यूएन से दुनिया को संदेश देगी भारत की बेटी: अतीत की कथाओं से कराएगी भविष्य के संसार से परिचय, राजस्थान की कावड़ कथा के जरिए मानवता के भविष्य पर विचार रखेंगी पुपुल
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नई दिल्ली18 मिनट पहलेलेखक: मुकेश कौशिक
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भविष्यवेत्ता पुपुल बिष्ट
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के मंच पर इस बार भारत की एक होनहार बेटी को मानवता के भविष्य के बारे में विचार साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया है। भविष्यवेत्ता पुपुल बिष्ट सोमवार को सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स के तहत आयोजित सम्मेलन में कहानियों के माध्यम से भविष्य की परिकल्पना पेश करेंगी।
पुपुल दुनिया के 30 देशों के सिविल सोसायटी लीडर्स के साथ हिस्सा लेंगी। इनमें नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई, गेट्स फाउंडेशन की मेलिंडा गेट्स, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डाॅ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस और यूएन डेवलपमेंट प्रोग्राम के महासचिव अचिम स्टीनर शामिल हैं।
29 वर्षीय पुपुल बिष्ट जानी-मानी फ्यूचरिस्ट हैं। वे राजस्थान की कावड़ कथा से प्रेरित भविष्य विश्लेषण का तरीका अपनाती हैं। इस अनूठी विधा से भविष्य की तस्वीर खींचने वाली पुपुल ने 2018 में डिकॉलोनाइजिंग फ्यूचर्स इनिशिएटिव की स्थापना की। कावड़ कथा के माध्यम से भविष्य विश्लेषण की यह पहली गैर पश्चिमी विधा है।
इसके बल पर पुपुल को नेक्स्ट जनरेशन फाॅरसाइट प्रैक्टिशनर्स अवार्ड के लिए चुना गया। पुपुल ने भास्कर से कहा कि भारत की लोक कथाओं में भविष्य की समूची तस्वीर समाई है। इनके आधार पर दशकों दूर के भविष्य को उकेरा जा सकता है। हमारा अतीत ही हमारा भविष्य तय करता है।
इन लोककथाओं के माध्यम से हम दुनिया को भविष्य के संसार से परिचित करा सकते हैंं। पुपुल मानती हैं कि कथाएं ऐसा माध्यम हैं, जो संगठन के घेरे और ढांचे से अलग हटकर जन संवाद का माध्यम बन सकती हैं। पुपुल ने एनआईएफडी से ग्राफिक डिजाइन में स्नातक और ओसीएडी यूनिवर्सिटी, कनाडा से स्ट्रैटेजिक फोरसाइट एंड इनोवेशन में मास्टर्स किया है।
कहानी कहना हमारी संस्कृति का हिस्सा, इसे प्रतिष्ठित करूंगी
पुपुल कहती हैं, ‘मैं भारतीय पहचान और सोच के साथ भविष्य को समझने के माध्यम के बारे में बात करूंगी। हम सब ऐसे वैश्विक वातावरण में जिए हैं, जिस पर अमेरिकी सोच हावी है। यह अतीत की दासता है। हमें सही भविष्य की परिकल्पना के लिए इस दासता से मुक्ति पानी होगी। अंग्रेजी हमेशा संप्रेषण का सहज माध्यम नहीं हो सकती। कहानी कहना हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है। इसे मैं दुनिया के सामने प्रतिष्ठित करना चाहती हूं।
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