बच्चे का मिठाई चुराना अपराध नहीं: जज ने आरोपी बच्चे को बरी करते हुए कहा- माखन चोरी बाल लीला है तो मिठाई चोरी अपराध कैसे?
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नालंदा10 घंटे पहले
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पड़ोसी के फ्रिज से मिठाई चोरी करने के आरोपी एक बच्चे को जुवेनाइल कोर्ट ने गुरुवार को बरी कर दिया। इसके साथ ही पुलिस और फरियादी पक्ष को नसीहत दी। कोर्ट ने कहा, ‘माखन चोरी बाल लीला है तो मिठाई चोरी अपराध कैसे?’
जुवेनाइल के चीफ मजिस्ट्रेट मानवेंद्र मिश्र ने कहा, ‘हमें बच्चों के मामले में सहिष्णु और सहनशील होना पड़ेगा। उनकी कुछ गलतियों को समझना पड़ेगा कि आखिर बच्चे में भटकाव किन परिस्थितियों में आया। एक बार हम बच्चे की मजबूरी, परिस्थिति, सामाजिक स्थिति को समझ जाएं तो उनके इन छोटे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए समाज खुद आगे आने और मदद के लिए तैयार हो जाएगा।’
मामला नालंदा जिले के हरनौत थाना इलाके के एक गांव का है। आरोपी किशोर आरा का रहने वाला है और वह अपने ननिहाल आया था। 7 सितंबर को भूख लगने पर वह पड़ोस की मामी के घर में घुस गया। फ्रिज खोलकर उसमें रखी सारी मिठाई खा ली और फ्रिज के ऊपर रखा मोबाइल लेकर निकल गया। मोबाइल से गेम खेल रहा था, तभी मामी ने उसे पकड़कर पुलिस को सौंप दिया।
इस मामले पर सख्त टिप्पणी करते हुए चीफ मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘हमारी सनातन संस्कृति में भगवान की बाल लीला को दर्शाया गया है। भगवान कृष्ण कई बार दूसरे के घर से माखन चुराकर खा लेते थे और मटकी भी फोड़ देते थे। अगर आज के समाज जैसा तब का समाज होता तो बाल लीला की कथा ही नहीं होती। आदेश में यह भी कहा है कि पड़ोसी को भूख लगी है, बीमार है, लाचार है तो बजाय सरकार को कोसने के पहले हमें अपने सामर्थ्य के अनुसार पहल करनी होगी।’
पुलिस को नहीं करनी थी FIR
जज ने यह भी कहा कि बिहार किशोर न्याय अधिनियम 2017 के तहत पुलिस को इस मामले में FIR की बजाय यह केस डेली जनरल डायरी में दर्ज करना चाहिए था। यदि अपराध साधारण प्रकृति का हो और केवल किशोर द्वारा किये जाने की पुष्टि हो तो ऐसे मामले में FIR नहीं होती है। जज ने जिला बाल संरक्षण इकाई को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि किशोर सुरक्षित रहे। किसी बदसलूकी या तंगी के कारण वह फिर से अपराध करने के लिए मजबूर न हो।
तंगहाली का शिकार है परिवार
द्यकाउंसिलिंग के दौरान किशोर ने मजिस्ट्रेट को बताया, ‘मेरे पिता बस ड्राइवर थे। एक्सीडेंट में उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। तब से वे बेड पर हैं। मां मानसिक रूप से बीमार है। परिवार में कोई कमाने वाला नहीं है। तंगी के कारण मां का इलाज नहीं हो पा रहा। नाना और मामा की मौत हो चुकी है। नानी काफी बुजुर्ग हैं। मेरे माता-पिता कोर्ट आने में लाचार हैं। अब मैं आगे ऐसा नहीं करूंगा।’
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