बेअदबी पर सियासत गरमाई: कांग्रेस नेता सिंघवी ने लिंचिंग पर कड़ी कार्रवाई के लिए कहा; पंजाब में सरकार से लेकर विपक्षी तक चुप

बेअदबी पर सियासत गरमाई: कांग्रेस नेता सिंघवी ने लिंचिंग पर कड़ी कार्रवाई के लिए कहा; पंजाब में सरकार से लेकर विपक्षी तक चुप

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चंडीगढ़10 घंटे पहले

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बेअदबी पर सियासत गरमाई: कांग्रेस नेता सिंघवी ने लिंचिंग पर कड़ी कार्रवाई के लिए कहा; पंजाब में सरकार से लेकर विपक्षी तक चुप

पंजाब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस के सीनियर नेता सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने मॉब लिंचिंग को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बेअदबी भयानक है, लेकिन एक सभ्य देश में मॉब लिंचिंग भी भयानक है।

सिंघवी ने यह बयान अमृतसर स्थित श्री दरबार साहिब और कपूरथला के निजामपुर मोड़ गुरुद्वारे में बेअदबी के आरोपियों की भीड़ द्वारा हत्या करने के मामले में दिया है। वहीं पंजाब में इस मुद्दे पर सरकार से लेकर विपक्षी दल तक खामोश बैठे हैं। उनकी चुप्पी को मॉब लिंचिंग की पैरवी के रूप में देखा जा रहा है।

ऐसी कार्रवाई हो, जो लिंचिंग करने वालों के लिए उदाहरण बने : सिंघवी
सिंघवी ने कहा कि मैं अथॉरिटीज से विनती करता हूं कि लिंचिंग करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए, जिन्होंने कानून हाथ में लिया है। ऐसा काम करने वालों के लिए सख्त एक्शन एक उदाहरण होना चाहिए।

अभिषेक मनु सिंघवी का बयान

अभिषेक मनु सिंघवी का बयान

पंजाब में सिर्फ बेअदबी पर फोकस
पंजाब के नेता सिर्फ बेअदबी का ही मुद्दा उठा रहे हैं। बेअदबी करने वालों को भीड़ के मारने पर कांग्रेस सरकार कुछ भी नहीं कह रही है। पंजाब में गृह मंत्रालय देख रहे डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा ने भी इसे भीड़ की भावना बताया। वहीं अकाली दल से लेकर आम आदमी पार्टी तक बेअदबी के मामले के बहाने कांग्रेस सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है। कोई भी नेता भीड़ के ऑन द स्पॉट आरोपी को कत्ल करने के बारे में कुछ नहीं कह रहा है।

अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह।

अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह।

अकाल तख्त जत्थेदार बोले- कानून का राज इंसाफ देने में असमर्थ रहा

कांग्रेस नेता सिंघवी के बयान पर अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अहम सवाल यह उठाया है कि बेअदबी करने वाले को मारने की नौबत क्यों आई? जब कानून बेअदबी करने वाले दोषियों को सजा नहीं दे पाया। ऐसे में सिख समाज क्या करता? 1984 में हुए सिख कत्लेआम के पीड़ित इंसाफ की उम्मीद में दुनिया से विदा हो गए। कुछ जिंदगी के आखिरी सांस गिन रहे हैं। वह अब क्या करें, अभिषेक मनु सिंघवी को यह बताना चाहिए।

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