मिजोरम के थेंजॉल में 6.1 तीव्रता का भूकंप: पश्चिम बंगाल और असम में भी महसूस हुए झटके, बांग्लादेश में था भूकंप का केंद्र
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एक घंटा पहले
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मिजोरम राज्य के थेंजॉल शहर में शुक्रवार सुबह 5.15 पर भूकंप आया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.1 मापी गई। भूकंप के झटके त्रिपुरा, मणिपुर, असम के साथ पश्चिम बंगाल में कोलकाता और बांग्लादेश के चिटगांव में भी महसूस किए गए।
नेशनल सेंटर फॉर सेस्मोलॉजी के मुताबिक, भारत- म्यांमार बॉर्डर पर शुक्रवार की सुबह भूकंप के महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र बांग्लादेश के चिटगांव से 183 किमी पूर्व में था। सुबह 5.23 बजे दूसरे भूकंप की भी जानकारी सामने आई है। यूरोपियन-मेडिटेरेनियन सेस्मोलॉजिकल सेंटर (EMSC) ने भी अपनी वेबसाइट पर इसकी जानकारी दी। थेंजॉल के एक शख्स ने इस वेबसाइट पर लिखा कि सबसे लंबे भूकंप के झटकों में से एक था।
EMSC की वेबसाइट पर थेंजॉल के एक निवासी ने लिखा कि, उसने ऐसे झटके कभी नहीं महसूस किए। 20 नवंबर को गुवाहाटी और असम के अन्य हिस्सों में 4.1 तीव्रता का भूकंप आया था। भूकंप दिन में 1.12 बजे आया था। भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किमी नीचे पाया गया था।
1 हफ्ते पहले राजस्थान में आया था भूकंप
जोधपुर के भीनमाल में 20 नवंबर को तड़के भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप का केन्द्र भीनमाल से उत्तर पूर्व में था और रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.6 दर्ज की गई। भूकंप की तीव्रता कम होने के कारण किसी प्रकार के जान- माल का नुकसान नहीं हुआ।
रिक्टर स्केल पर भूकंप
- रिक्टर स्केल के मुताबिक, 2.0 की तीव्रता से कम वाले झटकों की संख्या रोजाना लगभग आठ हजार होती है, जो इंसान को महसूस ही नहीं होते।
- 2.0 से लेकर 2.9 की तीव्रता वाले लगभग एक हजार झटके रोजाना दर्ज किए जाते हैं, लेकिन आमतौर पर ये भी महसूस नहीं होते।
- रिक्टर स्केल पर 3.0 से लेकर 3.9 की तीव्रता वाले झटके साल में लगभग 49 हजार बार दर्ज किए जाते हैं, जो अक्सर महसूस नहीं होते, लेकिन कभी-कभार ये नुकसान कर देते हैं।
- 4.0 से 4.9 की तीव्रता वाले भूकंप साल में करीब 6200 बार दर्ज किए जाते हैं। इस भूकंप से थरथराहट महसूस होती है और कई बार नुकसान भी हो जाता है।
- 5.0 से 5.9 तक का भूकंप एक छोटे इलाके के कमजोर मकानों को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाता है, जो साल में लगभग 800 बार महसूस होता है।
- 6.0 से 6.9 तक की तीव्रता वाला भूकंप साल में लगभग 120 बार दर्ज किया जाता है और यह 160 किलोमीटर दायरे में काफी घातक साबित हो सकता है।
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