भास्कर ओरिजीनल: कश्मीर में फर्जी मुठभेड़ के आरोप पत्थरबाजों की ढाल बन रहे हैं, पुलिस के एनकाउंटर पर लोग सवाल उठा रहे हैं

भास्कर ओरिजीनल: कश्मीर में फर्जी मुठभेड़ के आरोप पत्थरबाजों की ढाल बन रहे हैं, पुलिस के एनकाउंटर पर लोग सवाल उठा रहे हैं

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श्रीनगर2 घंटे पहलेलेखक: हारून रशीद

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भास्कर ओरिजीनल: कश्मीर में फर्जी मुठभेड़ के आरोप पत्थरबाजों की ढाल बन रहे हैं, पुलिस के एनकाउंटर पर लोग सवाल उठा रहे हैं

घाटी में जनता और सरकार के बीच फिर बढ़ रही है खाई।

घाटी में पत्थरबाजी का खतरनाक पैटर्न फिर दिखने लगा है। बीते तीन हफ्ते में पथराव की तीन बड़ी घटनाएं हुई हैं। एक दिन पहले श्रीनगर के रंगरेट में आतंकियों के साथ मुठभेड़ के बाद स्थानीय लोगों ने सुरक्षाकर्मियों पर पथराव किया। इसका नेतृत्व स्थानीय महिलाएं कर रही थीं।

प्रदर्शनकारी इस मुठभेड़ को फर्जी बता रहे हैं। पुलिस के मुताबिक रंगरेट में 13 दिसंबर को एक एनकाउंटर में दो आतंकी मार गिराए गए हैं। स्थानीय लोगों और चश्मदीदों ने इस दावे को झूठा बताया है। घटनास्थल के पास रहने वाली एक महिला ने आरोप लगाया, ‘यह फेक एंकाउंटर था।

दो लड़के सड़क पर चल रहे थे और पुलिस ने उन पर गोली चला दी। अगर वे आतंकी थे तो उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता था?’ घटनास्थल के करीब रहने वाली एक अन्य महिला ने बताया कि यह शांतिपूर्ण क्षेत्र हैं। हमें याद तक नहीं है कि आखिरी बार यहां कब मुठभेड़ हुई थी। पुलिस सिर्फ घोषणा करती है कि उसने दो आतंकियों को मार गिराया है। पुलिस कोई सबूत भी नहीं देती है। हालांकि पुलिस स्थानीय लोगों के इन आरोपों को नकार रही है।

सूत्रों के मुताबिक शाम को पुलिस ने मुठभेड़ घटनास्थल के पास स्थित निजी स्कूल के सीसीटीवी फुटेज को जब्त कर लिया, लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया। दूसरी घटना शोपियां जिले के चेक चोलन इलाके में 8 दिसंबर को मुठभेड़ के दौरान हुई जिसमें तीन आतंकी मारे गए थे। मुठभेड़ के बाद युवक जमा हो गए और सुरक्षा बलों पर पथराव शुरू कर दिया।

यहां पुलिस ने 3 आतंकियों के पास से एक एके 47 राइफल और 2 पिस्टल भी बरामद कीं। एक सुरक्षा एक्सपर्ट ने कहा रामबाग और रंगरेट में पथराव को समझा जा सकता है लेकिन शोपियां में आतंकियों को मारे जाने के बाद पथराव एक खतरनाक प्रवृत्ति है। अब ऐसा लगता है कि लोगों में कानून का डर कम हो रहा है।

सरकार को इसके बारे में सोचने की जरूरत है। सरकार को चाहिए की लोगों से बात करे और उनका विश्वास जीते। नहीं तो हालात से बिगड़ सकते हैं। इसी तरह 24 नवंबर को रामबाग में पुलिस ने तीन आतंकियों को मार गिराने का दावा किया था। स्थानीय लोगों का दावा है कि इन्हें एक कार से निकाला गया और उन्हें गोली मार दी गई। हालांकि पुलिस इसे नकार रही है।

एक्सपर्ट बोले- जवाबदेही तय कर इन्हें रोका जा सकता है

पुलिस लोगों की शंकाओं को दूर करे, इससे यह खाई दूर की जा सकती है

सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक इस वक्त कश्मीर में हाई सिक्योरिटी है। सघन तलाशी अभियान चल रहा है। रंगरेट व रामबाग में पुलिस ने मुठभेड़ को लेकर स्पष्ट बयान नहीं दिया है। 16 नवंबर को हैदरपोरा में कथित 2 नागरिकों की हत्या के बाद सरकार ने कहा था 15 दिनो में जांच पूरी होगी। दोषियों को सजा मिलेगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

मामूली सबूतों के नाम पर सैकड़ों लोगों की गिरफ्तारियां, इससे गुस्सा बढ़ रहा

श्रीनगर यूनिवर्सिटी में एक प्रोफेसर ने कहा कि सैकड़ों लोगों को मामूली सबूतों के आधार पर गिरफ्तार किया जा रहा है। पूरे भारत में क्षेत्र में महंगाई व बेरोजगारी सर्वाधिक है। लोग पुलिस व सुरक्षाकर्मियों को सरकारी प्रतिनिधि के रूप मे देखते हैं। मानवाधिकार उल्लंघन व अन्य मुद्दों पर गुस्सा निकालने के लिए उन पर पथराव करते हैं।

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