ब्लैग फंगस सिर की हडि्डयां गला रहा: पटना IGIMS में सामने आए चौंकाने वाले मामले, बिस्किट की तरह पतली हुई हड्डी; 8 मरीजों की जान बचाने करनी पड़ी मेजर ओपन सर्जरी
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पटना4 घंटे पहले
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ब्लैक फंगस सिर की हडि्डयां गला रहा है। हडि्डयां बिस्किट की तरह पतली हो जा रही हैं। संक्रमण के डिटेक्ट होने में देरी के कारण ऐसा हाे रहा है। पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में ऐसे कई चौंकाने वाले मामले आए हैं। ब्लैक फंगस के इलाज में लगी डॉक्टरों की टीम का कहना है कि ऐसे मरीजाें की जान ऑपरेशन से बचाई जा रही है। हालांकि इलाज में देरी होने के कारण समस्या बढ़ रही है।
ब्रेन में इस तरह गल रहीं हडि्डयां
ब्लैक फंगस पहले नाक में होता है और फिर साइनस में पहुंचता है। इसके बाद संक्रमण ब्रेन तक पहुंच जाता है। इसे डिटेक्ट करने या फिर इलाज में देरी करने से समस्या बढ़ जाती है। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरो सर्जन डॉ. ब्रजेश कुमार और नाक के रास्ते ब्रेन तक की सर्जरी करने वाले ENT के HOD डॉ. राकेश कुमार सिंह का कहना है कि संक्रमण का डिटेक्ट करने में देरी से फंगस ब्रेन में काफी गंभीर हो जाता है।
IGIMS में कई ऐसे मामले आए हैं, जिसमें सिर की हड्डियां गलकर बिस्किट की तरह हो गई। ब्रेन में फंगस के कारण स्थिति गंभीर हो जाती है। कई ऐसे मरीज आए हैं, जिनकी हडि्डयां गलनी शुरू हो गई। इसके बाद ऑपरेट कर फंगस को निकाल दिया गया, जिन मामलों में देरी हुई उसमें समस्या होती है।
हडि्डयों तक फंगस पहुंचने वाली 8 मेजर सर्जरी हुई
न्यूरो सर्जन डॉ. ब्रजेश का कहना है कि शुरुआती समय में यह ENT डॉक्टरों के इलाज से ठीक हो जाता है। बाहरी ऑपरेशन से ही फंगस निकाल दिया जाता है, लेकिन मामला बढ़ जाने के बाद समस्या होती है। फिर ब्रेन की ओपन सर्जरी भी करनी पड़ सकती है। क्योंकि, फंगस ब्रेन की पतली हडि्डयाें को भी नुकसान पहुंचाने लगता है। उन्हें खराब करने लगता है। अब तक IGIMS में 8 मेजर सर्जरी हुई हैं, जिसमें हडि्डयों तक फंगस पहुंचा था। ओपन सर्जरी से उसे निकाल कर मरीजों की जान बचाई गई है।
ये लक्षण हों तो तत्काल डॉक्टर से करें संपर्क
- सबसे पहले नाक जाम होने या नाक से काला पदार्थ निकलने या फिर पानी निकलने की समस्या हाेती है।
- कभी-कभी नाक से खून भी आता है।
- नाक के अगल-बगल दर्द भी होता है या आंख की पलक गिर जाती है।
देरी होने पर हालत हो जाती है गंभीर
IGIMS के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल का कहना है कि कोरोना के बाद ब्लैक फंगस का इलाज के साथ ऑपरेशन भी समय से किया गया। इससे मरीजों की बीमारी तेजी से नहीं बढ़ पाई।
ब्लैक फंगस वार्ड बनाने के बाद से ही मरीजों का इलाज किया जा रहा है और अब तक कई गंभीर मरीजों का इलाज कर जान बचाई गई है। जिन मरीजों में बीमारी डिटेक्ट होने में देरी होती है उनके साथ समस्या होती है। क्योंकि उनकी हालत गंभीर हो जाती है।
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