भास्कर एक्सप्लेनर: कमजोर एंटीबॉडी से भले ही कोरोना हो जाए लेकिन टी सेल प्रतिक्रिया बरकरार है, तो गंभीर बीमारी नहीं होगी
[ad_1]
- Hindi News
- International
- Weak Antibodies May Cause Corona But T Cell Response Is Intact, Then Serious Disease Will Not Occur
15 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
मजबूत टी सेल रक्षा करती है, भले ही एंटीबॉडी कमजोर हों।
इजराइल और अमेरिका के आंकड़ों बताते हैं कि टीके के बाद कोरोना संक्रमण के प्रति सुरक्षा में भले ही गिरावट आई है लेकिन अच्छी बात है कि टीकाकरण के बाद अस्पताल में भर्ती होने की दर में कमी आई है। यूके में भी अस्पताल में भर्ती होने की दर कम हुई है।
क्या होती है प्रतिरक्षा प्रणाली?
ये एक जटिल सामूहिक प्रक्रिया है। ये विषाणुओं और जीवाणुओं से बचाता है।
वायरस कहां हमला करता है?
वायरस शरीर के दो स्थानों पर हमला करता है। एक-परिसंचरण तंत्र जहां से वह शरीर में घूमता है। दूसरा- ऊतकों की कोशिकाएं हैं जिन पर हमला कर वायरस कई गुना बढ़ता है।
वायरस से मुकाबला कैसे?
शरीर का पहला हथियार है एंटीबॉडी। ये बड़े प्रोटीन अणु होते हैं जो वायरस से मुकाबले के लिए लॉक-इन कर कोशिकाओं पर हमला रोकते हैं। एंटीबॉडी शरीर की पहली रक्षा पंक्ति होती है। लेकिन वायरस के शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने के बाद एंटीबॉडी अप्रभावी हो जाते हैं। ऐसे में किलर टी सेल का रोल शुरू होता है। टी सेल वायरस कोशिकाओं को मार देती है। मजबूत टी सेल रक्षा करती है, भले ही एंटीबॉडी कमजोर हों।
टीके कैसे काम करते हैं?
टीकाकरण दोहरी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया करता है। एंटीबॉडी स्तर समय के साथ घटता है। एंटीबॉडी उत्पादन के लिए सिस्टम में मेमोरी होती है। कमजोर एंटीबॉडी से भले ही कोरोना हो जाए लेकिन यदि टी सेल प्रतिक्रिया बरकरार है, तो गंभीर बीमारी नहीं होगी।
यूएस- इजराइल में क्यों बढ़े केस?
यूएस-इजराइल में टीके लगाने के बाद समय बीतने और नए वैरिएंट के कारण एंटीबॉडी में गिरावट आई। परिसंचारी एंटीबॉडी उपलब्ध सुरक्षात्मक संसाधनों की संपूर्णता नहीं हैं। टी सेल माप की तुलना में एंटीबॉडी परीक्षण बड़े पैमाने पर लागू करना आसान है और ये व्यापक रूप से उपलब्ध हैं।
तीसरी डोज मदद करती है?
दो डोज के बाद अस्पताल में भर्ती होने की दर बहुत कम हो जाती है। तीसरी डोज से एंटीबॉडी के स्तर में सुधार होता है। कुछ देश उच्च जाेखिम वाली आबादी को तीसरी डोज दे भी रहे हैं।
कब तक प्रभावी रहेगी डोज?
वैक्सीन अभी भी मूल वुहान स्ट्रेन पर आधारित हैं। टीके की दो या तीन डोज कब तक प्रभावी रहेगी। नए वेरिएंट से कितनी सुरक्षा मिलेगी। अभी बड़ी चुनौती टीकाकृत लोगों और अटीकाकृत लोगों के बीच वायरस के संक्रमण को रोकना है।
क्या डेटा की कमी है?
भारतीय आबादी में दो डोज की प्रभावशीलता और तीसरी डोज के असर का कोई व्यापक डेटा नहीं है। ऐसे में बच्चों को टीका लगाने की प्रक्रिया जल्द शुरू होनी चाहिए। संक्रमण को रोकने के लिए मास्क, सोशियल डिस्टेंसिंग, स्वच्छता, और भीड़-भाड़ वाले स्थानों में उचित वेंटिलेशन जरूरी है।
[ad_2]
Source link