मानसून सुस्त, भाखड़ा-पौंग जलस्तर हुआ कम: हरियाणा-पंजाब में सूखा गुजरा आधा सावन, बांध खाली होने से नहरों में भी पानी की कमी; हफ्तेभर में राहत के संकेत

मानसून सुस्त, भाखड़ा-पौंग जलस्तर हुआ कम: हरियाणा-पंजाब में सूखा गुजरा आधा सावन, बांध खाली होने से नहरों में भी पानी की कमी; हफ्तेभर में राहत के संकेत

[ad_1]

  • Hindi News
  • Local
  • Haryana
  • Monsoon And Rain Scenerio In Haryana, Punjab, Himachal, Chandigarh, Lack Of Water In Canals Due To Low Water Level In Dam

पानीपत/जालंधर/शिमला2 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
मानसून सुस्त, भाखड़ा-पौंग जलस्तर हुआ कम: हरियाणा-पंजाब में सूखा गुजरा आधा सावन, बांध खाली होने से नहरों में भी पानी की कमी; हफ्तेभर में राहत के संकेत

हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश में इस बार मानसून में रूठा हुआ है। हरियाणा और पंजाब के 95% से ज्यादा इलाकों में तो 3 अगस्त के बाद पानी ही नहीं गिरा। यहां आधा सावन सूखा ही निकल गया। दरअसल मानसून की टर्फ रेखा का पश्चिमी छोर 10 अगस्त के बाद हिमालय की तलहटी की ओर बढ़ने के चलते मानसूनी हवाएं कमजोर हो गई है। इससे हरियाणा में मानसून ब्रेक की स्थिति बन गई है। इस बार पंजाब में अब तक औसत से 22%, चंडीगढ़ में 38% और हिमाचल प्रदेश में 17% कम बारिश हुई है। हिमाचल के ऊपरी इलाकों में भी बारिश नहीं होने से भाखड़ा और पौंग डैम खाली पड़े हैं, जो उत्तर भारत के इन चारों राज्यों में वाटर सप्लाई के सबसे बड़े स्रोत है।

भाखड़ा डैम का जलस्तर 18 अगस्त को 1616.13 फीट रहा, जबकि पिछले साल इसी दिन यह 1642.06 फीट था। भाखड़ा डैम की क्षमता 1685 फीट है। यानि इस बार भाखड़ा डैम में पिछले साल की तुलना में 26.47 फीट और अधिकतम लेवल से 68 फीट कम पानी है। इसी तरह पौंग डैम का जलस्तर 18 अगस्त को 1335.14 फीट रहा, जबकि पिछले साल इसी दिन यह जलस्तर 1356.5 फीट था। पौंग डैम की क्षमता 1400 फीट है। यानि इस बार पौंग डैम में पिछले साल की तुलना में 21.4 फीट और अधिकतम लेवल से 64.09 फीट कम पानी है।

भाखड़ा और पौंग डैम में 5 साल में सबसे कम पानी
पिछले 5 सालों में पहली बार ऐसा है जब मानसून के बावजूद दोनों डैम इतने खाली हैं। भाखड़ा और पौंग डैम का जलस्तर कम होने की वजह से नहरों में पूरा पानी नहीं छोड़ा जा रहा। इसकी वजह से हरियाणा और पंजाब के अलावा राजस्थान के नहरी पानी पर निर्भर इलाकों में फसलों के सूख जाने का खतरा पैदा हो गया है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति दक्षिणी हरियाणा में है। अगर अगले 15-20 दिनों में भी हिमाचल प्रदेश के ऊपरी इलाकों में अच्छी बारिश नहीं हुई तो इन तीनों राज्यों के बड़े हिस्से में पानी की किल्लत खड़ी हो सकती है।

भाखड़ा-पौंग डैम में पानी का इनफ्लो कम, आउटफ्लो ज्यादा
पिछले पांच दिनों से भाखड़ा और पौंग डैम में पानी का इनफ्लो कम हुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह है हिमाचल प्रदेश में बारिश न होना। ऊपरी हिमाचल खासकर किन्नौर और शिमला जिले में बारिश होने पर ही वहां का पानी सतलुज दरिया के जरिए भाखड़ा डैम की रेजरवायर गोविंदसागर झील में आता है। इसी तरह कुल्लू, चंबा और मंडी जिले में होने वाली बारिश का पानी ब्यास दरिया के जरिए पौंग डैम में आता है। दूसरी ओर दोनों बांधों से आउटफ्लो यानि रिलीज किए जाने वाले पानी में बढ़ोतरी हुई है क्योंकि हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिलों में बारिश नहीं होने से वहां फसलें बचाने के लिए नहरी पानी की डिमांड बढ़ गई है।

पंजाब में फाजिल्का में सबसे कम बरसे बादल
पंजाब में 1 जून से 18 अगस्त तक सबसे अधिक बारिश पठानकोट जिले में हुई और सबसे कम फाजिल्का में। पठानकोट में इस दौरान 773.3 MM बारिश हुई, जो सामान्य (724.5MM) से 7% अधिक है। वहीं फाजिल्का में अभी तक महज 50.7MM पानी गिरा है, जो सामान्य (199.8 MM) से 75% कम है। चंडीगढ़ की बात करें तो यहां सामान्य 610.6MM बारिश के मुकाबले अब तक मात्र 381.4MM बारिश हुई है।

हरियाणा में झज्जर में सबसे अधिक बारिश
हरियाणा में इस बार मानूसन सीजन पूरी तरह से असंतुलित रहा। कई जिलों में औसत से दोगुनी तो कई जिलों में औसत से आधी बारिश ही हुई है। इस बार झज्जर जिले में सबसे ज्यादा 506MM बारिश दर्ज की गई जो औसत (255 MM) से 98% अधिक रही। पंचकूला में औसत 643MM से 55% कम 291MM बारिश हुई। सिरसा में औसत 151 MM के मुकाबले 12% अधिक यानि 170 एमएम बारिश हुई।

कुल्लू के अलावा हिमाचल के बाकी सभी जिलों में औसत से कम बारिश
कमजोर मानसून के बावजूद हिमाचल में कुल्लू जिले में इस बार अभी तक औसत से 28 फीसदी ज्यादा बारिश हो चुकी है। यहां 347.9MM औसत बारिश का अनुमान था, जबकि अभी तक 446.2MM बारिश हो चुकी है। हिमाचल के बाकी सभी जिलों में औसत से कम बारिश हुई है। लाहौल-स्पीति में महज 90 मिमी बारिश हुई जो औसतन 249MM से 64% कम है। चंबा में औसतन 760MM से 40% कम 422MM पानी गिरा। बिलासपुर में औसत से 18%, हमीरपुर में 11%, कांगड़ा में 6%, किन्नौर में 19%, शिमला में 12%, सिरमौर में 23% आैर सोलन में औसत से 18% कम बारिश हुई है।

नहरों पर निर्भर महेंद्रगढ़-रेवाड़ी समेत कई जिलों में दिक्कत
हरियाणा के महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी समेत कई जिले पूरी तरह नहरी पानी पर डिपेंड है। अगस्त महीने में अभी तक महेंद्रगढ़ जिले में मात्र पांच दिन बारिश हुई है। इस साल पहले मानसून लेट होने और उसके बाद पिछले बरसों के मुकाबले नहरी पानी में कटौती ज्यादा होने से दिक्कत खड़ी हो गई है। नहरी विभाग के अधिकारियों के मुताबिक फिलहाल स्थिति ठीक दिख रही है, लेकिन यदि हिमाचल प्रदेश के ऊपरी इलाकों में बारिश नहीं होती है तो उसका सीधा असर इन जिलों पर पड़ेगा।

अगले हफ्तेभर में हो सकती है बारिश
मौसम विभाग ने अगले एक हफ्ते के दौरान पंजाब, चंडीगढ़ और हिमाचल में बारिश का अनुमान जताया है। हिसार स्थित हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने और साइक्लोनिक सर्कुलेशन की वजह से 19 अगस्त देर रात से हरियाणा में भी मौसम बदलेगा। इस दौरान तेज हवा चलने के अलावा गरज-चमक के साथ बारिश हो सकती है। जिससे दिन के तापमान में गिरावट आएगी। उत्तर व दक्षिण-पूर्व हरियाणा में एक-आध जगह भारी बारिश भी हो सकती है। मौसम विभाग ने हिमाचल में 23 अगस्त तक मौसम खराब रहने का पूर्वानुमान जताया है। यहां 20 और 21 अगस्त को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सोलन व सिरमौर जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है।

15 सितंबर तक बारिश हुई तो भर जाएंगे बांध
हिमाचल प्रदेश मत्स्य विभाग का कहना है कि बारिश कम होने की वजह से भाखड़ा और पौंग डैम का प्रबंधन करने वाला, भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) इन दिनों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के लिए पिछले बरसों के मुकाबले ज्यादा पानी छोड़ रहा है। जलस्तर कम होने की एक वजह ये भी है। बेशक इस समय सतलुज, ब्यास और रावी नदी में पानी का इनफ्लो कम है, लेकिन अभी भी मानसून का कुछ समय बाकी है। अगर 15 सितंबर तक बारिश होती रही तो उम्मीद है कि भाखड़ा और पौंग डैम का जलस्तर सामान्य लेवल के आसपास पहुंच जाएगा।

मैदानी इलाकों में खेती पर असर, पहाड़ों में बागवानों को फायदा
हिसार में हरियाणा कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. बलवंत सहारण के अनुसार इस बार मानूसन लेट एक्टिव होने से फसलों की बिजाई प्रभावित हुई है। कई जिलों में किसानों को सिंचाई पर ज्यादा डीजल खर्च करना पड़ा है। जिन इलाकों में औसत से अधिक बारिश हुई या जहां बारिश नहीं हुई, वहां पैदावार पर असर पड़ेगा। ज्यादा बारिश होने पर कपास, ग्वार व मूंग के पौधे पीले होकर सूख जाते हैं। उधर हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक फिलहाल एक निश्चित अंतराल पर बारिश होने से प्रदेश में मक्की और फलदार पौधों को फायदा हुआ है। सेब का साइज भी इस बार अच्छा है।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Published By:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *