मौड़ मंडी से जगमीत बराड़ होंगे अकाली दल के उम्मीदवार: पार्टी ने सिकंदर मलूका की मांग को किया दरकिनार, 5 अन्य सीटों पर भी कैंडीडेट किए घोषित
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लुधियाना10 मिनट पहले
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सीनियर नेता सिकंदर सिंह मलूका की मांग का दरकिनार कर शिरोमणी अकाली दल ने मौड़ मंडी से जगमीत सिंह बराड़ को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इसके अलावा शिअद ने मालवा की कई अहम सीटों पर भी उम्मीदवारों का ऐलान किया है। जिसमें तलवंडी साबो से जीत महेंद्र सिद्धू, कोटकपूरा से मनतार सिंह बराड़, श्री मुक्तसर साहिब से रोजी बरकंदी, फरीदकोट परमबंस सिंह बंटी रोमाणा, जैतों से सूबा सिंह बादल को उम्मीदवार घोषित किया गया है। यह सभी सीटें फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र की हैं। यहां से केंद्रीय मंत्री रहते हुए सुखबीर सिंह बादल को जगमीत सिंह बराड़ ने ही हरा दिया था। चुनाव में भले 8 माह का समय है, मगर शिअद ने इस बार सभी दलों से पहले सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान करना शुरू कर दिया है।
सुखबीर बादल को करना पड़ सकता है मलूका के विरोध का सामना
बता दें कि सिकंदर सिंह मलूका को रामपुरा फूल से कैबिनेट मंत्री गुरप्रीत सिंह कांगड़ के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा गया है। मलूका का कहना है कि उस विधानसभा क्षेत्र में उनकी इतनी पकड़ नहीं है। इसलिए उन्हें मौड़ मंडी से टिकट दी जाए। मगर इसके बावजूद जगमीत बराड़ को वहां से चुनाव मैदान में उतार दिया गया है। जगमीत बराड़ की शिअद में एंट्री के बाद से ही पार्टी के कई सीनियर नेता इसका विरोध जता चुके हैं। इस तरह सीनियर नेता की मांग ठुकरा जगमीत को टिकट देने से विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
चुनाव जीतने का दम रखते हैं जगमीत बराड़
जगमीत सिंह बराड़ कुछ ही समय में चुनाव समीकरण बदलने का दम रखते हैं। वह सुखबीर सिंह बादल को केंद्रीय मंत्री रहते हुए फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र से हरा चुके हैं। यही नहीं कोटकपुरा विधानसभा क्षेत्र से 15 दिन पहले उनके भाई रिपजीत बराड़ को टिकट मिली थी और उन्होंने 15 दिन में चुनाव जीता था। अब वह मौड़ मंडी से पार्टी के लिए क्या कर सकते हैं यह देखने वाली बात होगी।
कांग्रेस से अलग होकर तृणमूल कांग्रेस में गए थे जगमीत बराड़
जगमीत सिंह बराड़ ने लंबा समय कांग्रेस में काम किया है। वह कांग्रेस की केंद्रीय लीडरशिप में शामिल रहे हैं। वह पार्टी के गोवा में चुनाव प्रभारी भी रह चुके हैं और इसके बाद ही उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी और तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष लग गए थे। वह करीबन 10 साल से स्थानीय प्रदेश राजनीति से दूर रहे हैं और अब शिअद के जरिए राजनीति में दोबारा आ रहे हैं।
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