महाराष्ट्र में जीका वायरस की दस्तक: पुणे में 50 साल की महिला संक्रमित हुई, केरल में अब तक वायरस की चपेट में आ चुके हैं 63 लोग
[ad_1]
- Hindi News
- National
- Zika Virus । Pune Maharashtra । Purandar Tehsil । Maharashtra Health Department । Zika Virus Infection
पुणे11 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
केरल में तेजी से फैलने के बाद अब महाराष्ट्र में भी जीका वायरस का पहला केस सामने आया है। पुणे के पुरंदर क्षेत्र की 50 साल की महिला में जीका वायरस मिलने की पुष्टि हुई है। उसका चिकनगुनिया टेस्ट भी पॉजिटिव पाया गया है। वहीं, केरल में भी जीका के 2 नए केस सामने आए हैं। इसके बाद अब इस राज्य में संक्रमित मरीजों की कुल तादाद बढ़कर 63 हो गई है। महाराष्ट्र से पहले इस साल सिर्फ केरल में ही जीका के मामले सामने आए हैं।
महाराष्ट्र के स्टेट हेल्थ डिपार्टमेंट के मुताबिक महिला पुणे की पुरंदर तहसील के बेलसर गांव की रहने वाली है। उसे जुलाई की शुरुआत में बुखार आया था। उसके अलावा 4 और लोगों के सैंपल जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) में भेजे गए हैं। इनमें से 3 की चिकनगुनिया रिपोर्ट पॉजिटिव आई। NIV की एक टीम इसके बाद यहां दौरा करने पहुंची।
टीम ने 27 से 29 जुलाई तक कई गांवों का दौरा किया। उन्होंने 41 लोगों के सैंपल लिए, जिनमें से 25 में चिकनगुनिया, 3 में डेंगू और 1 में जीका वायरस की पुष्टि हुई। हेल्थ डिपार्टमेंट अब पूरे गांव का सर्वे करने की योजना बना रहा है। हालांकि विभाग का कहना है कि महिला ठीक हो चुकी है और उसके परिवार के लोगों में भी किसी को जीका के लक्षण नहीं हैं।
1940 में मिला था पहला केस
जीका वायरस का पहला केस 1940 में युगांडा में मिला था, लेकिन इसके बाद तेजी के साथ इस वायरस ने अफ्रीका के कई हिस्सों में अपने पैर पसार लिए। दक्षिण प्रशांत और एशिया के कुछ देशों को छूते हुए ये लैटिन अमेरिका तक पहुंच गया। ब्राजील में इसने अपना प्रकोप दिखाया था। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ये 2014 के फुटबॉल वर्ल्ड कप के दौरान एशिया और दक्षिण प्रशांत की तरफ से आया होगा। हालांकि इस दावे की पुष्टि अब तक नहीं हो पाई है।
क्या हैं लक्षण?
ये वायरस एडीज इजिप्टी नाम के मच्छर से फैलता है। ये वही मच्छर है जिसके कारण पीला बुखार, डेंगू व चिकनगुनिया जैसी बीमारियां फैलती हैं। जीका, संक्रमित मां से सीधे नवजातों में फैलता है। ये वायरस ब्लड ट्रांसफ्यूजन व यौन संबन्धों से भी फैलता है। जीका को तुरंत पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि इसके लक्षणों की व्याख्या सटीकता के साथ अब तक सामने नहीं आई है, लेकिन कहा जाता है कि मच्छरों के काटने के तीन से बारह दिनों के भीतर चार में से तीन व्यक्तियों में तेज बुखार, रैशेज, सिर दर्द और जोड़ों में तेज दर्द होने के लक्षण दिख सकते हैं।
क्या होती है समस्या?
इससे माइक्रोसेफली नाम की बीमारी का खतरा बना रहता है। माइक्रोसेफली एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमें बच्चे का सिर छोटा रह जाता है और उसके दिमाग का पूरा विकास नहीं हो पाता। इससे बच्चों की जान भी जा सकती है। इसके प्रकोप से बच जाने वाले बच्चे ताउम्र दिमाग से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित रहते हैं।
कैसे कर सकते हैं बचाव?
जीका वायरस का कोई इलाज अब तक खोजा नहीं जा सका है। इससे बचने का एकमात्र विकल्प ये है कि आप जोखिम को कम कर सकते हैं। इसके लिए स्वास्थ्य अधिकारी कीटनाशकों का उपयोग, पूरी बाजू के कपड़े जिससे शरीर कवर हो और खिड़कियों व दरवाजों को बंद करने की सलाह देते हैं। इस बीमारी में सजगता ही सबसे बड़ा उपाय है।
[ad_2]
Source link