बच्चों को टीके पर दिल्ली हाईकोर्ट की चिंता: कहा- ठोस रिसर्च किए बगैर बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाई, तो नतीजे खतरनाक हो सकते हैं
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नई दिल्ली6 घंटे पहले
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दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अगर ठोस रिसर्च किए बिना बच्चों को वैक्सीन लगाई जाती है, तो इसके नतीजे भयावह होने की आशंका है। एक याचिका का जवाब देते हुए कोर्ट ने यह बात कही। हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ता की इस मांग पर आपत्ति जताई कि बच्चों के वैक्सीनेशन से संबंधित रिसर्च को समयबद्ध तरीके से किया जाए। कोर्ट ने कहा कि रिसर्च के लिए कोई टाइमलाइन नहीं हो सकती है।
चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की डिवीजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि बच्चों के वैक्सीन ट्रायल कब तक पूरे हो जाएंगे, इस बारे में कोई तय टाइमलाइन होनी चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता ने इस तरह की मांगे रखीं तो कोर्ट इस मामले को ही रफा-दफा कर देगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी रिसर्च के लिए कोई टाइमलाइन नहीं हो सकती है।
जायडस कैडिला की वैक्सीन जल्द हो सकती है उपलब्ध
फार्मास्युटिकल कंपनी जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन 12 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए जल्द ही बाजार में उपलब्ध हो सकती है। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को ही एक हलफनामा दाखिल करके कोर्ट को इस बात की जानकारी दी। जायडस ने 12 से 18 साल के बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए अपने ट्रायल पूरे कर लिए हैं। अब कंपनी संवैधानिक अनुमति मिलने का इंतजार कर रही है।
दुनिया की पहली प्लास्मिड DNA वैक्सीन
कंपनी ने 1 जुलाई को ZyCoV-D का तुरंत इस्तेमाल किए जाने के लिए अनुमति मांगी थी। कंपनी का कहना है कि यह दुनिया की पहली प्लास्मिड DNA वैक्सीन है। इसमें तीन डोज लगेंगीं। यह नीडल-फ्री वैक्सीन भी होगी, जिसे त्वचा की दूसरी परत (डर्मिस) पर लगाया जाएगा।
बायोटेक को भी मिली है क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति
हफलनामे में केंद्र सरकार ने यह भी बताया कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने 12 मई 2021 को भारत बायोटेक को कोवैक्सिन के क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति दी थी। यह ट्रायल 2 से 18 वर्ष के स्वस्थ बच्चों पर किए जाएंगे। यह हलफनामा दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बच्ची की याचिका पर दाखिल किया। बच्ची ने 12 से 17 साल के युवाओं को तुरंत वैक्सीन लगाए जाने की मांग की है।
क्या है प्लास्मिड DNA वैक्सीन?
डीएनए के ऐसे घुमावदार मॉलिक्यूल्स जिन्हें कई बीमारियों के खिलाफ वैक्सीन की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है, उन्हें प्लास्मिड कहते हैं। प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन में एंटीजन के कोडिंग सीक्वेंस वाले प्लास्मिड डीएनए को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। जब यह डीएनए टिश्यू तक पहुंचता है, तो इसका एंटीजन पर्याप्त मात्रा में वहां फैल जाता है, जिससे आगे होने वाले इंफेक्शन के खिलाफ सुरक्षा हो सके। ऐसे डीएनए खुद ही रेप्लीकेट हो सकते हैं और कई एनिमल मॉडल्स में वायरस, पैरासाइट और कैंसर सेल के खिलाफ इनका प्रभाव देखा गया है।
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