बच्चों के लिए एक और वैक्सीन आ सकती है: जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत में 12 से 17 साल के बच्चों पर ट्रायल की मंजूरी मांगी

बच्चों के लिए एक और वैक्सीन आ सकती है: जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत में 12 से 17 साल के बच्चों पर ट्रायल की मंजूरी मांगी

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नई दिल्ली3 मिनट पहले

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बच्चों के लिए एक और वैक्सीन आ सकती है: जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत में 12 से 17 साल के बच्चों पर ट्रायल की मंजूरी मांगी

कंपनी का दावा है कि यह वैक्सीन लगने के 28 दिनों के भीतर मृत्यु दर को कम करने, मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या को भी घटाने में सक्षम है।

जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत में अपनी कोरोना वैक्सीन के 12 से 17 साल के बच्चों पर ट्रायल के लिए इजाजत मांगी है। अमेरिकी फार्मा कंपनी का कहना है कि वायरस को रोकने के लिए बच्चों को भी जल्द से जल्द वैक्सीन लगानी जरूरी है। हर्ड इम्युनिटी विकसित करने के लिए वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल को आगे बढ़ाते रहना होगा।

कंपनी का कहना है कि वैक्सीन को हम हर एक व्यक्ति तक आसानी से पहुंचाना चाहते हैं। इस प्रयास में हम लगातार लगे हुए हैं। बीते मंगलवार को जॉनसन एंड जॉनसन ने मंजूरी के लिए सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) को एप्लिकेशन भेजा था।

जैनसन को इमरजेंसी यूज की मंजूरी मिल चुकी है
सरकार पहले ही जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन जैनसन को इमरजेंसी यूज का अप्रूवल दे चुकी है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इसकी मंजूरी दी थी। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट करके यह जानकारी दी थी।

जैनसन वैक्सीन कोरोना के खिलाफ 85% प्रभावी
स्टडी में पाया गया कि जैनसन वैक्सीन कोरोना के हल्के लक्षणों के खिलाफ 66% और गंभीर मामलों के खिलाफ 85% प्रभावी है। कंपनी का दावा है कि यह वैक्सीन लगने के 28 दिनों के भीतर मृत्यु दर को कम करने, मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या को भी घटाने में सक्षम है।

वैक्सीन में क्या है खास?
जॉनसन एंड जॉनसन ने कोरोनावायरस से जीन लेकर ह्यूमन सेल तक पहुंचाने के लिए एडीनोवायरस का इस्तेमाल किया है। इसके बाद सेल कोरोना वायरस प्रोटीन्स बनाता है, न कि कोरोनावायरस। यही प्रोटीन बाद में वायरस से लड़ने में इम्यून सिस्टम की मदद करते हैं।

एडीनोवायरस का काम वैक्सीन को ठंडा रखना होता है, लेकिन इसे फ्रीज करने की जरूरत नहीं होती है। जबकि, इस समय वैक्सीन के दो बड़े कैंडिडेट मॉडर्ना और फाइजर mRNA जेनेटिक मटीरियल पर निर्भर हैं। इन कंपनियों की वैक्सीन को फ्रिज में रखने की जरूरत है, जिसके कारण इनका वितरण और मुश्किल हो जाएगा। खासतौर से उन जगहों पर जहां अच्छी मेडिकल सुविधाएं नहीं हैं।

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