे पहले 9 नवंबर, 2020 में भी महंत की तबीयत बिगड़ी थी। तब भी उन्हें सांस लेने में तकलीफ और लो-ब्लड प्रेशर की समस्या थी। उस समय लखनऊ के मेदांता अस्पताल में 14 दिन तक उनका इलाज चला था। कोरोना की पहली लहर में जन्माष्टमी समारोह में शामिल होने के बाद महंत नृत्य गोपाल दास को कोरोना संक्रमण भी हो गया था। तब वे 26 दिन तक गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती रहे थे।
5 अगस्त 2020 को श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन के समय PM मोदी के साथ महंत नृत्य गोपाल दास भी मंच पर मौजूद थे।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के भी अध्यक्ष हैं नृत्य गोपाल दास
महंत श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के भी अध्यक्ष हैं। वे हर साल जन्माष्टमी समारोह के लिए मथुरा जाते हैं। पिछले साल इसी कार्यक्रम में शामिल होने के बाद उन्हें कोरोना संक्रमण हुआ था। अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद रामलला को टेंट में शिफ्ट किया गया था। उसके बाद से 28 साल तक महंत रामलला के दर्शन करने नहीं गए थे। जब रामलला को अस्थाई मंदिर में विराजमान कराया गया, उसके बाद ही वे पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे थे।
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