राजस्थान में कृत्रिम बारिश की कोशिश: 60 दिन उड़ा एयरक्राफ्ट, 9 कराेड़ खर्चे पर एक भी बार बादल नहीं बने, कम बारिश होने से बांध में पानी नहीं भरा तो इस तकनीक का सहारा लिया

राजस्थान में कृत्रिम बारिश की कोशिश: 60 दिन उड़ा एयरक्राफ्ट, 9 कराेड़ खर्चे पर एक भी बार बादल नहीं बने, कम बारिश होने से बांध में पानी नहीं भरा तो इस तकनीक का सहारा लिया

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चित्ताैड़गढ़42 मिनट पहलेलेखक: राजनारायण शर्मा

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राजस्थान में कृत्रिम बारिश की कोशिश: 60 दिन उड़ा एयरक्राफ्ट, 9 कराेड़ खर्चे पर एक भी बार बादल नहीं बने, कम बारिश होने से बांध में पानी नहीं भरा तो इस तकनीक का सहारा लिया

चित्तौड़गढ़ बांध 84% खाली, क्लाउड सीडिंग की कवायद।

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में इस मानसून में कम बारिश हाेने के कारण जिले का सबसे बड़ा घाेसुंडा बांध अभी 84% खाली है। इसलिए यहां क्लाउड सीडिंग तकनीक से कृत्रिम बारिश कराने की कवायद चल रही है। इसके लिए बादलाें में केमिकल छिड़कने के लिए एक एयरक्राफ्ट 60 दिन से राेज आकाश में उड़ रहा है। अभी तक इस काम पर 9 कराेड़ रुपए खर्च हाे चुके हैं, लेकिन अभी तक एक भी बार कृत्रिम बादल नहीं बने हैं। इसलिए अभी भी बारिश का इंतजार है। इसके लिए राज्य गृह मंत्रालय ने 3 फरवरी काे अनुमति पत्र जारी किया था।

दरअसल, घाेसुंडा बांध चित्ताैड़गढ़ शहर का प्रमुख पेयजल स्राेत है। इसके पानी का एक निश्चित हिस्सा औद्याेगिक इकाई हिंदुस्तान जिंक के लिए रिजर्व है। इसकी क्षमता 1123 एमसीएफटी है। इस बार अब तक अच्छी बारिश नहीं हाेने के कारण बांध में 16% पानी की ही आवक हुई है। औद्याेगिक इकाई काे चिंता है कि बांध में पानी की आवक नहीं हाेने से उनके उद्याेग के लिए पानी नहीं मिल पाएगा। इसलिए क्लाउडिंग सिडिंग तकनीक का सहारा लिया जा रहा है।

केमिकल छोड़ता है एयरक्राफ्ट, फिर बारिश होती है

विशेष एयरक्राफ्ट में एक राॅकेट में सिल्वर आयोडाइड और क्लाेराइड भरकर उसे बादलों में छोड़ा जाता है। इसे हाइग्रोस्कोपिक इंजेक्ट कहते हैं। इससे बादल जमा हो जाते हैं और कृत्रिम बारिश हाेने लगती है। ऐसा तभी संभव है, जब मानसूनी बादल हो और वायुमंडल में नमी हो।

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