फोन जासूसी पर भाजपा का दावा खारिज: मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा- बेशक हम इन्वेस्टिगेशन के साथ, BJP का दावा था- संस्था ने फोन लिस्ट से पल्ला झाड़ा
[ad_1]
- Hindi News
- National
- Meenakshi Lekhi | Pegasus Phone Tapping Case; Amnesty International, BJP Leader Meenakshi Lekhi Fake Story Claim
नई दिल्ली36 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
मीनाक्षी लेखी ने दावा किया था कि पेगासस ने मीडिया में वायरल हो रही जासूसी वाले नंबरों की लिस्ट को गलत बताया है। -फाइल फोटो
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भाजपा के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें पार्टी ने कहा था कि एमनेस्टी इंटरनेशनल फोन लिस्ट का कनेक्शन इजरायली NSO के साथ नहीं मानती है। दरअसल, गुरुवार को भाजपा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पेगासस प्रोजेक्ट की इन्वेस्टिगेशन को फेक न्यूज बताया था और दावा किया था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने खुद ये कहा है कि जिन नंबरों को जासूसी की संदिग्ध लिस्ट में रखा गया है, उनका इजरायली कंपनी NSO ग्रुप से सीधा संबंध नहीं है।
इन्वेस्टिगेशन के डेटा का लिंक NSO से है- एमनेस्टी
अब एमनेस्टी ने एक बयान जारी किया और कहा- हम अफवाहों और गलत मीडिया रिपोर्टों को खारिज करते हैं। हम बेशक इस इन्वेस्टीगेशन के साथ खड़े हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल पेगासस प्रोजेक्ट इन्वेस्टिगेशन में सामने आए फैक्ट्स के साथ है। पेगासस प्रोजेक्ट का डेटा निश्चित तौर पर NSO ग्रुप के पेगासस की स्पाई लिस्ट से जुड़ा हुआ है। इस संबंध में सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाई जा रही हैं ताकि पेगासस प्रोजेक्ट की उस जांच को खारिज किया जा सके, जिसमें सामने आया कि दुनियाभर में पत्रकारों, एक्टिविस्टों और दूसरे लोगों को गलत तरीके से जासूसी का निशाना बनाया जा रहा है।
लेखी ने कहा था- जो लिस्ट आई, वो असली नहीं
भाजपा प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने पार्टी हेडक्वार्टर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने कहा था कि एमनेस्टी खुद लिस्ट का संबंध इजरायली कंपनी से नहीं मानती है। जो भी लिस्ट मीडिया में आ रही है, वो असली लिस्ट नहीं है। उन्होंने कहा था कि इस लिस्ट के बहाने संसद में बाधा डालने की कोशिश की जा रही है। इस संबंध में एमनेस्टी और NSO पहले ही अपनी सफाई पेश कर चुके हैं। इसे लेकर जो विरोध हो रहा है, वो भारत का नाम खराब करने के लिए है।
एमनेस्टी के पास पहुंची थी 50 हजार नंबरों की जानकारी
- पेरिस के नॉन-प्रॉफिट जर्नलिज्म ऑर्गेनाइजेशन फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल के पास 2016 से NSO के ग्राहकों द्वारा टारगेट के रूप में चुने गए 50,000 से अधिक फोन नंबरों की जानकारी पहुंची थी। कब और कैसे, इसकी कोई जानकारी इन संगठनों ने नहीं दी है।
- तब उसने यह जानकारी गार्जियन, वॉशिंगटन पोस्ट समेत 17 न्यूज ऑर्गेनाइजेशन के साथ शेयर की। पिछले कुछ महीनों से इन मीडिया ऑर्गेनाइजेशन के 80 से अधिक पत्रकारों ने इस डेटा पर काम किया। इनके बीच कोऑर्डिनेशन का काम फॉरबिडन स्टोरीज का था।
- 50 हजार नंबर उन लोगों के हैं, जिनकी 2016 के बाद से अब तक NSO के सरकारी ग्राहकों ने जासूसी कराई। इन्हें ही NSO ने पेगासस का सर्विलांस लाइसेंस बेचा था। डेटा में सिर्फ समय और तारीख है, जब इन नंबरों को निगरानी के लिए चुना गया या सिस्टम में दर्ज किया गया था।
- डेटा के आधार पर कुछ नंबरों का सैम्पल निकालकर ग्रुप के पत्रकारों ने टारगेट्स से मोबाइल फोन लिए। उनके हैंडसेट की फोरेंसिक जांच एमनेस्टी की सिक्योरिटी लैब से कराई, जो इस प्रोजेक्ट में टेक्निकल पार्टनर बना।
[ad_2]
Source link