भास्कर EXPLAINER: भारतीय कानून में सोशल मीडिया चैट फर्स्ट नहीं, बल्कि सेकंडरी एविडेंस
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27 मिनट पहले
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एनसीबी ने हाल के कई मामलों में वाॅट्सएप चैट के आधार पर लोगों को किया गिरफ्तार।
एनसीबी ने वॉट्सएप चैट या ईमेल या अन्य सोशल मीडिया चैट के आधार पर कई लोगों की गिरफ्तारियां की हैं। जानते हैं कि आपराधिक केस में बतौर सबूत इन चैट की वैल्यू है…
सोशल मीडिया पर चैट को पुख्ता सबूत मान सकते हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार वाॅट्सएप चैट अकेली किसी की गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकती। यह जांच का टूल हो सकता है। ये अपने आप में पूरा सबूत नहीं। पुख्ता सबूत बनाने के लिए इसे जांच के दौरान साबित करने की जरूरत होती है। यही वजह है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 63 के तहत इन्हें द्वितीयक साक्ष्य माना गया है।
चैट सबूत कैसे बनती है?
अगर चैट है तो वह किस डिवाइस से की गई है। उसे सीज करना होता है और यह प्रमाणित करना होता है कि सोशल मीडिया पर बातचीत के दौरान वह डिवाइस आरोपी के पास था या नहीं इस प्रमाणित करना होगा।
चैट सबूत के तौर पर स्वीकार या अस्वीकार्यता के बारे में कानून क्या कहता है?
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 63 के तहत वॉट्सएप चैट को द्वितीयक सबूत माना जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कई बार वॉट्सएप के प्रिंट आउट को द्वितीयक सबूत के तौर पर स्वीकार किया है। ऐसी चैट को पुख्ता सबूत के रूप में स्वीकार करने के लिए चार शर्तें तय हैं।
1. जिस कम्प्यूटर या डिवाइस से चैट की गई है, वह आरोपी के नियंत्रण में होना साबित किया जाना चाहिए।
2. उक्त अवधि में वह चैट नियमित और सामान्य थी। उस डिवाइस को दो गवाहों की मौजूदगी में बरामद कर सीज किया गया हो।
3. डुप्लीकेट कॉपी में अदालत को दी जाने वाली जानकारी वही हो, जो आरोपी के डिवाइस या कम्प्यूटर में है।
4. उस समय आरोपी का कम्प्यूटर या डिवाइस सही से काम कर रहा था।
क्या चैट के आधार पर गिरफ्तारी हो सकती है?
सोशल मीडिया चैट के आधार पर जांच एजेंसी गिरफ्तार कर सकती है, बशर्ते उनके पास उस चैट को पुख्ता सबूत साबित करने संबंधी अन्य मटेरियल भी मौजूद हो। इन 4 शर्तों को पूरा किया हो।
चैट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कौन से फैसले दिए?
इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने पक्ष और विपक्ष में कई फैसले दिए हैं।
- दक्षिण दिल्ली नगर निगम मामला- सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2021 में दक्षिण दिल्ली नगर निगम और एक कंपनी के बीच विवाद पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा था कि वॉट्सएप मैसेज की साक्ष्य के रूप में कोई कीमत नहीं है और उनके लेखक को उससे बांधा नहीं जा सकता खासतौर पर सरकार द्वारा शासित बिजनेस पार्टनरशिप में।
- शमसुद्दीन बिन मोहम्मद बनाम सुहैला बिनती- सुप्रीम कोर्ट ने उक्त मामले में कहा था कि किसी भी आपराधिक मामले में जब ज्यादातर बातचीत वॉट्सएप चैट से आरोपियों के बीच किसी अपराध को लेकर हुई है तो इसे सबूत मान सकते हैं।
एक्सपर्ट: सुप्रीम कोर्ट के वकील सुमित वर्मा व एडवोकेट विराग गुप्ता।
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