ममता बनर्जी को बड़ा झटका: कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश- बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा में रेप और हत्या के मामलों की CBI जांच की जाए
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कोलकाता5 मिनट पहले
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कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की CBI जांच के आदेश दिए हैं। यह जांच कोर्ट की निगरानी में की जाएगी। इसके लिए SIT का गठन होगा। हत्या और रेप के मामलों की जांच का जिम्मा CBI का होगा। दूसरे मामलों की जांच SIT करेगी। कोर्ट ने राज्य सरकार को हिंसा से पीड़ित लोगों को मुआवजा देने का भी आदेश दिया है।
कोर्ट ने CBI और SIT से 6 हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार जांच कराने में नाकाम रही है। चुनाव आयोग पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा है कि EC को हिंसा पर बेहतर भूमिका निभानी चाहिए थी। कोलकाता पुलिस कमिश्नर सोमेन मित्रा भी इस जांच का हिस्सा होंगे।
TMC पर आरोप लगाती आई है BJP
भाजपा आरोप लगाती आई है कि अप्रैल-मई में हुए बंगाल चुनाव में जीत के बाद तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमला किया था। इसमें कई लोगों की मौत भी हुई है। BJP का आरोप है कि TMC कार्यकर्ताओं ने महिलाओं पर भी अत्याचार किए हैं।
NHRC ने कोर्ट से कहा था- बंगाल में कानून का शासन नहीं
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने 13 जुलाई को कलकत्ता हाईकोर्ट में रिपोर्ट सब्मिट की थी। आयोग ने हिंसा को लेकर अदालत से कहा था कि बंगाल में कानून का शासन नहीं, बल्कि शासक का कानून चलता है। बंगाल हिंसा के मामलों की जांच राज्य से बाहर की जानी चाहिए।
रिपोर्ट के कुछ न्यूज चैनल और वेबसाइट्स पर खुलासे के बाद ममता बनर्जी ने ऐतराज जाहिर किया था। ममता ने कहा था कि आयोग को न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए और इस रिपोर्ट को लीक नहीं किया जाना चाहिए था। इस रिपोर्ट को केवल कोर्ट के सामने रखना चाहिए था।
मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में यह थे 4 बड़े पॉइंट
1. बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों की जांच CBI से कराई जानी चाहिए। मर्डर और रेप जैसे गंभीर अपराधों की जांच होनी चाहिए।
2. बंगाल में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा ये दिखाती है कि पीड़ितों की दुर्दशा को लेकर राज्य की सरकार ने भयानक तरीके से उदासीनता दिखाई है।
3. हिंसा के मामलों से जाहिर होता है कि ये सत्ताधारी पार्टी के समर्थन से हुई है। ये उन लोगों से बदला लेने के लिए की गई, जिन्होंने चुनाव के दौरान दूसरी पार्टी को समर्थन देने की जुर्रत की।
4. राज्य सरकार के कुछ अंग और अधिकारी हिंसा की इन घटनाओं में मूक दर्शक बने रहे और कुछ इन हिंसक घटनाओं में खुद शामिल रहे हैं।
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