मंत्री के दंगल का भास्कर इन्वेस्टिगेशन: बनवीरपुर गांव के लोग बोले- सुबह मोनू भइया दंगल में थे, लेकिन शाम को हिंसा के वक्त नहीं थे; ज्यादा बता नहीं सकते, मंत्रीजी का मामला है
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लखीमपुर खीरी8 घंटे पहले
तीन अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र ने अपने गांव में दंगल का आयोजन किया था। ये तस्वीर उसी वक्त की है।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को किसान आंदोलन के दौरान हिंसा भड़की और 4 किसानों की गाड़ी से कुचलकर मौत हो गई। इसके बाद गाड़ी के ड्राइवर और 3 भाजपा कार्यकर्ताओं को पीट-पीटकर मार डाला गया। इस मामले के मुख्य आरोपी और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष को शनिवार रात को गिरफ्तार किया जा चुका है।
मंत्री के बेटे की गिरफ्तारी के बाद भी सबसे बड़ा सवाल अभी भी वही है कि तिकुनिया में जिस वक्त किसानों को थार जीप से कुचला गया, उस वक्त आशीष कहां था? पूरी हिंसा में मंत्री के बेटे का क्या रोल है? क्योंकि जिस जीप से किसानों को कुचला गया, वह मंत्री की ही थी। घटना के करीब दो घंटे के बाद केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र का बयान आया था कि मेरा बेटा तो गाड़ियों में था ही नहीं, वह उस उक्त बनवीरपुर प्राथमिक विद्यायल में दंगल का आयोजन कर रहा था।
गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष उर्फ मोनू ने 3 अक्टूबर को बनवीरपुर गांव में दंगल का आयोजन किया था। यहां सुबह 10 बजे दंगल शुरू हुआ, डिप्टी CM दोपहर बाद कार्यक्रम में पहुंचे। आइए हम बताते हैं कि उस दिन असल दंगल क्या था, इसमें कौन शामिल था और कौन नहीं? मंत्री के बेटे का कनेक्शन इस घटना में है या नहीं? इन सवालों के जवाब हम सिलसिलेवार तरीके से रख रहे हैं। बनवीरपुर गांव में हमने यह जानने की कोशिश की कि कुश्ती प्रतियोगिता के वक्त आशीष मिश्रा उर्फ मोनू कहां था?
पढ़िए भास्कर रिपोर्टर की बनवीरपुर गांव से ग्राउंड रिपोर्ट…
पहले बनवीरपुर गांव की बात
हिंसा के 7 दिन बाद जब हम गांव पहुंचे तो वहां लोगों में आज भी दहशत है। गांव पहुंचने के 500 मीटर पहले दो रास्ते हैं। एक रास्ता सीधे उस प्राथमिक स्कूल को जाता है, जहां दंगल आयोजित किया गया था। स्कूल पहुंचने पर हमने देखा कि उसके सामने ही पूर्व प्रधान का घर है। पूर्व प्रधान दो भाई हैं। छोटे और बड़े भाई की अलग-अलग दुकान है। छोटे भाई ने कहा- गांव में मंत्री जी का मकान है। वे हर साल दंगल करवाते हैं। इस बार केवल 2 अक्टूबर की जगह 3 अक्टूबर को दंगल का आयोजन किया गया था। किसानों के विरोध के चलते दंगल में हर तरफ अलग-अलग तरह की चर्चा थी। लोगों में दहशत भी थी।
नाम न छापने की शर्त पर गांव वालों ने कहा- दंगल और हिंसा होने के समय मोनू भैया कहां थे, ये नहीं मालूम।
इतने में पूर्व प्रधान आ जाते हैं। वे बोलते हैं कि मंत्री जी ने कभी गलत काम नहीं किया। घटना के समय मंत्री का बेटा यहां था कि नहीं, यह हम कह नहीं सकते हैं, क्योंकि हमारी दुकान सामने है। बहुत से लोग आ जा रहे थे। इसी बीच एक और युवक आ जाता है। वह कहता है फेसबुक पर एक वीडियो था, लेकिन इंटरनेट बंद होने की वजह से डिलीट कर दिया।
उधर मंत्री के घर से 500 मीटर पहले एक मंदिर है। मंदिर के बाहर एक दर्जन लोग आपस में बात करते हुए दिखाई देते हैं। इसी बीच हम पहुंच गए। कार से उतरने पर लोग चुप हो गए। हमने बात करनी शुरू कर दी। इसी बीच एक युवक बोला, कोई कुछ नहीं बोलेगा। मोबाइल से वीडियो न बनाइएगा। बनवीरपुर गांव के लोग नाम न छापने की शर्त पर बोले दंगल के शुरू होने पर मोनू यहां मौजूद थे, लेकिन हिंसा के समय वहां नहीं दिखाई दिए थे, वे कहां थे यह हम नहीं सकते।
एक 60 साल के व्यक्ति ने बात करते-करते कहा- सब जानते हुए भी कोई कुछ नहीं बोलेगा। अगर मंत्री के लिए कोई कुछ बोलेगा, तो सिख सरदार घर में घुसकर उपद्रव करेंगे। कोई भी सिख सरदार के लिए बोलेगा, तो मंत्री जी के लोग नहीं छोड़ेगे। तभी एक व्यक्ति बोला- सिख सरदार लोग हम सबको देशी भइया बोलते हैं।
गांव में जगह-जगह मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष उर्फ मोनू के होर्डिंग्स लगे हैं।
बनवीरपुर से 3 किमी दूर है हिंसा वाली जगह तिकुनिया
जिस तिकुनिया में मंत्री के बेटे की 3 गाड़ियों ने आठ लोगों को कुचला, उसकी बनवीरपुर गांव से दूरी महज 3 किलोमीटर है। यह घटना शाम करीब 5 बजे हुई। मंत्री के बेटे का कहना है कि दंगल शाम तक चला। जिस वक्त घटना हुई तो वे दंगल में मौजूद थे। मंत्री के बेटे ने शनिवार को क्राइम ब्रांच के सामने पेन ड्राइव में ले जाकर 10 वीडियो पेश किए। पुलिस के सामने मंत्री के बेटे ने जो वीडियो पेश किए, उसमें वह खुद को घटना के समय दंगल में रहना साबित नहीं कर पाए।
गांव के पहले यह सड़क है, जिसमें बाईं तरफ का रास्ता मंत्री के घर की तरफ जाता है।
अब हम बात करते हैं कि तिकुनिया की हिंसा को लेकर मंत्री के गांव और दंगल होने वाली जगह पर लोगों का क्या कहना है? हिंसा के समय आशीष मिश्र उर्फ मोनू कहां थे। इसको लेकर कोई भी गांव वाला सही नहीं बता पाया। न ही कोई ऐसा साक्ष्य दे पाया जिससे यह साबित हो सके आशीष मिश्र उर्फ मोनू दंगल में मौजूद थे।
दंगल प्राथमिक स्कूल में आयोजित किया गया था। स्कूल में मौजूद छात्रों ने साफ-साफ कहा मोनू भैया दंगल में थे। स्कूल के बाहर नाई की दुकान वाले ने कहा- हिंसा के समय मोनू भैया दंगल में थे। फोटो-वीडियो मांगने पर बोला धीमे बोलिए- हमारे पास कुछ नहीं है। न ही कोई भी यहां कुछ देगा। इसकी तरह कई दुकानदारों ने हिंसा के समय फोटो-वीडियो होने की बात से मना कर दिया।
तिकुनिया के करीब इसी कॉलेज ग्राउंड में किसानों का जमावड़ा था।
दहशत में बनवीरपुर के लोग कुछ नहीं बोलते
उत्तर प्रदेश सरकार के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का 2.15 मिनट पर केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के घर जाने का समय तय था। इसके बाद उन्हें कुश्ती प्रतियोगिता में शामिल होने जाना था। डिप्टी सीएम के दंगल प्रतियोगिता में पहुंचने की बात जब बनवीरपुर गांव के लोगों से पूछी गई तो वह यह नहीं बता पाए वह पहुंचे थे कि नहीं। बनवीरपुर गांव के लोगों में दहशत इतनी है, वे खुल कर कुछ भी बता नहीं पाए।
साहब फोटो मत खींचना, न वीडियो बनाना
यह वह अखाड़ा है, जहां पर तीन अक्टूबर को दंगल लड़ा गया था।
केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र उर्फ टेनी के गांव में आज भी लोग दहशत में हैं। एक तरफ मंत्री का डर तो दूसरी तरफ किसानों की मुखालफत का डर है। गांव वाले बात करते हुए कहते हैं कि साहब हमारी फोटो मत खींचना और न वीडियो बनाना।
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