मृत्यु के 10 साल बाद पूर्व CM भजनलाल की प्रतिमा: आदमपुर में राहुल गांधी ने किया वर्चुअल अनावरण; 3 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने, व्यापार छोड़कर राजनीति में आए थे
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हिसार19 घंटे पहले
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हरियाणा के तीनों लालों में से एक भजनलाल की आज 91वीं जयंती है। इस मौके पर उनकी मृत्यु के करीब 10 साल बाद हिसार के आदमपुर कस्बे में उनकी आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया गया। एक कार्यक्रम में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने वर्चुअल तरीके से प्रतिमा का अनावरण किया। इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने संबोधन में राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस और भजनलाल जी ने किसानों की रक्षा की और प्रदेश को जोड़े रखा। वहीं मौजूदा सरकार प्रदेश व देश को तोड़ने का काम कर रही है।
हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री लट्ठों से जवाब देने की धमकी देते हैं, वहीं भाजपा नेता किसानों को गाड़ियों से कुचलने का काम कर रहे हैं। आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। राहुल गांधी ने कहा कि गरीबों को, कमजोरों को, जनता को साथ लाने का जो संदेश भजनलाल ने दिया था, उसको कुलदीप बिश्नोई लगातार आगे बढ़ा रहे हैं। केंद्र की सरकार अपने कुछ उद्योगपति दोस्तों के लिए कृषि कानून लेकर आई है, लेकिन इससे किसानों को हो रहा नुकसान नहीं देखा जा रहा है।
आदमपुर में स्थापित की गई भजनलाल की प्रतिमा।
अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा की बड़ी पहल
बता दें कि यह पहला मौका है, जब भजनलाल की मौत के 10 साल के बाद प्रदेश में उनकी पहली प्रतिमा की स्थापना हुई। अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा की तरफ से स्थापित की जा रही यह प्रतिमा शुरूआत है। चौधरी भजनलाल की इस तरह की कुल 16 प्रतिमाएं देश के अलग-अलग हिस्सों में बिश्नोई सभा स्थापित करने वाली है। वहीं आदमपुर में होने वाले इस कार्यक्रम में स्वर्गीय भजनलाल के छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई ने अपनी राजनीतिक विरासत को मजबूत करने की भी तैयारी कर ली है और उसी कारण से प्रतिमा का अनावरण कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी से करवाया गया है। कार्यक्रम में हरियाणा कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल व कई अन्य नेता मौजूद रहें। दरअसल, भजनलाल प्रदेश के इकलौते ऐसा नेता हैं, जो सबसे लंबे समय तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। बावजूद इसके उनकी आज तक कहीं पर कोई प्रतिमा नहीं लगी है। कहीं पर कोई सरकारी संस्थान या स्मारक उनके नाम पर नहीं है। कोई चौक, कॉलेज, पार्क आदि तक का नामकरण भी भजनलाल के नाम पर नहीं किया गया है।
भजनलाल, जब राजनीति में नए-नए आए थे।
व्यापारी थे और सरंपची से शुरुआत करके 3 बार मुख्यमंत्री बने
भजनलाल का जन्म 6 अक्टूबर 1930 को बहावलपुर रियासत के कोरानवाली गांव के खेती किसानी करने वाले बिश्नोई परिवार में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। बंटवारे के बाद इनका परिवार फतेहाबाद के गांव खजूरी में आकर बस गया था। भजनलाल ने जसमादेवी से विवाह किया था , जिनसे उनके दो बेटे चंद्र मोहन बिश्नोई और कुलदीप बिश्नोई और एक बेटी रोशनी उनकी संताने हैं। कुछ समय तक गांव में खेतीबाड़ी करने के बाद भजनलाल ने आदमपुर शहर में एक व्यापारी के रूप में काम किया और बाद में आदमपुर (विधानसभा क्षेत्र) से राजनीति में प्रवेश किया। आदमपुर पंचायत में पंच चुने जाने के बाद गांव के सरपंच और ब्लॉक का सफर करते हुए भजनलाल मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचे और तीन बार में 13 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। प्रदेश में सबसे ज्यादा समय मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड अब तक भजनलाल के नाम ही है। पहली बार 28 जून 1979 से 5 जुलाई 1985 तक दो बार और तीसरी बार 23 जुलाई 1991 से 11 मई 1996 तक भजनलाल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। दिल का दौरा पड़ने से 3 जून 2011 को हिसार में भजनलाल का स्वर्गवास को गया था।
इंदिरा गांधी के साथ भजन लाल।
कांग्रेस ने मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो बनाई अलग पार्टी
हरियाणा में 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद राज्य इकाई में गंभीर मतभेद उभर कर सामने आए। कांग्रेस की तरफ से भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाए जाने से नाराज भजनलाल व उनके छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई ने साल 2007 में कांग्रेस से किनारा कर लिया। इसके बाद इन्होने खुद की अलग पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस बनाई। दो विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद कुलदीप बिश्नोई ने पार्टी का फिर से कांग्रेस में विलय कर दिया था।
राजीव गांधी के साथ भजन लाल।
कांग्रेस ने अपने बड़े नेता से कर लिया किनारा
हालांकि भजनलाल लंबे समय तक कांग्रेस के बड़े नेताओं में शामिल रहे और कांग्रेस की तरफ से ही तीन बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन उनके स्वर्गवास के समय वह अलग पार्टी हजकां के नेता था। भजनलाल के निधन के समय 2011 में कांग्रेस पार्टी प्रदेश व देश में सत्ता पर काबिज थी। लेकिन पार्टी ने भजनलाल को उचित सम्मान नहीं दिया। लंबे समय तक हिसार से राजनीति करने वाले भजनलाल के नाम पर कोई भी संस्थान या स्मारक स्थल पार्टी या कांग्रेस की उस वक्त की कांग्रेस सरकार ने नहीं बनवाया। भजनलाल के स्वर्गवास के बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए भी जगह खरीदकर समाधी स्थल बनाया गया।
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