रामपाल को तीन साल की सजा: बरवाला आश्राम उपद्रव के दौरान मिले थे 400 गैस सिलेंडर, हिसार कोर्ट ने आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत सुनाई सजा
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हिसार7 घंटे पहले
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सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल को हिसार कोर्ट ने तीन साल कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने आवश्यक वस्तु अधिनियम के मामले पर सुनवाई करते हुए रामपाल को दोषी करार देकर तीन साल कैद की सजा सुनाई है।
साल 2014 में रामपाल के बरवाला स्थित आश्रम में हुए हिंसक उपद्रव के बाद पुलिस को वहां से भारी मात्रा में गैस सिलेंडर मिले थे। इस मामले में बरवाला पुलिस ने रामपाल के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत केस दर्ज किया था। इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट सोनिया की अदालत ने सुनवाई की। अदालत ने बरवाला थाने की एफआईआर नंबर 443 की धारा 420 में दोषी करार देते हुए रामपाल को तीन साल कैद की सजा सुनाई। दोषी रामपाल अनुयायियों की हत्या के केस में फिलहाल हिसार की सेंट्रल जेल नंबर 2 में आखिरी सांस तक की सजा काट रहा है। रामपाल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए पेश किया गया। अब तक दर्ज केसों में रामपाल को सरकारी ड्यूटी में बाधा पहुंचाने और ड्रग्स केस में बरी किया जा चुका है। देशद्रोह का केस हिसार कोर्ट में पेंडिंग है। ज्ञात रहे कि बरवाला आश्रम में हुए उपद्रव के समय जब पुलिस टीम ने आश्रम की दीवार जेसीबी से तोड़ने का प्रयास किया था तो वहां काफी संख्या में सिलेंडर रखकर दीवार बना दी गई थी ताकि पुलिस जबरदस्ती दीवार तोड़े तो वहां धमाका हो जाए।
2014 में हुए उपद्रव की फोटो (फाइल फोटो)
नहरी विभाग में था जेई, आश्रम में जीता था लग्जरी लाइफ
पहले करौंथा फिर बरवाला स्थित सतलोक आश्रम का संचालक रामपाल दास कभी हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में बतौर जूनियर इंजीनियर कार्यरत था। वर्ष 2000 में रामपाल ने नौकरी छोड़ दी और प्रवचन करने लगा। जेल में जाने से पहले रामपाल आलीशान जिंदगी जीता था। भक्त पैर दबाते थे और वह खुद BMW, मर्सिडीज जैसी लग्जरी कारों में चलता था। रामपाल के आश्रम के सभी कमरे एयर कंडिशन्ड थे। वहीं प्रवचन गृह में कई एलईडी स्क्रीन लगीं थी। रामपाल का सोशल मीडिया पर अकाउंट भी है। वहीं आज भी इसके नाम पर दर्जनों आश्रम और लाखों की तादाद में समर्थक हैं।
सतलोक आश्रम में बना रामपाल का आलीशान निवास
कहां से शुरू हुआ था फसाद
साल 2006 में रामपाल के हिसार में सतलोक आश्रम में जमीन को लेकर विवाद हुआ था। इस विवाद में एक शख्स की हत्या हो गई थी। रामपाल समर्थकों ने हिसार कोर्ट में भी हंगामा किया था, इसके बाद पुलिस ने बाबा और उनके समर्थकों पर केस दर्ज कर लिया। मामला हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट के बार-बार बुलाने के बाद भी रामपाल कोई न कोई बहाना बनाकर पेश होने से बचता रहा। इसके बाद 2013 में फिर करौंथा गांव में आश्रम पर कब्जे को लेकर काफी संख्या में उसके समर्थक आश्रम के अंदर घुस गए। यहां हुई झड़प में दो लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे।
पुलिस पर पत्थर फेंकते रामपाल समर्थक। (फाइल फोटो)
कई बार वारंट के बाद 10 दिन चला पुलिस का ऑपरेशन
नवंबर 2014 में हाईकोर्ट ने करौंथा में युवक की मौत मामले में रामपाल को पेश होने के आदेश दिए थे। 5 नवंबर, 2014 को हाईकोर्ट ने रामपाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए। 10 नवंबर को पुलिस के पास रामपाल को कोर्ट में पेश करने का समय था। रामपाल को समर्थकों ने अस्वस्थ बताकर पेश नहीं होने दिया था। रामपाल के हाईकोर्ट में पेश नहीं होने पर सरकार और प्रशासन को फटकार लगी। पुलिस ने कोर्ट में पेश करने के लिए ऑपरेशन शुरू किया, जो 10 दिन चला था। 18 नवंबर, 2014 को पुलिस ने रामपाल की गिरफ्तारी के लिए आश्रम में प्रवेश करना चाहा तो समर्थकों से टकराव हुआ था। 19 नवंबर तक रामपाल समर्थकों और पुलिस के बीच टकराव रहा। इस दौरान छह लोगों की मौत हो गई थी। दोनों तरफ से कई घायल हुए थे। 20 नवंबर, 2014 को रामपाल की गिरफ्तारी के बाद आश्रम खाली करवाकर पुलिस ने कब्जे में लिया। 11 अक्टूबर, 2018 को हत्या के दो मुकदमों में रामपाल समेत 22 को दोषी करार दिया गया था। इन्हें आजीवन कारावास की कैद हो चुकी है, जबकि देशद्रोह के मामले में अभी सुनवाई जारी है
पुलिस पर पथराव करते समर्थक। (फाइल फोटो)
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