भास्कर एक्सप्लेनर: विमानों के ईंधन में 50% एथेनॉल मिलाने पर वायुसेना में टेस्टिंग, केंद्रीय मंत्री गडकरी कह चुके हैं अब फ्लेक्सी फ्यूल व्हीकल की है तैयारी; जानिए एथेनॉल कैसे बनेगा ईंधन
[ad_1]
- Hindi News
- International
- Testing In The Air Force On Mixing 50% Ethanol In The Fuel Of Aircraft, Union Minister Gadkari Has Said That Now Flexi Fuel Vehicle Is Ready; Know How Ethanol Will Be Made Fuel
एक घंटा पहलेलेखक: अनिरुद्ध शर्मा
- कॉपी लिंक
भारत में फिलहाल पेट्रोल में 10% एथेनॉल मिलाने (ई-10) का प्रावधान लागू है लेकिन यह 15 राज्यों में ही उपलब्ध है, अन्य राज्यों में कम प्रतिशत पर मिलता है।
बढ़ते पेट्रोल – डीजल के दामों के बीच केंद्र सरकार वैकल्पिक ईंधन के तौर पर एथेनॉल के इस्तेमाल को बढ़ाने की बात कह रही है। गन्ने और गेहूं, टूटे चावल जैसे खराब हो चुके खाद्यान्न, कृषि अवशेषों से एथेनॉल निकाला जाता है। इससे भारत को वाहनों के प्रदूषक उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।
एथेनॉल मिश्रित ईंधन सुरक्षित है?
यह पूरी तरह सुरक्षित है। एथेनॉल मिश्रित ईंधन के इस्तेमाल के लिए चौपहिया व दोपहिया वाहनों के इंजन में थोड़े बदलाव की जरूरत है, मगर विमानों के इंजन में तो बदलाव की भी जरूरत नहीं है। एविएशन फ्यूल में 50% तक एथेनॉल की मिक्सिंग से ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन 80% तक कम हो सकता है। ब्राजील के फाइटर प्लेन्स में ऐसे ही ईंधन का इस्तेमाल हो रहा है। हाल ही में भारतीय वायुसेना ने भी इसके परीक्षण को मंजूरी दी है
क्या भारत में अभी एथेनॉल मिश्रित ईंधन मिलता है?
भारत में फिलहाल पेट्रोल में 10% एथेनॉल मिलाने (ई-10) का प्रावधान लागू है लेकिन यह 15 राज्यों में ही उपलब्ध है, अन्य राज्यों में कम प्रतिशत पर मिलता है। सरकार ने तेल कंपनियों से एथेनॉल के पंपिंग स्टेशन भी खोलने के लिए कहा है, फिलहाल देश में केवल पुणे में तीन एथेनॉल पंपिंग स्टेशन हैं। सरकार ने जून में पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिलाने के लक्ष्य को 2030 से घटाकर 2025 तक पूरा करने फैसला लिया था।
क्या दुनिया में कहीं और एथेनॉल मिश्रित ईंधन इस्तेमाल होता है?
भारत, ब्राजील व अमेरिका के पैटर्न को अपनाने की कोशिश में है। ब्राजील में ई-27 से लेकर 100% इथेनॉल वाले फ्यूल पंप उपलब्ध हैं, यहां लोगों के पास कीमत व सुविधा के हिसाब से ब्लें़डेड पेट्रोल या शत-प्रतिशत इथेनॉल का विकल्प है।
अमेरिका में एथेनॉल कितने प्रतिशत मिक्स किया जाता है?
अमेरिका सालाना ईंधन उपलब्धता के आधार पर इथेनॉल ब्लैंडिंग पर फैसला लेता है, इस साल वहां ई-30 ईंधन बिक रहा है, हालांकि सामान्य व फ्लेक्स फ्यूल दोनों ही वाहनों के लिए ईंधन मिलता है।
यहां एथेनॉल उत्पादन कितना है?
दुनियाभर के इथेनॉल उत्पादन में ब्राजील की हिस्सेदारी 31 फीसदी है जबकि अमेरिका एथेनॉल का सबसे बड़ा उत्पादक व निर्यातक है, यहां दुनिया का 53% एथेनॉल उत्पादित होता है। कनाडा तीसरा देश है, जहां फ्लेक्स फ्यूल वाहनों की संख्या ज्यादा है। अमेरिका से निर्यात होने वाला 25% एथेनॉल कनाडा जाता है। अमेरिका से निर्यात होने वाला 15-15% एथेनॉल ब्राजील व भारत भी आता है। इसके अलावा चीन, यूरोपियन संघ, अर्जेटाइना, थाईलैंड समेत कई देशों में एथेनॉल उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही।
मिश्रित ईंधन वाले वाहन कहां चलते हैं, भारत कब तक आएंगे?
- फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल ऐसे वाहन हैं जिनमें 100% तक एथेनॉल का ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- एक अध्ययन के मुताबिक, 100% एथेनॉल से यूरो-6 वाहनों की तुलना में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन 77% तक कम होता है।
- भारत सरकार जल्द ही फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल के लिए नियम लेकर आने वाली है, जिसके बाद ऑटो कंपनियों को फ्लेक्स फ्यूल इंजन लगाना अनिवार्य होगा। इसके लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगी है।
- सरकार की अपील पर कुछ ऑटो कंपनियों ने ऐसे वाहन बनाना शुरू किया है लेकिन अभी बाजार में नहीं है।
- ब्राजील में सड़क पर दौड़ रहे 85% वाहन फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल हैं। यहां ऐसे वाहनों के 80 से ज्यादा विकल्प उपलब्ध हैं। ब्राजील ने 2015 में पेट्रोल में 18-27% एथेनॉल मिलाना शुरू किया था।
भारत में एथेनॉल उत्पादन कितना है?
फिलहाल देश में 335 करोड़ लीटर एथेनॉल उत्पादन होता है और 2025 तक सालाना डेढ़ हजार करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन होने लगेगा।
एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए गन्ने का रकबा बढ़ाना होगा?
जरूरत नहीं है। अभी देश के कुल एथेनॉल में चीनी मिलों का योगदान 90% है। देश के पूरे सरप्लस चीनी से एथेनॉल उत्पादन हो तो भी 2025 तक चीनी मिलों से 750 से 800 करोड़ लीटर तक एथेनॉल ही बनेगा।
मांग तो 1000 करोड़ लीटर तक जाने का अनुमान है, कमी कहां से पूरी होगी?
मक्का, टूटे चावल जैसे अनाज आधारित प्लांट्स से भी करीब 700 लीटर एथेनॉल बनाने की योजना है। भारत में फिलहाल 17 लाख टन अनाज का सरप्लस है जो एथेनॉल में इस्तेमाल हो सकता है।
मगर पानी की खपत नहीं बढ़ेगी?
देश में गन्ना व चावल की उपज में सिंचाई का 70% पानी इस्तेमाल होता है। पानी की खपत प्रति माह खपत के हिसाब से देखनी चाहिए क्योंकि गन्ना 12-18 महीने की फसल है जबकि धान 3 महीने की।
इसमें किसानों का क्या फायदा है?
चीनी मिल एसो. के डीजी अविनाश वर्मा के मुताबिक एथेनॉल से मिलों का कैश-फ्लो सुधरेगा और किसानों का बकाया भुगतान जल्द होगा।
गन्ने के अलावा बाकी फसलें इतनी हैं कि एथेनॉल बने?
भारत में मक्के की उपज 3 टन/हेक्टेयर है, पाकिस्तान में 5 टन। दुनिया का औसत 6 टन/हेक्टेयर है। यदि देश में मक्के की उपज प्रति हेक्टेयर 5 टन हो जाए तो एथेनॉल की जरूरत पूरी कर देगा।
[ad_2]
Source link