मगथ यूनिवर्सिटी की 17 डिग्रियां निकली फर्जी: हिमाचल में विजिलेंस की जांच में पकड़ा गया फर्जीवाड़ा; एक डिग्रीधारक तो बन गया सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल, चालान की तैयारी
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हमीरपुरएक घंटा पहले
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विजिलेंस जांच में मगध यूनिवर्सिटी की 17 डिग्रियां फर्जी।
बिहार की मगध यूनिवर्सिटी में भी फर्जी डिग्रियों का तीन साल पुराना मामला एक बार फिर चर्चा में है। इस मामले में अब विजिलेंस बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। इस यूनिवर्सिटी के नाम पर फर्जी डिग्रियां हासिल करने वालों में हिमाचल प्रदेश के डेढ़ दर्जन लोग भी शामिल हैं। विजिलेंस से जुड़े सूत्रों की माने तो इस फर्जी डिग्री मामले में एक स्कूल प्रिंसिपल और एक दर्जन पूर्व सैनिक भी शामिल बताए जा रहे हैं। इतना ही नहीं स्कूल प्रिंसिपल की तो बीएससी, एमएससी और बीएड तीनों डिग्रियां फर्जी बताई जा रही है। 17 लोगों में से 12 से 15 ऐसे हैं जोकि विभिन्न स्कूलों में सरकारी टीचर है, जबकि कुछ अन्य पोस्टों पर हैं। ऐसे में अब सभी पर जल्द ही गाज गिरेगी।
हमीरपुर विजिलेंस की चार सदस्यीय टीम एक बार फिर बिहार के मगध विश्वविद्यालय पहुंचकर 17 डिग्रियों की जांच की है। जांच में विश्वविद्यालय के कुलपति ने सभी 17 डिग्रियों को फर्जी बताया है। अब संभावना जताई जा रही है कि विजिलेंस में एफआईआर दर्ज होने के साथ ही फर्जी डिग्रियों के सहारे नौकरियां हासिल करने वाले सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी होगी। विजिलेंस थाना हमीरपुर के डीएसपी लालमन शर्मा ने कहा कि फर्जी डिग्रियों की जांच के लिए चार सदस्यीय टीम बिहार की मगध यूनिवर्सिटी भेजी गई थी। टीम वापस आ चुकी है।
विजिलेंस डीएसपी हमीरपुर लालमन शर्मा।
पहले नहीं मिला था डिग्री धारकों का कोई रिकॉर्ड
हालांकि, इससे पूर्व मार्च 2018 में भी विजिलेंस टीम बिहार की मगध यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्रियों की जांच कर चुकी है। उस दौरान संबंधित डिग्री धारकों का कोई रिकॉर्ड विश्वविद्यालय में नहीं मिला था, लेकिन एफआईआर के बाद भी उस दौरान भी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। इस मामले में शिक्षा विभाग दोषी अध्यापकों पर कार्रवाई करने से पूर्व विजिलेंस की एफआईआर का इंतजार लंबे समय से करता आ रहा है। आपको बता दें कि इस मामले के तार वर्ष 2004-05 में प्रदेश शिक्षा विभाग में अध्यापकों की भर्तियों से जुड़े हुए हैं।
सबसे पहले मार्च 2018 में मगध विवि पहुंची थी विजिलेंस टीम
इस मामले की शिकायत राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो शिमला में की गई। इसके बाद हमीरपुर से विजिलेंस टीम मार्च 2018 में मगध विवि पहुंची थी। टीम ने विवि में अध्यापकों की डिग्रियों से जुड़े रिकॉर्ड खंगाले लेकिन प्रवेश और परीक्षाओं से जुड़े दस्तावेज नहीं मिले। विजिलेंस ने रिपोर्ट मार्च में ही विजिलेंस मुख्यालय शिमला में जमा करवाई, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी शिक्षा विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस मामले में एफआईआर के बाद कोर्ट में चालान पेश होना था, लेकिन अब दोबारा जांच होने और रिपोर्ट शिमला कार्यालय में जमा होने के बाद फर्जी डिग्री धारक सरकारी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई होनी तय है।
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